फेक वीडियो फेम यूट्यूबर मनीष कश्यप पर लगे NSA पर CJI चंद्रचूड़ ने क्यों जताया आश्चर्य, क्या दंगा फैलाने की साजिश देशविरोधी गतिविधि नहीं !
मनीष कश्यप ने यह दावा करने वाले फर्जी वीडियो बनाए कि बिहार के प्रवासी मजदूरों पर तमिलनाडु में हमले और अत्याचार हो रहे हैं, यहां तक कि उनकी हत्या भी की जा रही है, मनीष कश्यप के 60 लाख फॉलोअर्स हैं, वह एक राजनेता है, उसने चुनाव लड़ा है, वह कोई पत्रकार नहीं है...
Manish Kashyap news : बिहार के फेक वीडियो फेम यूट्यूबर मनीष कश्यप को लेकर आज शुक्रवार 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए सवाल किया कि आखिर इस इंसान पर एनएसए कैसे लग गया। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होनी है।
गौरतलब है कि तमिलनाडु में रहने वाले प्रवासी बिहारी मजदूरों के बारे में मनीष कश्यप ने एक वीडियो प्रसारित करते हुए दावा किया था कि तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के साथ न केवल हिंसा हो रही है बल्कि कई की हत्या भी की गयी। बाद में यह वीडियो फर्जी निकला था, बाकायदा इसे एक जगह मनीष कश्यप और उसकी टीम ने शूट किया था, इसके अलावा अपनी गिरफ्तारी पर भी मनीष कश्यप ने फेक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था।
तमिलनाडु फेक वीडियो मामले में जांच कर रही टीम ने वायरल वीडियो को गलत पाया था, जिसे यूट्यूबर मनीष कश्यप ने बीएनआर न्यूज हनी नाम के एक यूट्यूब चैनल के वीडियो को शेयर किया था। इस वीडियो में पट्टी बांधे गए दो युवकों अनिल कुमार और आदित्य कुमार को मजदूर दिखाया गया। इस वीडियो को मनीष कश्यप के साथी और गोपालगंज के रहने वाले राकेश कुमार रंजन ने शूट किया और 6 मार्च को उसे अपलोड कर दिया। शुरुआत से ही यह वीडियो संदिग्ध लग रहा था, वीडियो की पड़ताल और राकेश से हुई पूछताछ पर फेक वीडियो का भंडाफोड़ हुआ था।
ईओयू ने दावा किया कि राकेश ने पटना के जक्कनपुर थाना के तहत बंगाली कॉलोनी में एक घर किराए पर ले रखा है। इसी जगह पर इसने वीडियो को अपने दोनों साथियों के साथ मिलकर शूट किया था। पुलिसिया पूछताछ में राकेश ने यह बात स्वीकारते हुए कहा था कि पुलिस की जांच को गलत दिशा में ले जाने के उद्देश्य से ही वीडियो को बनाया गया था। ईओयू ने जो दूसरा केस दर्ज किया है, इसमें मनीष कश्यप, राकेश रंजन और वीडियो में मजदूर बनने वाले अनिल कुमार व आदित्य कुमार को नामजद किया था। राकेश को पहले ही पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी, जिसके बाद इस मामले में बड़े खुलासे हुए थे। गौरतलब है कि मनीष कश्यप के फेक वीडियो को भाजपा के तमाम नेताओं ने शेयर किया था।
आज 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने फेक वीडियेा फेम यूट्यूबर मनीष कश्यप की याचिका पर सुनवाई करते हुए तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि दक्षिणी राज्य में प्रवासी मजदूरों पर हमले के फर्जी वीडियो प्रसारित करने के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर मनीष कश्यप को मदुरै केंद्रीय कारागार से स्थानांतरित न किया जाए। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की संयुक्त पीठ ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ;एनएसएद्ध के तहत अपनी हिरासत को चुनौती देने वाली कश्यप की याचिका पर तमिलनाडु और बिहार सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। मनीष कश्यप ने अनुच्छेद 32 के तहत राहत मांगी थी, इसके अलावा याचिकाकर्ता मनीष कश्यप ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत उसके खिलाफ जारी हिरासत के आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी थी।
पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा, ‘अनुच्छेद 32 के तहत मांगी गई राहत के अलावा याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत उसके खिलाफ जारी हिरासत के आदेश को भी चुनौती दी है। याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी जाती है। संशोधित याचिका पर नोटिस जारी करें। हम याचिकाकर्ता को मदुरै केंद्रीय कारागार से स्थानांतरित न करने का निर्देश देते हैं।’
फेक वीडियो फेम यूट्यूबर मनीष कश्यप की याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने हैरानी जताते हुए कहा,उसके खिलाफ एनएसए? इस व्यक्ति के खिलाफ ऐसा प्रतिशोध क्यों?
मनीष कश्यप का पक्ष कोर्ट में रखने वाले वकील सिद्धार्थ दवे ने सुनवाई के दौरान कहा कि उनके मुवक्किल मनीष कश्यप के खिलाफ एनएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है। यूट्यूबर के खिलाफ तमिलनाडु में 6 और बिहार में 3 मुकदमे दर्ज किये गये हैं।
वहीं सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मनीष कश्यप ने यह दावा करने वाले फर्जी वीडियो बनाए कि बिहार के प्रवासी मजदूरों पर तमिलनाडु में हमले और अत्याचार हो रहे हैं, यहां तक कि उनकी हत्या भी की जा रही है। मनीष कश्यप के 60 लाख फॉलोअर्स हैं। वह एक राजनेता है, उसने चुनाव लड़ा है। वह कोई पत्रकार नहीं है।’
कपिल सिब्बल ने मनीष कश्यप पर दर्ज मामलों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार स्थानांतरित किये जाने का विरोध करते हुए कहा कि दक्षिणी राज्य में किए गए साक्षात्कारों का दावा काते हुए उसी के आधार पर तमिलनाडु में मनीष के खिलाफ मुकदमे दर्ज किये गये। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल को तमिलनाडु और बिहार सरकार को नोटिस जारी कर यूट्यूबर मनीष कश्यप की याचिका पर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा था।