सीएम के बयान पर राज्यपाल कलराज मिश्र की सख्त प्रतिक्रिया, गवर्नर की हिफाजत के लिए किस एजेंसी से करना होगा संपर्क
सीएम गहलोत के बयान पर राजस्थान के गवर्नर कलराज मिश्र ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। गहलोत ने कहा था कि लोग राजभवन का घेराव करते हैं तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।
जयपुर। सीएम अशोक गहलोत के बयान और राजभवन में 24 जुलाई को पूरे दिन चले घटनाक्रम के बाद देर रात राज्यपाल कलराज मिश्र का बयान आया। राजभवन द्वारा शुक्रवार, 24 जुलाई की देर रात जारी किए गए बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने कहा है कि गवर्नर की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क करना होगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उन्होंने पत्र भी लिखा है। गहलोत ने राज्यपाल को अंतरात्मा की आवाज सुनने की 'सलाह' देते हुए यहां तक कह दिया था कि अगर जनता राजभवन का घेराव करती है तो उनकी जिम्मेदारी नहीं होगी।
राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से यह बयान शुक्रवार की देर रात राजभवन द्वारा जारी किया गया। बयान में कहा गया है 'इससे पहले कि मैं विधानसभा सत्र के लिए विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करता, आपने सार्वजनिक तौर पर कह दिया कि अगर राजभवन का घेराव होता है, तो यह आपकी जिम्मेदारी नहीं होगी। अगर आप और आपके गृहमंत्री राज्यपाल की सुरक्षा नहीं कर सकते, तो राज्य में कानून-व्यवस्था का क्या होगा? राज्यपाल की हिफाजत के लिए किए एजेंसी से संपर्क करना होगा? मैंने आजतक कभी किसी मुख्यमंत्री का इस तरह का बयान नहीं सुना। राजभवन में विधायकों का प्रदर्शन... क्या यह एक गलत परंपरा की शुरुआत नहीं है?'
राजस्थान में 24 जुलाई को राजनैतिक घटनाक्रम काफी तेज थे। एक तरफ हाईकोर्ट से पायलट गुट के विधायकों को राहत मिल गई, तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने गुट के विधायकों को लेकर राजभवन पहुंच गए। राजभवन में उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की। इसके बाद राजभवन में पायलट समर्थक विधायक जमीन पर बैठकर उनके समर्थन में नारे लगाने लगे थे। 23 जुलाई को गहलोत ने राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा का सत्र बुलाने का अनुरोध किया था।
इससे पहले गहलोत ने कहा था 'हम कोरोना और राजनैतिक परिस्थितियों को लेकर विधानसभा का सत्र आहूत करना चाहते हैं। हमारा मानना है कि कुछ विशेष दबाव के चलते राज्यपाल विधानसभा का सत्र बुलाने का निर्देश नहीं दे रहे हैं।'
हम राज्यपाल के पास जा रहे हैं। हम कहेंगे कि वे किसी दबाव में नहीं आएं। वर्ना फिर हो सकता है कि पूरे प्रदेश की जनता अगर राजभवन को घेरने के लिए आ गई, तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।'
राज्यपाल की ओर से जारी बयान में कहा गया है 'संवैधानिक मर्यादाओं से ऊपर कोई नहीं होता है और किसी प्रकार की दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए। राज्य सरकार ने 23 जुलाई की रात को विधानसभा के सत्र को अत्यंत अल्प नोटिस के साथ आहूत करने का पत्र दिया था। पत्रावली के गुण-दोषों के आधार पर राजभवन द्वारा परीक्षण किया गया। विधि विशेषज्ञों से परामर्श लिया गया। इसके बाद राजभवन द्वारा राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग से कुछ बिंदुओं के आधार पर स्थिति पेश करने को कहा गया।'