दलित-पिछड़ों को एक एकड़ जमीन की मांग को लेकर आयोजित गोरखपुर रैली में हिस्सा लेने वाले पूर्व IPS की गिरफ्तारी पर यूपी पुलिस बोल रही बड़ा झूठ
एसआर दारापुरी जी की गिरफ्तारी 11 अक्टूबर 2023 को पुलिस द्वारा दोपहर 2:20 पर रेलवे बस स्टैंड तिराहे गोरखपुर से दिखाई गई है, जबकि दारापुरी जी को तारामंडल स्थित रामा होटल से 11 अक्टूबर की सुबह 8:15 पर गिरफ्तार किया गया, जो फेसबुक में ऑन रिकॉर्ड दर्ज है.....
लखनऊ। दलित, पिछड़ा, मुस्लिम, गरीब मजदूर भूमिहीन परिवारों को एक-एक एकड़ जमीन देने की मांग को लेकर 10 अक्टूबर को गोरखपुर कमिश्नर कार्यालय में विशाल धरना प्रदर्शन में हिस्सेदारी करने के बाद पूर्व आईपीएस और पूर्व आईजी एसआर दारापुरी, दलित नेता श्रवण कुमार निराला, सिद्धार्थ गौतम को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इनके अलावा दर्जनों लोगों के खिलाफ यूपी पुलिस में कार्यरत राजेश कुमार शर्मा नाम के शख्स की शिकायत पर कार्रवाई की गयी थी।
इस गिरफ्तारी और कार्रवाई का तमाम राजनीतिक सामाजिक संगठनों ने कड़ी निंदा की है। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राष्ट्रीय कार्य समिति का यह मानना है कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में अपने राजनीतिक विरोधियों खासतौर पर जो लोग जनमुद्दों जैसे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेत मजदूर और गरीब किसानों के लिए जमीन के अधिकार के सवाल को उठाते हैं, उनका हर तरह से प्रशासनिक उत्पीड़न कर रही है। इसी सोच के तहत ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व आईजी एसआर दारापुरी, पत्रकार सिद्धार्थ रामू और दलित नेता श्रवण कुमार निराला जैसे अन्य लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
एसआर दारापुरी जी की गिरफ्तारी 11 अक्टूबर 2023 को पुलिस द्वारा दोपहर 2:20 पर रेलवे बस स्टैंड तिराहे गोरखपुर से दिखाई गई है, जबकि दारापुरी जी को तारामंडल स्थित रामा होटल से 11 अक्टूबर की सुबह 8:15 पर गिरफ्तार किया गया, जो फेसबुक में ऑन रिकॉर्ड दर्ज है।
एसआर दारापुरी ने गिरफ्तारी से पहले रामा होटल से इस संबंध में फेसबुक पर पोस्ट लिखी थी और शेयर भी की थी। उन्होंने लिखा था, 'मैं कल गोरखपुर अम्बेडकर जन मोर्चा की तरफ से दलित एवं नागरिक अधिकार के मुद्दों को लेकर आयोजित जनसभा में भाग लेने के लिये आया था तथा सभा बिल्कुल शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई थी। आज सुबह गोरखपुर की पुलिस मुझे थाने पर ले जाने के लिये आई है।'
इस तरह की उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई लोकतंत्र विरोधी ही नहीं गैर-जिम्मेदाराना सरकार का प्रदर्शन करती है और यह प्रदेश के नागरिकों के हित में नहीं है। गोरखपुर समेत प्रदेश के नागरिकों से यह अपील की गई है कि वह सरकार व्दारा इस घटना के संदर्भ में दिए जा रहे तर्क की असलियत को समझें और लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति अपनी एकता जाहिर करें। उत्तर प्रदेश सरकार से यह भी कहा गया है कि अपनी सत्ता मजबूत करने के लिए इस तरह की कार्रवाइयों को न करें, ताकि पूर्वजों के लंबे संघर्ष के बाद प्राप्त हुई आज़ादी को नुकसान न पहुंचे।