Uttarakhand Election 2022 : कांग्रेस में तालमेल के लिए "थर्ड अंपायर" एंट्री की सुगबुगाहट

Uttarakhand Election 2022 : हरीश रावत और अशोक गहलोत के बीच अच्छे संबंध बताए जाते हैं। जब राजस्थान में चुनाव हुए थे तब देवेंद्र यादव राजस्थान में चुनाव प्रभारी बनाए गए थे। अविनाश पांडे भी वहां पर चुनाव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

Update: 2021-12-25 03:37 GMT

उत्तराखंड कांग्रेस में भूचाल के बाद अब डैमेज कंट्रोल के तहत थर्ड अंपायर की एंट्री हो सकती है।

देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस ( Uttarakhand Congress ) की अंदरूनी राजनीति में हुई उठक-पटक के बाद चुनावी समीकरण प्रभावित होने की आशंका के मद्देनजर राज्य में "थर्ड अंपायर" ( Third umpire ) की एंट्री हो सकती है। ऐसा इसलिए कि प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ( Devendra Yadav ) व चुनाव अभियान समिति के मुखिया हरीश रावत ( Harish Rawat ) के बीच खींची राजनैतिक तलवारें भले ही वक्ती तौर पर म्यान में चली गई हों, लेकिन टिकट वितरण के दौरान एक बार फिर दोनों के बीच टकराव की संभावनाएं बनी हुई हैं। जिसकी काट के लिए कांग्रेस आलाकमान द्वारा प्रदेश में एक नई थर्ड पार्टी यानि थर्ड अंपायर एंट्री की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं।

अशोक गहलोत हो सकते हैं थर्ड अंपायर

कांग्रेस में हरदा की उपेक्षा और एक दिन पहले प्रदेश कांग्रेस हेडक्वार्टर में मारपीट की घटनाओं के बाद चर्चाओं पर गौर करें तो "चुनाव प्रभारी" अथवा "चुनाव पर्यवेक्षक" नाम की इस नई राजनैतिक पोस्ट पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) की नियुक्ति "थर्ड अंपायर" के तौर पर होने की संभावना है। विधानसभा चुनाव के अभियान को गति देने के साथ ही प्रदेश की गुटबाजी पर नियंत्रण रखने के लिहाज से आलाकमान की ओर से राजनैतिक रूप से अनुभवी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को देवेन्द्र यादव व हरीश रावत के सामने बतौर थर्ड पार्टी नियुक्त किया जा सकता है।

करीबियों को टिकट दिलाना असली लड़ाई

इस कवायद के पीछे आलाकमान का मानना है कि पार्टी के लिए टिकट वितरण व उसके बाद का चुनावी कैम्पेन खासा महत्त्वपूर्ण है। हरीश रावत भले ही इस कैम्पेन का मुख्य चेहरा होंगे, लेकिन असली लड़ाई अब अपने करीबियों को टिकट दिलाने के लिए लड़ी जाएगी। ऐसे में यदि किसी एक गुट ने भी गुटबाजी को जरा भी हवा देने की कोशिश की तो बना-बनाया खेल खराब हो सकता है। इसके साथ ही थर्ड अंपायर की मौजूदगी से दोनो ही टीमों पर न केवल लगाम लगी रहेगी बल्कि दोनों में से किसी भी टीम को न तो दूसरे टीम से पराजय की और न ही विजय की अनुभूति होगी। जिससे चुनाव में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होगा।

मनमुटाव को थामने की कोशिश

Uttarakhand Election 2022 :  दोनों ही टीमों को एक साथ लाने के साथ-साथ टीमों में चल रहे मनमुटाव को भी थामने की कोशिश अशोक गहलोत जैसा मंझा हुआ नेता ही कर सकता है। इस कदम से न केवल प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर लगाम कसी रहेगी वही हरीश रावत गुट पर भी पूरी तरीके से नजर रखने का काम हो सकेगा।

हरदा के हैं गलहोत से अच्छे संबंध

वैसे हरीश रावत और अशोक गहलोत के बीच अच्छे संबंध बताए जाते हैं। जब राजस्थान में चुनाव हुए थे तब देवेंद्र यादव राजस्थान में चुनाव प्रभारी बनाए गए थे। अविनाश पांडे भी वहां पर चुनाव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। कुल मिलाकर यदि आलाकमान थर्ड अंपायर के रूप में उत्तराखंड में अशोक गहलोत की एंट्री करवाता भी है तो चुनाव अभियान से जुड़े सभी प्रमुख लोग एक-दूसरे की कार्यशैली से पूरी तरह परिचित ही होंगे। जो कि आपसी समन्वय ज्यादा बेहतर ढंग से स्थापित कर सकते हैं।

Similar News