RSS प्रचारक के रिश्तेदारों को नौकरियाें की वायरल फर्जी लिस्ट पर FIR दर्ज, पूर्व CM हरीश रावत ने नहीं हटायी पोस्ट, वाकई घटनाक्रम से हैं अनभिज्ञ हैं?

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर यादव द्वारा अपने नजदीकी 52 रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी और कई को सरकारी विभागों में ठेका दिलाए जाने की वायरल हो रही सूची को फर्जी बताते हुए इस पर शनिवार को देहरादून के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज किया जा चुका है...

Update: 2022-09-17 14:59 GMT

Uttarakhand Bharti Ghotala : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर यादव द्वारा अपने रिश्तेदारों को नौकरियां दिलाने की वायरल फर्जी लिस्ट पर मुकदमा दर्ज होने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया से अपनी पोस्ट नहीं हटाई है।


मालूम हो कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर यादव द्वारा अपने नजदीकी 52 रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी और कई को सरकारी विभागों में ठेका दिलाए जाने की वायरल हो रही सूची को फर्जी बताते हुए इस पर शनिवार को देहरादून के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। संघ पदाधिकारियों ने इस मामले में प्रदेश के डीजीपी अशोक कुमार से मिलकर संघ की छवि खराब करने का भी आरोप लगाया है। संघ की इस सक्रियता की वजह से कई लोग सोशल मीडिया पर यह पोस्ट डिलीट कर चुके हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की फेसबुक पोस्ट मुकदमा दर्ज होने के बाद भी जस की तस है।



अपनी फेसबुक पोस्ट में हरीश रावत ने जिस सूची को फर्जी बताया जा रहा है, पोस्ट करते हुए लिखा है कि "कुछ खोजी लोगों ने 20 ऐसी #सूचियां मेरे पास भेजी हैं, जिनमें से दो सूचियों को मैं आपके संज्ञानार्थ अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर रहा हूं। पिछले पांच-छह साल में ऐसी सैकड़ों नियुक्तियां हुई हैं जो नियुक्तियां नहीं हो सकती हैं। स्पष्ट तौर पर उत्तराखंड के लोगों का हक मारकर के प्रभावशाली लोगों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके अपने निकटस्थ व परिवार के लोगों की नियुक्तियां की हैं। उसी तरीके से किस प्रकार से ठेके दिलवाए गए हैं, जिसमें पीडब्ल्यूडी, इरीगेशन, यूपीसीएल और यदि विभागों के अंदर साज-सज्जा सामान खरीद आदि के ठेके हैं, वह सारी लिस्टें यदि संज्ञान में आ जाएं तो किस तरीके से पिछले 6 सालों के अंदर उत्तराखंड लूटा है या लूटवाया गया है, उसकी एक तस्वीर आपके सामने आ जाएगी और मैं उम्मीद कर रहा हूं कि कुछ और खोजी लोग और गहराई तक जाकर सत्य को उजागर करेंगे। निर्माण वाले विभागों में एनुअल टर्नओवर के नाम पर हमारे लोग ठेकेदार नहीं, किटकनदार बनकर रह गए हैं। हमारे जमीनों पर रिजॉर्ट बन रहे हैं, हम चौकीदार बन रहे हैं। सरकारी विभागों में पद खाली हो रहे हैं, अस्थाई नियुक्तियों के नाम पर गैर हकदार लोगों को नियुक्तियां दे दी जा रही हैं।"




वैसे हरीश रावत द्वारा यह सब पोस्ट करने का समय देखा जाए तो वह 3 घंटे पहले का बता रहा है, जबकि इस मामले में मुकदमा दोपहर बाद दर्ज किया जा चुका है। कुल मिलाकर जिस समय हरीश रावत यह पोस्ट डाल रहे थे, करीब उसी समय लोग फर्जी सूची पर मुकदमा दर्ज होने की जानकारी मिलने पर अपनी पोस्ट डिलीट कर रहे थे। सवाल यह है कि क्या इतने बड़े दिग्गज नेता के पास ऐसे भी लोगों का अभाव है जो उन्हें करंट अफेयर्स की भी जानकारी समय से नहीं दे रहे, या हरदा का यह भी कोई नया पैंतरा है ?

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