प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के 7 लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतारने वाली शबनम की फांसी टली, ये है कारण

Update: 2021-02-23 13:29 GMT

File photo

जनज्वार। अमरोहा में चर्चित बावनखेड़ी हत्याकांड की दोषी शबनम की फांसी एक बार फिर से टल गई है। जानकारी के मुताबिक अमरोहा में जनपद न्यायालय ने अभियोजन से अपने परिवार के 7 लोगों की हत्या करने वाली शबनम का ब्यौरा मांगा था, लेकिन उसके अधिवक्ता की ओर से राज्यपाल को दया याचिका दाखिल कर दी गई। फिर से दया याचिका दाखिल होने के कारण फांसी की तारीख मुकर्रर नहीं हो पायी है।

गौरतलब है कि शबनम की फांसी को लेकर आज मंगलवार 23 फरवरी को जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई थी। चर्चा थी कि जिला जज की अदालत में शबनम की रिपोर्ट सौंपी जाएगी और अगर इस रिपोर्ट में कोई याचिका लंबित नहीं पाई गई तो शबनम की फांसी की तारीख तय की जा सकती है।

शबनम के वकील ने कुछ दिन पहले फिर से दया याचिका के लिए राज्यपाल से गुहार लगाते हुए जिला जेल रामपुर प्रशासन को प्रार्थनापत्र सौंपा था और आज सुनवाई में इसी का जिक्र आया। इस दया याचिका के कारण ही शबनम की फांसी की तारीख तय नहीं हो पायी है।

शबनम ने 14-15 अप्रैल 2008 की रात को अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के 7 लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने दोनों की फांसी की सजा बरकरार रखी गयी थी। दिसंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की पुनर्विचार याचिका भी ख़ारिज कर दी थी। इसके बाद राष्ट्रपति ने भी शबनम की दया याचिका को ख़ारिज कर दिया। 

गौरतलब है कि साल 2008 के अप्रैल में अपने परिवार के सात सदस्यों की हत्या के लिए मौत की सजा पाने वाली शबनम ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के पास एक नई दया याचिका भेजी है। महानिदेशक (जेल विभाग और सुधार सेवाएं) आनंद कुमार के अनुसार, शबनम पहले भी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल से माफी मांग चुकी हैं, लेकिन पटेल ने उनकी याचिका खारिज कर दी थीं।

रामपुर के जेल अधीक्षक ने कहा, "25 मई, 2015 को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई मौत की सजा के संबंध में शबनम ने अपने वकील के माध्यम से उत्तर प्रदेश की राज्यपाल को भेजी गई दया याचिका की एक प्रति को हमारे कार्यालय में उपलब्ध कराया था।"

पुलिस सूत्रों ने कहा कि दो वकीलों ने शुक्रवार 19 फरवरी को रामपुर जेल में शबनम से मुलाकात कर उसे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को एक दया याचिका भेजने के लिए राजी कराया। राष्ट्रपति और राज्यपाल को भेजी गई दूसरी याचिका के बारे में पुष्टि करते हुए शबनम की वकील श्रेया रस्तोगी ने एक प्रेस रिलीज में दावा किया कि शबनम के पास बाकी बचे समाधानों के बारे में समाचार रिपोर्टों में सही जानकारी दी जानी चाहिए, जिसकी वैधानिक स्थिति भी सही हो।

उन्होंने इस प्रेस रिलीज में कहा, "शबनम के पास कई संवैधानिक उपाय हैं, जिन्हें अपनाया जाना अभी बाकी है। इनमें विभिन्न आधारों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती देने के अधिकार शामिल हैं। उनके पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने का भी अधिकार है।" शबनम के 12 साल के बेटे ने अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर देश के राष्ट्रपति से अपील की थी, उनकी मां की दया याचिका पर एक बार फिर से विचार किया जाए और इसी के मद्देनजर मसले पर आगे का विकास जारी है।

Tags:    

Similar News