Mallikarjun Kharge की संचालन समिति में हरीश रावत को बड़ी जिम्मेदारी, प्रदेश से इकलौते सदस्य के रूप में शामिल
अपने निर्वाचन के 24 घंटे में ही नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी चलाने के लिए जिन नामों की संचालन समिति की घोषणा की है, उसमें सबसे ज्यादा हैरानी हरीश रावत के नाम को ही लेकर है...
Dehradun news : उत्तराखंड कांग्रेस के सर्वोच्च नेता के रूप में जाने जाने वाले नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भले ही चुनावी कलाबाजियों में अपने आप को बड़ा खिलाड़ी साबित न कर पा रहे हों, लेकिन केंद्रीय संगठन में उनका आज भी खास दखल है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की नई टीम में प्रदेश से इकलौते सदस्य के रूप में शामिल हरीश रावत ने फिर अपनी इसी पकड़ को साबित किया है।
गांधी परिवार के प्रति वफादार रहने वाले हरीश रावत कई चुनावी असफलताओं के बाद भी उत्तराखंड कांग्रेस के केंद्र में बने हुए हैं। हर चुनावी चूक के साथ ही उनके राजनीति में कमजोर होने की बात कही जाती है। लेकिन हरीश रावत इस बात को हमेशा गलत साबित करते रहते हैं। मीडिया की सुर्खियों के लिए हरीश रावत को सड़क पर जलेबी तलनी पड़ें या बुढ़ापे में फुटबॉल खेलने मैदान में उतरना पड़ा हो, हरीश रावत ने कभी भी किसी गतिविधि से गुरेज नहीं किया।
कांग्रेस के मुख्य विपक्षी दल को सांसत में डालने के लिए उनके पास "उत्तराखंडियत" का मुद्दा भी है, जिसे वह यदा कदा अपने तरकश से निकालकर उसके माध्यम से भाजपा को घेरने की कोशिश भी करते रहते हैं। हालांकि इन सारी कवायद का हरीश रावत को कोई ऐसा नतीजा हासिल तो न हो सका, जिस बाबत वह यह सब करते रहे। उनके जैसे कद का आदमी चुनावी मोर्चे पर जिस तरह से हर बार बुरी तरह जख्मी हुआ, उससे उनकी राजनीति के अवसान की घोषणा करते हुए उन्हें सन्यास तक लेने की सलाह दी जाती रही है।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान खुद हरीश रावत में राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष न बनने की सूरत में पार्टी की राजनीति से विरक्त होने के इशारे दिए थे, जिसकी रोशनी में पार्टी के नए अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे की सदारत में हरीश रावत की राजनीति के युग के खात्मे की ही उम्मीद लगाई जा रही थी, लेकिन अपने निर्वाचन के 24 घंटे में ही नए अध्यक्ष ने पार्टी चलाने के लिए जिन नामों की संचालन समिति की घोषणा की है, उसमें सबसे ज्यादा हैरानी हरीश रावत के नाम को ही लेकर है।
बुधवार 26 अक्टूबर को राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल खड़गे की राष्ट्रीय स्टीयरिंग कमेटी की जो घोषणा की है उसमें रावत की एंट्री से रावत खेमे में जबरदस्त उत्साह का माहौल है। इस नियुक्ति से रावत ने कांग्रेस की केंद्रीय राजनीति में अपना मजबूत दखल एक बार फिर से न केवल साबित किया है, बल्कि प्रदेश से रावत युग की समाप्ति चाहने वालों को भी झटका दे दिया है। हालांकि तकनीकी तौर पर उत्तराखंड के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर भी हाईकमान ने भरोसा जताया है। यादव का नाम भी संचालन समिति वाली इस लिस्ट में शामिल है, लेकिन उनका यह चयन दिल्ली कोटे से माना जा रहा है।
उम्र के इस पड़ाव पर कांग्रेस की केंद्रीय संचालन समिति का हिस्सा बने हरीश रावत वैसे तो शुरू से ही कांग्रेस हाईकमान की आंखों के तारे रहे हैं, लेकिन कई कई चुनावी असफलताओं के बाद भी मैदान में अड़े रहकर लगातार सक्रियता ही इस बार उनके लिए खेवनहार साबित हुई है। यही वजह रही है कि पिछले दो विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव में उनका प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं न रहने के बाद भी उनके राजनीतिक अनुभव और कौशल से कायल रहने वाले पार्टी नेतृत्व ने उम्रदराज होने के बावजूद रावत को नई टीम में युवाओं पर तरजीह दी।