उत्तराखण्ड : अपनी ही सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ हल्द्वानी में धरने पर बैठे भाजपाई मंत्री बंशीधर भगत

कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत के अपनी ही सरकार ​के खिलाफ धरने पर बैठना इस बात का इशारा है कि अगर मंत्री को ही धरना-प्रदर्शन का सहारा लेना पड़े तो ऐसी राजनीति से भला क्या फायदा और आम जनता की आवाज कौन सुनेगा...

Update: 2021-09-11 08:21 GMT

सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ उत्तराखण्ड भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत को देना पड़ा रात को धरना

सलीम मलिक की रिपोर्ट

हल्द्वानी, जनज्वार। यूँ तो धरना-प्रदर्शन करना राजनीतिक लोगों का काम है। विपक्ष के लोग किसी न किसी मुददे पर सरकार की बखिया उधेड़ने के लिए धरने-प्रदर्शन करते रहते हैं। सत्ताधारी दल के छिटपुट कार्यकर्ता भी कभी-कभार सरकार से ऐसे ही नाराजगी व्यक्त करते हैं। लेकिन क्या हो, जब 'सरकार' ही खुद अपने अधिकारियों के खिलाफ धरने पर बैठ जाये!

दस्तूर से हटकर यह कारनामा हुआ उत्तराखण्ड (Uttarakhand) के हल्द्वानी (Haldwani) में, जहां सरकारी अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ प्रदेश के कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत (Cabinet Minister Banshidhar Bhagat) ही ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गये। स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन के दौरान मौके पर पहुंचे कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत (Cabinet Minister Banshidhar Bhagat) ने कल शुक्रवार 10 सितंबर को रात के अंधेरे में करीब एक घण्टे तक धरना दिया।

दरअसल हल्द्वानी के मानपुर पश्चिम क्षेत्र में नई कॉलोनी डेवलप हो रही हैं। यहां बिजली विभाग की हाईटेंशन लाइन (hightension line) भी गुजर रही है। कॉलोनी डेवलप करने वाले लोग 'ठीक-ठाक' हैं तो बिजली विभाग उनकी सुविधा के इस लाइन को यहां से शिफ्ट कर रहा है। किसी के लिए सुविधाजनक विभाग का यह काम किसी के लिए असुविधाजनक साबित हो रहा है। इस लाइन को शिफ्ट करके विभाग जहां से निकाल रहा है, वहां के लोग इस हाईटेंशन लाइन का विरोध कर रहे हैं। लेकिन ग्रामीणों के विरोध को दरकिनार कर विभाग अपना काम जारी रखे हुए है।

शुक्रवार 10 सितंबर को भी बिजली का पोल शिफ्ट करने को लेकर स्थानीय लोगों और ऊर्जा निगम के अफसरों के बीच काफी विवाद हुआ। इस वजह से क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति भी बाधित रही। लोगों के विरोध के चलते कल 10 सितंबर की शाम 5 बजे ऊर्जा निगम की टीम को वापस लौटना पड़ा।

शुक्रवार 10 सितंबर की देर रात भी काम के दौरान विभाग ने इस पूरे इलाके की बत्ती गुल कर दी, जिस पर पहले ही विभागीय अधिकारियों से गुस्साए ग्रामीणों ने इकटठे होकर विभाग के खिलाफ धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। जानकारी मिलने पर रात करीब 10:30 बजे कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत भी मौके पर पहुंच गये। ग्रामीणों ने जब उन्हें विभाग की तानाशाही के बारे में बताया तो कैबिनेट मंत्री भी ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गए। मंत्री के धरने पर बैठते ही अधिकारियों में हड़कंप मच गया।

हल्द्वानी से लेकर प्रदेश की राजधानी देहरादून तक मामला गूंजने के बाद ऊर्जा निगम पूरी टीम की टीम ने मौके पर जाकर माफी मांगते हुए लाइन शिफ्टिंग पर ग्रामीणों की बात सुनने का आश्वासन दिया तो उसके बाद ही मंत्री इस धरने से उठे।

बंशीधर भगत भाजपा (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष थे, तब भी वह कांग्रेस (Congress) के खिलाफ भाजपा के प्रदेश कार्यालय में धरने पर बैठे थे। लेकिन सत्ता में रहते हुए वे बीच-बीच में विपक्ष वाली आदतों को भी भूलना नहीं चाहते।

मगर असल सवाल यह है कि उत्तराखण्ड में यदि कैबिनेट स्तर के मंत्री तक को सरकारी अधिकारियों के खिलाफ धरने पर बैठने की नौबत आ रही है तो आम जनता की क्या स्थिति होगी, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। बहरहाल, लोग चटखारे लेकर यह भी कह रहे हैं कि अगर खुद 'सरकार' हुए भी मंत्रियों की बात न सुनी जाये और उन्हें भी धरने-प्रदर्शन का सहारा लेना पड़े तो ऐसी राजनीति करना ही बेकार है।

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