उत्तराखंड में 24 घण्टे शराब की दुकान खोलने का फैसला, उपपा ने बताया थाईलैंड संस्कृति तो इंकलाबी मजदूर केंद्र ने भी किया विरोध
उत्तराखंड राज्य में 31st और न्यू ईयर का जश्न मनाने के लिए देश भर से आने वाले लाखों सैलानियों को सुविधा दिए जाने के नाम पर अगले साल की दो तारीख तक राज्य में शराब की दुकानें 24 घण्टे खोले जाने की इजाजत दी है...
Dehradun news : नए साल का जश्न निर्विघ्न मनाने के लिए प्रदेश में शराब की दुकानों को 24 घण्टे खोले जाने के आदेश को राज्य के सांस्कृतिक ढांचे के साथ खिलवाड़ करने वाला बताते हुए इसे वापस लिए जाने की मांग की है।
बता दे कि उत्तराखंड राज्य में 31st और न्यू ईयर का जश्न मनाने के लिए देश भर से आने वाले लाखों सैलानियों को सुविधा दिए जाने के नाम पर अगले साल की दो तारीख तक राज्य में शराब की दुकानें 24 घण्टे खोले जाने की इजाजत दी है। इस मौके पर प्रदेश के विभिन्न पर्यटक स्थलों पर लाखों लोगों के पहुंचने की संभावना के चलते पूर्व में प्रदेश के पर्यटन विभाग ने राज्य के सभी होटल, रेस्टोरेंट, खाने पीने और चाय आदि की दुकानें 24 घंटे खोलने की अनुमति दी थी।
इसके साथ ही पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटकों को सुविधा उपलब्ध कराए जाने के लिए सभी शराब की दुकानों को निर्धारित अवधि से अधिक समय तक शराब की दुकानें खोले रखे जाने की आवश्यकता संबंधी प्रस्ताव शासन को दिया था। पर्यटन विभाग के इस प्रस्ताव पर शासन के सचिव हरि चंद्र सेमवाल ने हरी झंडी देते हुए राज्य के आबकारी आयुक्त को इस बाबत पत्र लिखकर पर्यटन विभाग के प्रस्ताव को आबकारी विभाग के लिए भी संशोधित करने की जानकारी दी है। शासन के इस निर्णय के बाद अब प्रदेश में 30 दिसंबर से 2 जनवरी तक शराब की दुकानें भी फुल टाइम यानी 24 घंटे खुले रखने की इजाजत मिल गई है।
नशाखोरी को बढ़ावा देने वाले फैसले को सरकार वापस ले
नववर्ष पर पर्यटकों की सुविधा के नाम पर 30 दिसंबर से 2 जनवरी तक शराब के ठेकों को चौबीसों घंटे खोलने के उत्तराखंड सरकार के फैसले को नशाखोरी व अपराध को बढ़ावा देने वाला बताते हुए बताते हुए इंकलाबी मजदूर केंद्र ने इसे तत्काल वापस लिए जाने की मांग की है। संगठन के केंद्रीय महासचिव रोहित रुहेला ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा कि हम पतित उपभोक्तवादी संस्कृति से सराबोर उत्तराखंड सरकार की पर्यटन नीति की पुरजोर आलोचना करते हैं। इसके तहत आज पहाड़ों को ऐशगाह में तब्दील किया जा रहा है। बड़े रिज़ॉर्ट और होटल मालिक अमीर सैलानियों की ऐश के लिये नशे और देह व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं। जबकि इन्हीं बड़े रिज़ॉर्ट और होटलों में श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन किया जाता है और होटल वर्कर्स का खुलेआम शोषण किया जाता है। हालिया अंकिता भंडारी हत्याकांड भी सरकार की इसी पतित भ्रष्ट पर्यटन नीति का ही परिणाम था। इसलिए सरकार उत्तराखंड में नशाखोरी और अपराध को बढ़ावा देने वाले इस फैसले को तत्काल वापस ले।
उत्तराखंड को थाईलैंड बनाना चाहती है भाजपा सरकार
जबकि राज्य में पर्यटन के नाम पर थोपे जा रहे इस थाईलैंड मॉडल को राज्य की जनता से स्वीकार नहीं करने की अपील करते हुए उपपा ने भी इसका विरोध किया है। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रधान महासचिव प्रभात ध्यानी ने प्रेस को जारी बयान में प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की धामी सरकार द्वारा न्यू इयर्स सेलिब्रेशन के नाम पर शराब की दुकानों को 24 घंटे खोलने की अनुमति देने वाले आदेश को देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति को नष्ट करने वाला बताया है।
ध्यानी ने कहा है कि पर्यटन मंत्रालय द्वारा न्यू इयर्स के सेलिब्रेशन के लिए उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के लिए 24 घंटे शराब की दुकानों को खोलने के आदेश से भारतीय संस्कृति एवं संस्कार की बात करने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक एवं भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाली थामी सरकार का चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो गया है। इससे पहले भी कोरोना काल में भी भाजपा सरकार का यह वीभत्स चेहरा उस समय बेनकाब हो चुका है जब उसके द्वारा आवश्यक दुकानों, मेडिकल स्टोरों को बंद करवाते हुए शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई थी। इसके बाद अब न्यू ईयर सेलिब्रेशन के नाम पर शराब की दुकानों को 24 घंटे खोलने की आदेश स्पष्ट हो गया कि भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड को थाईलैंड बनाना चाहते हैं, जिसे प्रदेश की जनता कभी भी स्वीकार नहीं करेगी।