UP Elections 2022 : स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से इन क्षेत्रों में बढ़ी भाजपा की मुश्किलें, SP के गैर यादव मुहिम को मिलेगा बल
एक तरफ यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी भाजपा के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरकर सामने आई तो दूसरी तरफ योगी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सहित कई विधायकों ने इस्तीफा देकर मोदी-शाह-योगी के मिशन यूपी को झटका देने का काम कर दिया है। इस घटना के बाद गैर-यादव ओबीसी मतदाताओं का रुझान सपा की ओर बढ़ सकता है।
लखनऊ। लंबे समय से असंतुष्ट चल रहे ओबीसी नेता और योगी सरकार में कद्दावर मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ( Swami Prasad Maurya ) ने इस्तीफा देकर मोदी-शाह-योगी के मिशन यूपी को तगड़ा झटका दिया है। इसका असर मंगलवार को दिल्ली में उत्तर प्रदेश चुनाव ( UP Election 2022 ) को लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की बैठक पर भी असर पड़ा और भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव के संकेत दिए हैं। दूसरी तरफ इस घटना से विपक्ष, खासकर सपा ( Samajwadi Party ) की ओर से जारी भाजपा ( BJP ) को सत्ता से बेदखल करो मुहिम को बल मिला है। ऐसा इसलिए कि योगी आदित्यनाथ सरकार ( Yogi Government ) पर उच्च जाति समर्थक होने का आरोप लगता रहा है, जबकि सरकार बनाने में ओबीसी मतदाताओं की अहम भूमिका रही है।
बता दें कि यूपी चुनाव से पहले एक मंत्री के रूप में भाजपा छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य पहले हाई-प्रोफाइल नेता हैं। वह 2016 में बसपा से पार्टी में शामिल हुए थे। जहां वे सुप्रीमो मायावती के लिए नंबर दो के नेता थे। विकास को कमतर आंकते हुए, भाजपा नेताओं ने दावा किया कि मौर्य लंबे समय से भाजपा नेतृत्व से नाराज थे। वह अपने बेटे के लिए टिकट की मांग रहे थे। पार्टी ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया था। बदायूं लोकसभा सीट से भाजपा सांसद उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य ने पहले पार्टी के रुख से अलग होकर संसद के पटल पर ओबीसी जनगणना की मांग का समर्थन किया था।
भाजपा को करने होंगे नए सिरे से काम
ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ( Swami Prasad Maurya ) के इस्तीफे के बाद से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि 15 और भाजपा विधायक इस्तीफा दे सकते हैं। पार्टी नेताओं ने कहा कि मौर्य के जाने से ओबीसी समुदायों के बीच गलत संदेश जाएगा। इसलिए अब भाजपा को यूपी के लिए अपने अभियान पर फिर से काम करना होगा। अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम आदित्यनाथ ही यूपी चुनाव अभियान के चेहरे रहे हैं। लेकिन कल की घटना के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव के संकेत दिए है। अब नाराज नेताओं को मनाने और पार्टी में बनाए रखने के साथ स्वामी प्रसाद मौर्य को भी योगी के साथ चुनाव में प्रमुख चेहरा के तौर पर पेश किया जा सकता है। साथ ही भाजपा छोटे दलों को ज्यादा तवज्जो देने के लिए मजबूर हो सकती है।
भाजपा में फूट सपा को करेगा सूट
भाजपा के एक धड़े का कहना है कि मौर्य के बाहर निकलने से समाजवादी पार्टी को जो लाभ होने की उम्मीद है। सपा पहले से ही गैर-यादव ओबीसी को शामिल करने के लिए अपने वफादार मुस्लिम-यादव वोट बैंक का विस्तार करने की मुहिम में जुटी है। सुभासपा, महान दल सहित कई छोटे दलों के नेताओं अहमियत देने की पीछे वजह भी यही है। फिर यूपी में नॉन यादव मतदाताओं का संख्या 35% से अधिक है। हा
OBC को उनका जायज हक न देने का जाएगा संदेश
उत्तर प्रदेश में एक मौजूदा विधायक सहित कई भाजपा नेताओं का मानना है कि स्वामी मौर्य के बाहर निकलने से सरकार पर ओबीसी को उनका हक नहीं देने का संदेश जाएगा। इस धारणा को लेकर पहले से ही ओबीसी नेता असंतुष्ट हैं। यह घटना उनके असंतोष को और बढ़ावा दे सकता है। ऐसे नेताओं को कहना है कि ऐसे में ओबीसी के यह संदेश जाएगा कि भाजपा पिछड़े वर्ग के वोटों का उपयोग केवल सत्ता में आने के लिए करती है। सत्त में आने के बाद उनकी उपेक्षा करती है। जबकि ओबीसी ने केंद्र और यूपी दोनों जगह भाजपा की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
अब केशव प्रयाद मौर्य पर टिकी सबकी निगाहें
अब यूपी में सभी की निगाहें अब केशव प्रसाद मौर्य ( Keshav Prasad Maurya ) की ओर होंगी जो राज्य में भाजपा के सबसे वरिष्ठ ओबीसी नेता हैं। 2017 के नतीजों के बाद से दो डिप्टी सीएम पदों में से एक के लिए समझौता किए जाने के बावजूद भी परेशान हैं। 2017 के चुनाव में पार्टी का नेतृत्व किया था। इस बात को लेकर अपनी नाराजगी से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को केशव प्रसाद मौर्य अवगत करा चुके हैं। इस बाबत मोदी और अमित शाह द्वारा स्थिति स्पष्ट करने के बावजूद है उनके मन में इस बात को लेकर टीस अब भी बरकरार है। ये बात अलग है कि स्वामी प्रसाद के बाहर निकलने के बाद केशव प्रसाद ने एक सार्वजनिक अपील जारी की जिसमें उन्होंने ट्वीट किया कि मुझे नहीं पता कि माननीय स्वामी प्रसाद मौर्यजी ने क्यों इस्तीफा दिया है। मैं उनसे बैठकर बात करने की अपील करूंगा क्योंकि जल्दबाजी में लिए गए फैसले गलत साबित हो सकते हैं।
स्वामी प्रसाद ने इसलिए छोड़ी भाजपा
माना यह भी जा रहा है कि स्वामी प्रसाद को इस बात का बखूबी पता था कि जब तक भाजपा में केशव प्रसाद मौर्य हैं तब उन्हें बसपा की तरह भाजपा में तवज्जों में नहीं मिल सकती। वह भाजपा में कभी भी शीर्ष ओबीसी नेता नहीं हो सकते, लेकिन वह सपा में शीर्ष गैर-यादव ओबीसी नेता हो सकते हैं।
यूपी के इन क्षेत्रों में पड़ेगा असर
स्वामी प्रसाद मौर्य सहित अन्य नेताओं के भाजपा छोड़ने से पार्टी को रायबरेली, बदायूं और कुशीनगर क्षेत्रों में कुर्मी, मौर्य समर्थन आधार पर प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, केशव प्रसाद मौर्य की उपस्थिति वोटों के किसी भी बहिर्वाह को रोक सकती है। लेकिन भाजपा के कई नेताओं का कहना है कि मौर्य के पार्टी छोड़ने का असर तात्कालिक रहेगा।