बैकडोर से भर्ती के आरोपों में घिरे धामी के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने रात के अंधेरे में 6 दर्जन विवादित तबादले कर पत्नी के साथ जर्मनी की भरी उड़ान

Uttarakhand Bharti Ghotala : बतौर शहरी विकास विभाग मंत्री अग्रवाल अपने विभाग के रातोंरात 6 दर्जन तबादले कर सुबह पहली ही उड़ान से पत्नी और अधिकारियों के साथ स्टडी टूर के बहाने जर्मनी रवाना हो गए, तबादला सूची में कई नाम विवादित थे तो कई को उनके वर्तमान पद से ऊंचे पद पर तैनाती दे दी गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने इस तबादला सूची पर ब्रेक लगा दिया है....

Update: 2022-09-18 17:15 GMT

विवादों में घिरे कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का हाल : रात के अंधेरे में तबादले कर पत्नी और अधिकारियों के साथ जर्मनी की उड़ान भरी, सीएम धामी ने लगा दी रोक (photo : FB)

Uttarakhand Bharti Ghotala :  विधानसभा सचिवालय में बैकडोर से भर्तियां कर अपने परिजनों को लाभ पहुंचाने और खुलेआम स्वीकारोक्ति करने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व वर्तमान कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल का एक और कारनामा सामने आया है। बतौर शहरी विकास विभाग मंत्री अग्रवाल अपने विभाग के रातोंरात 6 दर्जन तबादले कर सुबह पहली ही उड़ान से पत्नी और अधिकारियों के साथ स्टडी टूर के बहाने जर्मनी रवाना हो गए। तबादला सूची में कई नाम विवादित थे तो कई को उनके वर्तमान पद से ऊंचे पद पर तैनाती दे दी गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने इस तबादला सूची पर ब्रेक लगा दिया है।

बता दें कि उत्तराखंड में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं वर्तमान में शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल विधानसभा में बैकडोर से भर्ती के आरोपों से घिरे हुए हैं। बवाल मचने पर इसकी जांच विधानसभा अध्यक्ष की ओर से की जा रही है। फिलहाल जांच रिपोर्ट के लिए एक माह का समय रखा गया है।


अब इन्हीं प्रेमचंद्र अग्रवाल ने बतौर शहरी विकास मंत्री ने रातों रात 12 अधिशासी अधिकारियों के साथ ही 74 तबादले एक झटके में कर दिए। मिली जानकारी के मुताबिक कल शनिवार की देर रात शासन के अफसरों को मंत्री ने ऋषिकेश बुलाया और तबादलों की इस फाइल में दस्तखत कर बिना देरी के तबादले के आदेश जारी करने को कहा। इसके बाद आज रविवार को मंत्री अपनी पत्नी व अपर मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन और निदेशक नवनीत पांडे के साथ जर्मनी की उड़ान भरकर भारत से निकल गए।

इस तबादला सूची पर एक नजर मारने भर से ही इसमें घपले की बू दूर से ही आ रही थी। इसीलिए इसमें पारदर्शिता का इतना अभाव रखा गया कि मुख्यमंत्री तक को इस निर्णय की जानकारी नहीं होने दी गई। यह स्थिति तब है जब अग्रवाल की बतौर विधानसभा अध्यक्ष की गई भर्तियों के मामले में राजनैतिक हलकों में उनकी कैबिनेट मंत्री पद से विदाई तय मानी जा रही है।

ऐसे में तबादलों की भनक लगते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तबादलों की इस लिस्ट पर रोक लगा दी है। सीएम ने इस तबादला प्रकरण की तत्काल मुख्य सचिव डॉ सुखबीर सिंह संधू, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और प्रभारी शहरी विकास सचिव दीपेंद्र चौधरी से रिपोर्ट तलब की। तबादलों की पुष्टि होने के बाद पुष्कर ने पूरी लिस्ट ही रोक देने के आदेश दिए। दोपहर बाद आदेश जारी हो गए।

तबादलों की जद में कई अधीक्षक, इंस्पेक्टर और तमाम छोटे-बड़े कर्मचाई आए थे। कई कर्मचारी ऐसे थे, जिन्हें तबादले के दौरान वर्तमान पद के सापेक्ष ऊंचे पदों पर तबादला दिया गया था। इसमें भी एक हैरानी की बात यह थी कि तबादला आदेश भले ही छुट्टी के दिन आज रविवार को जारी हुआ हो लेकिन तबादले से संबन्धित अफसरों कर्मचारियों को देर रात ही उनके तबादले की सूचना दे दी गई थी। जिसके चलते इस तबादले से लाभान्वित होने वाले कर्मचारियों ने नई तैनाती स्थान पर जाने के लिए अपना सामान तक पैक कर लिया था।


क्या है जर्मनी का स्टडी टूर ?

उत्तराखंड राज्य की स्थापना के साथ ही यहां की नौकरशाही ने सरकारी खर्चे पर विदेश में मटरगश्ती करने का एक फार्मूला स्टडी टूर का विकसित किया हुआ है। इस स्टडी टूर में होता तो कभी कुछ है नहीं लेकिन नौकरशाहों की फौज के विदेश घूमने के अरमान पूरे हो जाते हैं। इस फार्मूले के तहत संबंधित विभाग में कुछ योजनाएं का खाका तैयार किया जाता है। फिर इन योजनाओं में आने वाली तकनीकी अड़चनों को समझने के लिए विदेश में अध्ययन भ्रमण का कार्यक्रम बनाया जाता है। क्योंकि इस कार्यक्रम में संबंधित विभाग के मंत्री को उनके परिवार के साथ शामिल कर लिया जाता है तो संबंधित मंत्रालय से इस टूर की वित्तीय स्वीकृति मिल जाती है।


यहां यह बात खास तौर पर गौर करने की है कि अधिकारियों का कार्यकाल तो फिर भी इस लायक समझा जा सकता है कि वह इस भ्रमण से कुछ सीखकर आयेंगे तो प्रदेश को उनके अनुभवों का लाभ मिल सकेगा। लेकिन पांच साल के लिए चुनकर आए मंत्रियों के अनुभव का लाभ सत्ता बदलने पर कैसे मिल पाएगा, इसका कोई जवाब नहीं है। लेकिन उत्तराखंड राज्य निर्माण के समय से ही यहां नौकरशाही इतनी हावी रही है कि ऐसे सवाल न तो राजनीति से उठते हैं और न ही जनता के बीच से। जिस कारण उत्तराखंड के किसी न किसी विभाग की नौकरशाही कभी मंत्री के तो कभी बिना मंत्री (अपवाद) के अध्ययन के लिए विदेश भ्रमण पर जाती रहती है।

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