Varansi News : Modi की जनसभा के लिए प्रशासन ने काटी खड़ी लहलहाती फसल, किसानों का आरोप- नहीं मिला उचित मुआवजा

Varansi News : वाराणसी के जिलाधिकारी के मुताबिक सभी किसानों को चेक से मुआवजा मिल गया है जो बाकी हैं उन्हें 1 -2 दिन मिल जाएगा। लेकिन किसानों की समस्या मुआवजा मिलना नहीं बल्कि मुआवजा कम मिलना है।

Update: 2021-10-21 14:30 GMT

( किसानों का आरोप : जनसभा के लिए हमारे खेत की उपजाऊ मिट्टी निकालकर जमीन का समतलीकरण करवा रहे अधिकारी, मुआवजा दिया आधा अधूरा )

Varansi। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की वाराणसी (Varansi) में जनसभा के लिए प्रशासन ने 40 बीघा खेत पर खड़ी फसल को काट दिया है। वहीं किसान इसका विरोध कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि इसके लिए तय मानक के मुताबिक उन्हें पूरा मुआवजा नहीं दिया गया। किसानों का कहना है कि 1 बीघे में फसल का 1940 रुपए का चेक देकर खेत में कच्ची फसल काटने का काम शुरू कर दिया गया। जबकि मानक के मुताबिक इससे ज्यादा पैसा मिलना चाहिए था।

किसानों (Farmers)  का कहना है कि 1 बीघे खेत में धान की 16 क्विंटल फसल की कीमत दी जानी चाहिए, जबकि प्रति बीघा मुआवजा केवल 10 क्विंटल के हिसाब से दिया गया है। किसानों ने अपने पूरे 16 क्विंटल की मुआवजा (Compensation) राशि मांगी है। 25 अक्टूबर को प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मेहंदीगंज में जनसभा करने वाले हैं। यहीं से पूर्वांचल के लोगों के लिए करोड़ों की चुनावी सौगात देने वाले हैं।

खबर है कि उस दिन प्रधानमंत्री पूर्वांचल में कई सारे विकास परियोजनाओं की घोषणा कर सकते हैं क्योंकि अगले ही साल उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) होने जा रहे हैं। इस चुनाव में मोदी-योगी की साख दांव पर लगी है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूरब (पूर्वांचल) का खास महत्व है। किसी भी पार्टी को अगर यूपी की सत्ता पर काबिज होना है तो पूरब का दुर्ग जीतना ही होगा।

जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा की धमकी

वाराणसी (Varansi) के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा (Kaushal Raj Sharma) का कहना है कि सभी किसानों को 8 लाख रुपए का हर्जाना दिया गया है। जिलाधिकारी ने सोशल मीडिया पर बाकायदा चेक के साथ किसानों की फोटो साझा की और धमकी भरे लहजे कहा कि इस संबंध में जो भी अफवाह फैलाएगा उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा ट्वीट करके कहा जा रहा है कि फसल नष्ट करके यह जनसभा हो रही है जबकि किसानों को एक हेक्टेयर में 40.5 क्विंटल धान का मूल्य दिया गया है। वह भी एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 1940 रुपये के हिसाब से। चेक के माध्यम से भुगतान हो गया है। मौके पर किसी की असहमति नहीं है। 

क्या है पूरा मामला

वाराणसी के जिलाधिकारी (Distt. Magisterate Of Varansi) के मुताबिक सभी किसानों को चेक से मुआवजा मिल गया है जो बाकी हैं उन्हें 1 -2 दिन मिल जाएगा। लेकिन किसानों की समस्या मुआवजा मिलना नहीं बल्कि मुआवजा कम मिलना है। जिलाधिकारी इस मुद्दे पर बोलने की जगह एफआईआर करने की धमकी दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें 1 बीघा में प्रति 16 क्विंटल धान के दर से मुआवजा चाहिए। वहीं सरकार की तरफ से 10 क्विंटल धान की दर से मुआवजा दिया गया है। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के अनुसार 40 बीघे का मुआवजा 8 लाख दे दिया गया है। लेकिन किसानों का कहना है कि 40 बीघे का 12 लाख रुपए होंगे। अब बाकी के 4 लाख जिला प्रशासन किसानों को देगा ? 

मोदी जनसभा करके चले जाएंगे फिर फसल कैसे उगाएं ?

किसानों का कहना है कि जनसभा (Public Meeting) के लिए अधिकारी हमारे खेत की उपजाऊ मिट्टी निकालकर जमीन का समतलीकरण करवा रहे हैं। सरकार ने एक तो आधा अधूरा मुआवजा दिया, अब प्रधानमंत्री 25 अक्टूबर को जनसभा करके चल जाएंगे तो उसके बाद क्या हमारे खेत में कोई फसल उगेगी। जब नई फसल उगाना हो तो हम किसानों को कितनी मेहनत करनी पड़ेगी। क्या उस समय कोई सुध लेने आएगा ?

मोदी का बार-बार पूर्वांचल दौरा

नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)  25 अक्टूबर को वाराणसी में जनसभा करेंगे जिसमें पूर्वांचल के लिए करोड़ों की सौगात देने वाले हैं। इससे पहले 11 जुलाई को प्रधानमंत्री वाराणसी आए थे जिसमें उन्होंने हाईटेक कन्वेंशन सेंटर 'रुद्राक्ष' का लोकार्पण  किया था। साथ ही 1500 करोड़ की परियोजना की सौगात दी। इससे 225 दिन पहले भी प्रधानमंत्री बनारस आए थे। कोविड के बाद से पूर्वांचल में बीजेपी (BJP) की स्थिति पहले जैसी नहीं रही है।

2022 और 2024 के चुनाव में कोई आंच न आये इसके लिए पूर्वांचल में बीजेपी को अपना दबदबा बनाए रखना है। अगर पिछले चुनावों को देखे तो गंगा के किनारे के सभी जिलों में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। धर्म की राजनीति के लिए पूर्वांचल जैसी मुफीद जमीन बीजेपी और संघ के लिए कहीं और मिल भी नहीं सकती हैं। दोनों लिहाज से बीजेपी इस इलाके में अपना पकड़ नहीं खोना चाहती है।

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