कौन कर रहा दबंग को दब्बू बनाने की कोशिश: छवि को लेकर चिंतित विज, क्या गृह मंत्री पद से हटाया जाएगा ?

इन दिनों हरियाणा मंत्रिमंडल में फेरबदल के कयास लगाए जा रहे हैं। यह भी कोशिश हो रही है कि मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाए। इस सबके बीच विज को छटपटाहट क्यों है? इसे लेकर सियासी गलियारों में खासी चर्चा चल रही है...

Update: 2021-06-19 07:10 GMT

जनज्वार/चंडीगढ़। खुद को ताकतवर मंत्री दिखाने की कोशिश में गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज इन दिनों खासे परेशान है। परेशानी की वजह यह है कि कोई है जो उनकी इस छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहा है। वह है कौन? विज इसे लेकर खासे चिंतित है। तभी तो उन्होंने अपने महकमे के एसीएस (होम एवं हेल्थ) राजीव अरोड़ा को पत्र भेजकर उनकी कार्यप्रणाली पर असंतोष जताया।

विज ने पत्र में लिखा- ऐसा लगता है कि किसी के कहने पर मेरी छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। दोनों ही विभागों में मेरी पोजिशन कम करने के लिए ऐसा हो रहा है। उन्होंने पत्र की कॉपी मुख्य सचिव विजय वर्धन को भी भेजी है।

इन दिनों हरियाणा मंत्रिमंडल में फेरबदल के कयास लगाए जा रहे हैं। यह भी कोशिश हो रही है कि मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाए। इस सबके बीच विज को छटपटाहट क्यों है? इसे लेकर सियासी गलियारों में खासी चर्चा चल रही है।

चर्चा यह भी है कि क्या विज को गृहमंत्री पद से हटाने की आशंका है। क्योंकि लंबे समय से विज प्रदेश की कानूनी व्यवस्था व डीजीपी मनोज यादव की कार्यप्रणाली को लेकर लगातार सवाल उठाते रहे हैं। मनोज यादव सीएम के कृपापात्र माने जाते हैं।

इस तरह से देखा जाए तो विज डीजीपी को घेर कर कहीं न कहीं सीएम पर भी निशाना साधते रहे हैं। इस वजह से प्रदेश में सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्​द मिल जाता है। जिसे आधार बना कर विपक्ष सरकार को घेरने की अक्सर कोशिश कर रहा है।

हालांकि विज अभी दो दिन पहले ही हाईकमान से मिलने दिल्ली पहुंचे थे। वह इस माह की 17 तारीख को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले थे। बताया जाता है कि विज ने उनके समक्ष भी प्रदेश की बेलगाम अफसरशाही का मुद्दा उठाया। विज पहले भी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते रहे हैं।

कोविड संक्रमण की तीसरी लहर के लिए बनी टास्क फोर्स में विज से चर्चा ही नहीं

सरकार में विज को किस तरह से अकेला करने की कोशिश हो रही है,इसका बड़ा उदाहरण उस वक्त सामने आया जब विभाग के एसीएस राजीव अरोड़ा ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर टास्क फोर्स गठित की। स्वास्थ्य विभाग अनिल विज के पास है, इसके बाद भी उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। विज ने तब एक पत्र लिखा, इसमें कहां, टास्क फोर्स का गठन अच्छा है। पर इस बारे में उनसे चर्चा करना भी उचित नहीं समझा। विज यहीं नहीं थमे, उन्होंने यह भी लिख दिया कि ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य विभाग को मंत्री की जरूरत ही नहीं है।

एसीएस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए विज ने उन्हें घेरने के लिए यह भी लिख दिया कि एसीएस के कार्यालय में कई फाइलें लंबित पड़ी हैं। हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने अपने विधानसभा क्षेत्र पंचकूला के प्राइवेट अस्पतालों में कोविड इलाज में ओवरचार्जिंग के मुद्दे पर विज को पत्र लिखा था। विज ने इस पत्र पर उचित कार्यवाही के लिए एसीएस को मार्क कर भेजा था। इस पत्र पर अभी तक कार्यवाही नहीं हुई। विज इसे लेकर भी अरोड़ा से नाराज बताए जा रहे हैं।

क्या विज के मंत्रीपद में बदलाव हो सकता है?

इसकी संभावना कम लगती है। फिर भी सीएम मनोहर लाल को यदि कोई चैलेंज कर सकता है तो वह है अनिल विज। जब भी उन्हें लगता है कि सरकार में गलत हो रहा है, या फिर उन्हें किसी निर्णय में आपत्ति नजर आती है तो वह तुरंत ही इसे सार्वजनिक कर देते हैं। हालांकि सीएम मनोहर लाल खट्टर अपनी छवि ईमानदार और पारदर्शी सीएम बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन जैसे ही विज सवाल उठाते हैं तो कहीं न कहीं यह सवाल सीएम की छवि पर भी उठता है। इससे सीएम और उनके सलाहकार खासे परेशान हो जाते हैं। यह भी एक वजह है कि सीएमओ में सीएम के सलाहकार विज को साइड लाइन करने के लिए मौके की तलाश में रहते हैं।

अनिल विल लंबे अरसे से अपने बयानों से सीएम को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। इससे किसी न किसी स्तर पर केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी मनोहर लाल अक्सर असहज हो जाते हैं। यूपी में जिस तरह से घटनाक्रम चला है। हरियाणा में किसान आंदोलन को लेकर सरकार की जो फजीहत हो रही है, इस सब से सीएम मनोहर लाल की छवि को काफी धक्का लगा है। अब क्योंकि मंत्रिमंडल में यदि सीएम के बाद किसी नेता को सीनियर माना जाता है तो वह है अनिल विज। विज को निशाने पर लेने की यह भी एक वजह है। इस कोशिश में यह संभव है कि अनिल विज के विभागों में फेरदबल कर दिए जाए।

विज ने कई बार उठाई आपत्ति

ट्रांसफर पर आपत्ति- आईपीएस के ट्रांसफर में भी गृह मंत्री से कोई चर्चा नहीं की जा रही थी। सरकार बनने के बाद 19 दिसंबर, 2019 को 9 आईपीएस के ट्रांसफर पर विज ने आपत्ति की। सीआईडी रिपोर्टिंग- विज को गृह विभाग मिलने के बाद भी सीआईडी की रिपोर्टिंग उन्हें नहीं हो रही थी। सीआईडी सीधे सीएम को रिपोर्ट कर रही थी। विज ने इस पर आपत्ति की थी। एसआईटी जांच- पिछले साल शराब घोटाले की विज ने एसआईटी जांच कराई। इसमें आबकारी व पुलिस महकमे जिम्मेदार पाए गए। इस मामले में दुष्यंत व विज में बयानबाजी हुई। डीजीपी विवाद- गृह मंत्री ने फरवरी में डीजीपी के लिए आईपीएस अफसरों के नामों का पैनल बनाकर सीएम को भेजा। लेकिन, पैनल अभी मुख्यमंत्री के पास ही है।

बहरहाल यह तो वक्त बताएगा कि सीएम और अनिल विज विवाद में कोई किस पर भारी पड़ेगा, अभी इतना तो तय है कि अनिल विज अपने विभाग और छवि दोनो को लेकर गहरी चिंता में हैं। वह लगातार इस कोशिश में है कि कुछ भी हो जाए, कम से कम उनकी जो दबंग वाली छवि है,वह बरकरार रहे। अब यदि उनके विभाग में फेरबदल होता है तो निश्चित ही इससे विज का कद कम हो सकता है। इसलिए वह हर संभव कोशिश करेंगे कि अपने विभाग बचा कर रखे। इसमें वह कितने कामयाब रहते हैं, यह आने वाला वक्त तय करेगा।

Similar News