Varun Gandhi : वरुण गांधी का सरकार पर हमला, कहा किसानों की पीड़ा समझने के लिए उन्हें सुनना जरुरी है
Varun Gandhi : वरुण गांधी ने साफ तौर पर कहा कि किसानों के साथ हो रहे अत्याचार पर अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए गिड़गिड़ाएंगे नहीं बल्कि खुद कानूनी कार्यवाही करके उन्हें जेल भिजवाने की तैयारी कर रहे हैं।
Varun Gandhi : भाजपा सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमने बोला है। वरुण गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों की मुश्किलों को समझने के लिए बोलने से ज्यादा उनकी बात सुनना आवश्यक है। किसानों के मुद्दे पर वरुण गांधी ने फिर से सरकार को घेरा है। उन्होंने पशुओं की बढ़ती लागत और किसानों को उनकी फसल का एमएसपी ना मिलने के साथ-साथ देश में लगातार बढ़ रही महंगाई जैसे मुद्दों पर खुलकर किसानों के हित में बोला है। इसके साथ ही वरुण गांधी ने भ्रष्टाचार के चक्र को भी समझाया।
अधिकारियों को दी चेतावनी
सोमवार को वरुण गांधी ने लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में किसानों के बीच उनकी समस्याओं को लेकर चर्चा की। जहां एक बार फिर वरुण गांधी ने किसानों के लिए अपनी आवाज बुलंद करते हुए सरकार पर हमला बोला है। वरुण गांधी ने तीन चक्र में भ्रष्टाचार को समझाया और अधिकारियों को चेतावनी भी दी कि सबूतों के आधार पर वह कोर्ट जाएंगे। साथ ही भ्रष्टाचारियों को जेल भिजवाएंगे। वरुण गांधी ने साफ तौर पर कहा कि वह सरकार के सामने किसानों के साथ हो रहे अत्याचार पर अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए गिड़गिड़ाएंगे नहीं बल्कि खुद कानूनी कार्यवाही करके उन्हें जेल भिजवाने की तैयारी कर रहे हैं।
किसानों के साथ हो रहा अन्याय
वरुण गांधी ने लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में किसानों से बातचीत करते हुए कहा कि किसानों के साथ अन्याय हो रहा है। साथ ही वरुण गांधी ने कहा कि ना तो किसानों का धान खरीदा जा रहा है और ना ही गन्ने का वाजिब मूल्य दिया जा रहा है। बता दें कि गन्ने के दाम बढ़ाए जाने पर वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दी थी लेकिन इसके साथ ही कहा था कि बोनस के तौर पर 50 रुपए और बढ़ाकर गन्ने का दाम 400 रुपए प्रति क्विन्टल कर दिया जाए।
ट्वीट कर दी जानकारी
वरुण गांधी ने ट्वीट में इस बातचीत की फोटो शेयर करते हुए लिखा कि 'लखीमपुर और पीलीभीत की सीमा पर किसानों के बीच फसल की बढ़ती लागत उचित कीमत या एमएसपी ना मिलना देश में कमरतोड़ महंगाई जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। जनता की पीड़ा को समझने के लिए बोलने से ज्यादा उन्हें सुनना जरूरी है।'
बता दें कि वरुण गांधी ने 29 अक्टूबर को एक मंदिर जाकर हालात का जायजा लिया था। वरुण गांधी ने मंडी के कर्मचारियों से कहा था कि 'पीलीभीत में 17 जिलों में किसान अपनी धान की फसल में खुद ही आग लगा रहा है। यह पूरे यूपी के लिए बेहद शर्म का विषय है।' इसके साथ ही वरुण गांधी ने कहा था कि 'अगर किसानों के प्रति कोई भ्रष्टाचार हो रहा है तो मैं सरकार के सामने हाथ पैर नहीं जोड़ूंगा। सीधे कोर्ट जाऊंगा और सभी दोषियों को गिरफ्तार करवाऊंगा।'
वरुण गांधी ने किसान आंदोलन का भी समर्थन किया था उन्होंने कहा था कि 'जब तक एमएसपीसी वैधानिक गारंटी नहीं होगी। ऐसे ही मंडियों में किसानों का शोषण होता रहेगा। इस पर सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।'
वरुण गांधी पहले भी हो चुके हैं हमलावर
बता दें कि इससे पहले भी वरुण गांधी ने सरकार पर निशाना साधा है। वह हमेशा से ही किसानों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं। उन्होंने सिर्फ किसानों के मुद्दों पर ही नहीं बल्कि लखीमपुर खीरी में हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की गाड़ी से कुचल कर मारे गए किसानों के मामले में भी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का भी विरोध किया था। इसके साथ ही लखीमपुर खीरी कांड में कार्यवाही करने के लिए अनुरोध किया था। वरुण गांधी के सरकार पर हमले को देखते हुए राजनीतिक दल अलग-अलग विचार बना रहे हैं।
वरुण गांधी ने ट्वीट में इस बातचीत की फोटो शेयर करते हुए लिखा कि 'लखीमपुर और पीलीभीत की सीमा पर किसानों के बीच फसल की बढ़ती लागत उचित कीमत या एमएसपी ना मिलना देश में कमरतोड़ महंगाई जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई जनता की पीड़ा को समझने के लिए बोलने से ज्यादा उनके पास होना जरूरी है।'
मंडी में भ्रष्टाचार की प्रक्रिया को समझाया
सोमवार को वरुण गांधी ने लखीमपुर खीरी के एक धान क्रय केंद्र में पहुंच कर मंडी के समिति के अधिकारियों का ही भंडाफोड़ कर दिया। 'अमर उजाला' में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार वरुण गांधी ने कहा कि किसानों को परेशान करने के लिए क्रय केंद्र पर मौजूद कर्मचारी धान में नमी के बात कहकर किसानों का धान नहीं खरीदा है। अगर धान में नमी नहीं है तो क्रय केंद्र का अधिकारी धान में कालेपन की बात कहकर उस किसान को वहां से टरकाता है। अगर धान में कालापन भी नहीं है तो क्रय केंद्र का अधिकारी किसान को यह कहकर वापस कर देता है कि धान टूटा है। कुल मिलाकर मंडी समिति के अधिकारियों और धान क्रय केंद्र के कर्मचारियों की मिलीभगत से गरीब किसान को इतना लाचार कर दिया जाता है कि धान क्रय केंद्र के बाहर खड़े बिचौलिए और राइस मिल के दलाल के हाथों किसान अपने खून पसीने की फसल को हजार से ग्यारह सौ रुपये क्विंटल में धान बेच देता है।
बाद में फिर वहीं धान राइस मिल और दलालों के माध्यम से क्रय केंद्र के कर्मचारी और मंडी समिति के अधिकारियों की सेटिंग से सरकारी रेट में वापस क्रय केंद्र में बेच दिया जाता है।