Uttarakhand Election 2022 : हरीश रावत को गाली देने पर कांग्रेस हेडक्वार्टर देहरादून में मारपीट, प्रीतम गुट को तवज्जो से यहां तक पहुंचा विवाद

Uttarakhand Election 2022 नई दिल्ली में इस समय कांग्रेस आलाकमान विवाद को सुलझाने के लिए प्रदेशस्तरीय नेताओं के साथ बैठक कर रहा है तो ठीक उसी समय उत्तराखंड कांग्रेस के देहरादून स्थित प्रदेश कार्यालय में गुटबाजी का शिकार बने पार्टी के नेता एक-दूसरे के साथ गाली-गलौच करते हुए मारपीट कर रहे हैं।

Update: 2021-12-24 08:32 GMT

देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस में चल रहे विवाद के मद्देनजर जहां एक ओर नई दिल्ली में इस समय कांग्रेस आलाकमान विवाद को सुलझाने के लिए प्रदेशस्तरीय नेताओं के साथ बैठक कर रहा है तो ठीक उसी समय उत्तराखंड कांग्रेस के देहरादून स्थित प्रदेश कार्यालय में गुटबाजी का शिकार बने पार्टी के नेता एक-दूसरे के साथ गाली-गलौच करते हुए मारपीट कर रहे हैं।

प्रीतम सिंह और हरीश रावत के समर्थक भिड़े

ताजा अपडेट के मुताबिक उत्तराखंड कांग्रेस मुख्यालय पार्टी के अलग-अलग गुटों के बीच गाली गलौज अचानक मारीपट में तब्दील हो गया। मारपीट की शुरुआत एक कार्यकर्ता द्वारा हरीश रावत को गाली देने के कारण हुआ। हरीश रावत को गाली देने के बाद मौके पर मौजूद हरीश रावत व सीएलसी लीडर प्रीतम सिंह के समर्थकों में जोरदार भिड़ंत हो गई।

कांग्रेस हेडक्वार्टर में तनाव का माहौल

देखते ही देखते दोनो पक्षों में हो रही तू-तू मैं-मैं लात घूंसों में बदल गई, जिसकी चपेट में पार्टी के प्रदेश महामंत्री राजेंद्र शाह कार्यकर्ताओं के हाथों बुरी तरह पिटने की खबर है। इस आपसी झड़प में कई और नेताओं के साथ भी मारपीट की सूचना आ रही है। खबर भेजे जाने तक प्रदेश कार्यालय का माहौल बेहद तनावपूर्ण बना हुआ था।

बातचीत से ही निकला समाधान

दूसरी तरफ संगठन महामंत्री मथुरा दत्त जोशी ने कहा है कि इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए। पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर विवादित मुद्दों को बातचीत से सुलझाना चाहिए। बातचीत से ही समस्या का समाधान निकलेगा।

बता दें कि छत्तीसगढ़ और पंजाब के बाद अब उत्तराखंड में चुनाव से पहले कांग्रेस में कलह शुरू हो गई है। खुद को अलग-थलग किए जाने के बाद राज्य के पूर्व CM हरीश रावत ने बुधवार को ट्वीट के जरिए दर्द बयां किया। इसके बाद से इस पहाड़ी राज्य की सियासत में हलचल मची हुई है।

उपेक्षा से नाराज है हरीश रावत का गुट

बताया जा रहा है कि पंजाब के तत्कालीन CM कैप्टन अमरिंदर सिंह की तर्ज पर हरीश रावत को भी दरकिनार किया जा सकता है। कांग्रेस किसी चेहरे के दम पर नहीं, बल्कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। हरीश रावत गुट उन्हें ही CM का चेहरा घोषित किए जाने पर अड़ा हुआ है। पंजाब कांग्रेस में कामयाब ऑपरेशन चलाने वाले हरीश रावत को ऐसा लग रहा था कि उनके नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। उन्हें तोहफा देने की बजाय उनके लिए मुश्किलें पैदा कर दी गई हैं।

प्रीतम सिंह को तवज्जो क्यों?

कांग्रेस आलाकमान के इशारे के बाद रावत गुट के विरोधियों और खास तौर पर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को ज्यादा अहमियत दी जा रही है।

Tags:    

Similar News