UP चुनाव 2022 : इलेक्शन को साम्प्रदायिक रंग देना चाहते हैं BJP विधायक सांगा, जब ताजिए दफन नहीं होते तो विरोध क्यों?

शासन की तरफ से ताजिया निकालने पर लगी रोक के बावजूद भाजपा विधायक सांगा का 'ताजिया दफन नहीं होने दूंगा' वाला बयान इस बात की तस्दीक करता है, कि भाजपाई हिंदू-मुस्लिम कर माहौल को भुनाना चाहते हैं...

Update: 2021-08-19 03:19 GMT
आगामी चुनाव को सामप्रदायिक रंग देना चाहते हैं सांगा. (photo - social media)

जनज्वार, कानपुर। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 2022 चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने अपना चिर-परिचित अंदाज दिखाना शुरू कर दिया है। बीते दिनो एक न्यूज चैनल द्वारा किए गये सर्वे में मोदी-योगी की लोकप्रियता रसातल में चली गई है। इस वक्त चुनावी मैदान में उतरना भाजपा को शिकस्त दे सकता है। ऐसे में बीजेपी माहौल को साम्प्रदायिक रंग देकर चुनावी वैतरिणी पार करने की जुगत भिड़ा रही है।

मंगलवार को इसी कड़ी में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने शहर के किदवई नगर में स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम रखा था। कार्यक्रम के दौरान प्रदेश अध्यक्ष का अचानक यह कहना कि, 'यदि हिंदू होना साम्प्रदायिक है तो मैं हिंदू हूँ।' शासन की तरफ से ताजिया निकालने पर लगी रोक के बावजूद भाजपा (BJP) विधायक सांगा का 'ताजिया दफन नहीं होने दूंगा' वाला बयान इस बात की तस्दीक करता है, कि भाजपाई हिंदू-मुस्लिम कर माहौल को भुनाना चाहते हैं। 

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पिछले सप्ताह के बुधवार बर्रा के रामगोपाल चौराहे पर मुस्लिम युवक अफसार की पिटाई को भी भी साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। अफसार को बजरंगियों ने धर्मांतरण कराने का आरोप लगाकर पीटा था। बाद में असली मामला निकलकर सामने आया था। इस पिटाई को विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा भी मुद्दा बनाया जाना एक सोंची-समझी रणनीति के तहत मुद्दा बनाया जा रहा है। 

बिठूर के स्थानीय निवासी व प्रधान प्रत्याशी निसार अहमद का कहना है कि, बिधनू के रौतापुर गांव में 100 साल से ताजिया दफन करने की परंपरा चली आ रही है, इस बार प्रशासन की तरफ से ताजिया निकालने पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में विधायक का इस तरह से कहना कि, ताजिया नहीं दफनाने देंगे पूरी तरह से गैरवाजिब बात है। दो दिन पहले विधायक के परिवार की महिलाएं कर्बला पर दिया जलाने जलाने गईं थीं तब प्रशासन ने उन्हें ऐसा करने से रोका था।

इस मसले पर देर रात जनज्वार संवाददाता ने विधायक अभिजीत सिंह सांगा (Sanga) से संपर्क किया, सांगा ने बताया वह लखनऊ में हैं। इस मुद्दे पर बात करते हुए उन्होने कहा कि, जो लोग यहां ताजिया दफन करने का स्थान बता रहे हैं, वह सरकारी अभिलेखों में कहीं भी कर्बला के नाम पर दर्ज नहीं है। वैसे भी रौतापुर में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता, ऐसे में बाहर के लोग यहां आकर राजनिती चमकाने का प्रयास कर रहे हैं। ताजिया ना निकालने के आदेश से पहले ही कुछ लोगों ने बिनावजह यहां माहौल बनाने की कोशिश की थी, इसलिए ऐसा करना जरूरी हो गया था।

बताते चलें कि, भाजपा विधायक सांगा (BJP mla sanga) इससे पहले भी विवादों में रहते आए हैं। एक मामले को लेकर तत्कालीन थानेदार को विधायक ने खुलेआम धमकाया था, मामला तब खुला था जब इंस्पेक्टर ने उनकी रिकार्डिंग कर वायरल करवा दी थी। बताया जाता है, पहली ही बार मोदी लहर में भाजपा के टिकट पर विधायक बनने के बाद सांगा के स्वभाव से लेकर छवि में परिवर्तन आता चला गया। समाजवादी पार्टी में रहने के दौरान विधायक का तेवर ठंडा हुआ करता था। 

हालिया समय हो रहे ये तमाम प्रकरण कहीं ना कहीं इस बात की तस्दीक करते हैं, कि भाजपा (BJP) आगामी चुनाव को हिंदू बनाम मुस्लिम का चोला पहनाना चाहती है। विपक्ष के नेताओं का भी कहना है की भाजपा हिंदू-मुस्लिम का कार्ड चलकर राजनितीक माहौल बनाना चाह रही है। जिसमें भाजपा को महारत हासिल है।

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