Uttarakhand Congress : चुनावी हार के बाद अब कांग्रेस की घात-प्रतिघात में फंसा नेता-प्रतिपक्ष का पद
Uttarakhand Congress : हार के तत्काल बाद पार्टी में एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ तो इसके पहले शिकार बने प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, प्रदेश अध्यक्ष पद से गोदियाल की विदाई को हरीश रावत कैम्प के झटका माना जा रहा था.....
सलीम मलिक की रिपोर्ट
Uttarakhand Congress : विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election) में पार्टी की करारी हार के बाद भी एक-दूसरे की निपटाने पर आमादा कांग्रेस (Congress) नेताओं के घात-प्रतिघात का नया केंद्र नेता विपक्ष का पद बनने वाला है। उत्तराखंड में 29 मार्च से नई विधानसभा का पहला सत्र शुरू हो रहा है, इससे पहले ही पार्टी को नेता-प्रतिपक्ष पद पर किसी विधायक को चुनना है। विधानसभा सत्र में दो दिन बाकी हैं लेकिन कांग्रेस में अभी तक नेता-प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर नहीं लग सकी है। इस पद के लिए कांग्रेस राज्य में प्रीतम सिंह गुट और हरीश रावत गुट फिर एक बार आमने सामने हैं।
हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस दिग्गज नेता हरीश रावत (Harish Rawat) ने खुले तौर ऐलान किया था 'या तो वह मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर घर बैठेंगे।' वैसे तो हरीश रावत की यह घोषणा पार्टी को बहुमत मिलने की स्थिति में खुद को मुख्यमंत्री बनाये जाने के लिए कांग्रेस हाईकमान को दवाब में लेने के लिए की गई थी। लेकिन नियति का करना यह हुआ कि कांग्रेस चुनाव ही बुरी तरह हार गई। ऐसे में हरीश रावत की उम्र को देखते हुए समझा जा रहा था कि इन परिस्थितियों में हरदा अब खुद ही घर बैठ जाएंगे। लेकिन चुनावी हार के बाद भी न तो हरदा घर बैठे और न ही कांग्रेस क्षत्रपों में खींची हुई तलवारें म्यान में रखी जा सकी।
हार के तत्काल बाद पार्टी में एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ तो इसके पहले शिकार बने प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल (Ganesh Godiyal)। प्रदेश अध्यक्ष पद से गोदियाल की विदाई को हरीश रावत कैम्प के लिए झटका माना जा रहा था। ऐसे में हरीश कैम्प पिछली विधानसभा के नेता-प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह (Pritam Singh) को इस बार इस पद से विदा करके गोदियाल झटके का बदला लेने की जुगत में है। प्रीतम सिंह को नेता-प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस में मजबूत दावेदार माना जा रहा है, लेकिन हरीश रावत गुट इसका विरोध कर रहा है।
कांग्रेस की हार के बाद बदले सियासी समीकरण में प्रीतम सिंह नेता-प्रतिपक्ष के लिहाज से जहाँ अपने गुट के इकलौते विधायक हैं। तो वहीं हरीश रावत गुट के पास गढ़वाल मण्डल से राजेन्द्र भंडारी तो कुमाउं मण्डल से हरीश धामी और यशपाल आर्य नेता प्रतिपक्ष के रूप में दावेदार है। हरीश रावत गुट से जुड़े विधायक हरीश धामी ने तो बाकायदा नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर दावा भी कर दिया है। धामी धारचूला से कांग्रेस विधायक हैं और वह लगातार विधानसभा चुनाव जीतते रहे हैं। चुनाव के बाद उन्होंने नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के लिए दावा किया है। धामी ने कांग्रेस नेतृत्व को इसके लिए धमकी तक दे डाली है।
धामी ने कहा कि अगर कांग्रेस उन्हें नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं करती है तो वह पार्टी में अपने भविष्य को लेकर विचार करेंगे। धामी की इस चेतावनी को प्रीतम के लिए खतरे की घण्टी के तौर पर देखा जा रहा है। धामी के साथ ही किच्छा से चुनाव जीतने वाले हरीश रावत कैम्प के तिलकराज बेहड़ भी नेता प्रतिपक्ष के दावेदार हैं। बदले समीकरण में जिस प्रकार प्रीतम कैम्प कमजोर दिख रहा है, उस हालत में लगता नहीं कि प्रीतम अपनी ताजपोशी नेता-प्रतिपक्ष पद पर दुबारा करवाने में सफल होंगे। कुल मिलाकर अगले दो दिन कांग्रेस क्षत्रपों में नेता-प्रतिपक्ष पद के लिए तलवारें खींची रहने की उम्मीद है।