गुपकर बैठक से पहले माकपा नेता एमवाई तारिगामी ने क्यों कहा - मोदी की नीति जम्मू और कश्मीर को बांटने वाली
तारिगामी का कहना है कि मौजूदा केंद्र सरकार की नीतियां जम्मू-कश्मीर को समुदायों और क्षेत्रों के आधार पर बांटने कोशिश है। केंद्र की बेहद विभाजनकारी नीतियों को हम पूरी तरह से खारिज करते हैं।
जम्मू-कश्मीर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एमवाई तारिगामी ( MCP Leader MY TariGami ) और गुपकार के सदस्य एमवाई तारिगामी ने पीपुल्स अलायंस फॉर गुप्कर ( Gupkar ) डिक्लेरेशन ( PAGD ) की आज की बैठक से पहले मोदी सरकार ( Modi Government ) की नीतियों पर हमला बोला है। उन्होंने कहा पीएजीडी की बैठक में हम गठबंधन में शामिल दलों के प्रतिनिधि जम्मू-कश्मीर ( Jammu-Kashmir ) की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करेंगे। हम परिसीमन आयोग के मसौदे पर भी चर्चा करेंगे। माकपा नेता तारिगामी ने बताया कि मुझे लगता है कि मौजूदा केंद्र सरकार की नीतियां जम्मू-कश्मीर को समुदायों और क्षेत्रों के आधार पर बांटने कोशिश है। केंद्र की बेहद विभाजनकारी नीतियों को हम पूरी तरह से खारिज करते हैं।
Jammu | We'll discuss J&K's current situation. We'll also discuss draft by Delimitation Commission,I think it'll further divide J&K on basis of communities®ions. It's highly divisive&unacceptable: MY Tarigami, People's Alliance for Gupkar Declaration ahead of today's PAGD meet pic.twitter.com/dogGj3DiZT
— ANI (@ANI) December 21, 2021
तारिगामी की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ( माकपा ) के वरिष्ठ नेता एमवाई तारिगामी ( ( MCP Leader MY TariGam ) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर एक अर्जी विचाराधीन है। अपनी याचिका के जरिए वह जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई संपन्न करने की मांग कर चुके हैं। तारिगामी ने अपनी याचिका में कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि पांच अगस्त 2019 को केंद्र द्वारा आदेशों के साथ-साथ जम्मू कश्मीर (पुनर्गठन) कानून, 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है, केंद्र सरकार ने 'अपरिवर्तनीय कदम' उठाए हैं। केंद्र ने विधानसभा चुनाव से पहले सभी निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को चिह्नित करने के लिए एक परिसीमन आयोग का गठन किया है।
तत्काल सुनवाई न होने पर होगा अन्याय
न्होंने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र के कुछ फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर ( Jammu_kashmir ) विकास कानून का संशोधन उन व्यक्तियों को जम्मू कश्मीर में गैर कृषि योग्य भूमि खरीदने की अनुमति देता है जो स्थायी निवासी नहीं हैं। जम्मू कश्मीर राज्य महिला आयोग, जम्मू कश्मीर राज्य जवाबदेही आयोग, जम्मू कश्मीर राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग और जम्मू-कश्मीर राज्य मानवाधिकार आयोग जैसे संस्थानों को बंद कर दिया गया। यदि मामलों की तत्काल सुनवाई नहीं की गई तो 'आवेदक के साथ गंभीर अन्याय होगा। इस तरह के मामले में यहां आवेदक उक्त रिट याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध कर रहा है।
आतंकवाद की घटनाओं में आई कमी
बता दें कि केद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर में प्रदेश को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 और 35-a को खत्म कर दिया था। बाद में केंद्र ने जम्मू-कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया और दोनों केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया। इस तारीख के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था में कई बदलाव हुए हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। 2019 के मुकाबले 2020 में आतंकवाद की घटनाओं में 59 फीसदी की कमी आई है।
आज गुपकार गठबंधन की जम्मू में नेशनल कांफ्रेंस और गुपकार गठबंधन के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला के बठिंडी स्थित निवास पर बैठक होने वाली है। परिसीमन आयोग की ओर से बीस दिसंबर को नई दिल्ली में प्रदेश के सांसदों की बुलाई गई बैठक में रहे घटनाक्रम के अलावा प्रदेश के हालात पर चर्चा की जाएगी।