योगी BJP के लिए बन गये हैं कश्मीर , 2022 साथ लेकर लड़ा तो भी मुश्किल और साइड किया तो होगा विद्रोह
योगी ने बतौर मुख्यमंत्री ख़ुद को वैसे ही बना लिया है जैसे प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी हैं, धार्मिक कट्टरता जैसी कई बातों में वो उनसे कई गुना आगे हैं और ऐसा दिखते भी हैं...
जनज्वार, लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी में आज योगी जी को कश्मीर समस्या की तरह ही देखा और माना जा रहा है। कश्मीर समस्या की तरह ही भाजपा शीर्ष कमान योगी आदित्यनाथ का कोई हल तलाश नहीं कर पा रही है। सोशल मीडिया समेत कई पत्रकार-राजनीतिक विश्लेषक भी कह रहे हैं कि आज योगी जी भाजपा के कश्मीर हो गए हैं।
गौरतलब है कि बीते चार सालों में योगी आदित्यनाथ को हर एक न्यूज़ एजेंसी के सर्वे में सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री बताया गया, उनके फैसले मास्टरस्ट्रोक के रूप में पेश किए गए। और तो उन्हें मोदी का उत्तराधिकारी, भविष्य का पीएम और हिंदुत्व का एकमात्र फायरब्रांड घोषित कर दिया गया, लेकिन स्थितियां बहुत अच्छी नहीं हैं।
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ा गया था। रामजादे और हरामजादे के नारों के बीच पूरा कैंपेन मोदी के नाम पर चला, सवर्णों ने एकमुश्त वोट दिया, केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में गैर-यादव ओबीसी भाजपा के साथ मिले। समीकरण सफल हुआ तो प्रचंड बहुमत मिली, लेकिन संघ के दबाव और पार्टी के एजेंडे ने योगी आदित्यनाथ को कुर्सी पर बैठा दिया।
यूपी में बीजेपी के एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी से हुई बातचीत में कहा, "योगी ने बतौर मुख्यमंत्री ख़ुद को वैसे ही बना लिया है जैसे प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी हैं। धार्मिक कट्टरता जैसी कई बातों में वो उनसे कई गुना आगे हैं और ऐसा दिखते भी हैं। मंत्रियों और विधायकों की हैसियत यहां भी वैसी ही है जैसी कि केंद्र में मंत्रियों और सांसदों की है। नौकरशाहों के ज़रिए यहां भी सरकार चल रही है और केंद्र में भी।"
भाजपा के ये विधायक महोदय कहते हैं, 'विधायक तो अब सिर्फ़ विधानसभा में गिनती करने के लिए रह गए हैं, अन्यथा उनकी कोई हैसियत नहीं है। विकल्प के तौर पर यूपी में भी बीजेपी को योगी के अलावा कोई उसी तरह नहीं दिख रहा है जैसे कि केंद्र में मोदी का विकल्प नहीं दिख रहा है, पर ऐसा है नहीं. विकल्प दोनों के हैं और इनसे बेहतर भी।"
भाजपा के अंदरखाने भी कई नेता कहते हैं, सैंकड़ों लोगों की भीड़ से योगी को बुलाकर सीएम की कुर्सी दी गई थी, लेकिन योगी ने पद संभाला तो जातीयता चरम पर आ गई। कलेक्टर, कमिश्नर से लेकर तहसीलदार तक एक ही जाति के लोग ठूंस दिए गए। कुछ चुनिंदा अधिकारियों के हाथ में पूरे प्रदेश की बागडोर सौंप दी गई।
बड़ी संख्या में भाजपा विधायक सरकार के खिलाफ धरना पर बैठे मिले, तो कुछ दबि जुबान विरोध करते रहे। कानून व्यवस्था गुंडाराज में तब्दील हो गई, रेप और हत्या की धाराओं से प्रदेश की छवि खराब हुई, लेकिन देस का मीडिया फिर भी योगी को बेस्ट सीएम का खिताब देता रहा।
भाजपा सूत्रों की मानें तो फिलहाल योगी के पक्ष में ना तो विधायक है, ना मंत्री है और ना ही संघ। वो चाहकर भी भाजपा से अलग नहीं हो सकते, अलग हुए तो राजनीति खत्म हो जाएगी, हिन्दू ह्रदय सम्राट का चोला उतर जाएगा।
लेकिन इससे भाजपा को भी भारी नुकसान हो रहा है। यूपी के सीएम बनने से पहले योगी आदित्यनाथ कई बार पार्टी विरोध में खड़े दिखे थे, आरएसएस को टक्कर देने के लिए युवा वाहिनी और बजरंग दल को खड़ा किया था।
सोशल मीडिया पर लोकेश सलारपुरी लिखते हैं, अभी एक चर्चित पत्रकार के यूट्यूब चैनल पर एक अत्यंत मज़ेदार बात पता चली, पत्रकार महोदय, जो पीएम ऑफिस कवर कर रहे हैं 20 सालों से, ने बताया कि भाजपा में आज योगी जी को कश्मीर समस्या की तरह ही देखा और माना जाता है!! कश्मीर समस्या की तरह ही योगी जी का कोई हल भाजपा नही तलाश कर पा रही है!!!! यानी आज योगी जी भाजपा के कश्मीर हो गए !!!'
जिस तरह से पार्टी में योगी की खिलाफत सामने आ रही है, उससे माना जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ आज भारतीय जनता पार्टी के लिए उस लड्डू की तरह हो गए हैं, जिसे ना तो निगला जा सकता है और ना ही उगला जा सकता है। 2017 चुनाव में मेहनत करने वाले तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्या योगी के आगे कहीं नहीं टिकते, कमोवेश यही हाल योगी ने मोदी प्रिय शर्मा के लिए किया।
पूर्ण बहुमत से चुनी हुई योगी सरकार की तिलमिलाहट, कुव्यवस्था, बर्बादी सब सामने है। साम्प्रदायिकता की आड़ में बहुसंख्यक आबादी को बरगलाया जा सकता है, वोट लिया जा सकता है, सरकार बनाई जा सकती है, लेकिन उन्हीं मुद्दों में सिमटकर शासन देखना और व्यवस्था चलाना, असम्भव है।
योगी पर जातिवादी होने का आरोप विपक्षी दलों के अलावा भाजपा के भी कई नेता लगा चुके हैं, मगर बावजूद इसके योगी को फ़ायरब्रांड प्रचारक और हिन्दुत्व का प्रतीक नेता माना जाता रहा है। भाजपा के अंदरखाने उनके विरोधियों का कहना है कि इसी के चलते मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी तमाम कमियों को भी नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।
लगभग एक पखवाड़े से फिर एक बार योगी के खिलाफ सुर तेज हुए हैं। उनकी पार्टी के दर्जनों विधायक उनके खिलाफ हैं, जिसके बाद आरएसएस और बीजेपी के तमाम नेताओं की दिल्ली और लखनऊ में बैठकें भी हुयीं और अंदरखाने यह भी खबरें आने लगीं थी कि शायद यूपी में नेतृत्व परिवर्तन हो जायेगा। मगर तमाम बैठक के बाद वो नेता भी योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ कर गए जिन्होंने कई मंत्रियों और विधायकों के साथ आमने-सामने बैठक की और सरकार के कामकाज का फ़ीडबैक लिया था। इससे फिलहाल तो यही माना जा रहा है कि मोदी-शाह किसी भी हाल में योगी को कुर्सी से नहीं हटाना चाहते हैं।