बिहार की साईकिल गर्ल ज्योति कुमारी पिता की नहीं बचा पायी जान, हार्ट अटैक से हुई मौत
पिछली बार लॉकडाउन में बीमार पिता को सैकड़ों किलोमीटर दूर दिन-रात साइकिल चलाकर गुड़गांव से बिहार तक ले जाने वाली ज्योति के पिता की आज 31 मई को हार्ट अटैक के कारण मौत हो गयी है...
पिछले साल लॉकडाउन में अपने बीमार पिता को गुड़गांव से बिहार के दरभंगा तक साइकिल पर बिठाकर ले गयी थी 16 साल की ज्योति
दरभंगा, जनज्वार। पिछले साल लॉकडाउन में पिता को 1400 किलोमीटर दूर साइकिल पर बैठाकर बिहार तक ले जाने वाली नाबालिग लड़की ज्योति कुमारी एक बार फिर चर्चा में है। पिछली बार लॉकडाउन में बीमार पिता को सैकड़ों किलोमीटर दूर दिन-रात साइकिल चलाकर ले जाने वाली ज्योति के पिता की आज 31 मई को हार्ट अटैक के कारण मौत हो गयी है।
लोग कह रहे हैं कि जो बच्ची हजार किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी से बीमार पिता को पिछली बार लॉकडाउन में घर लेकर आ गयी थी, इस बार उसके पिता की मौत हार्ट अटैक से हो गयी, मगर वह कुछ न कर पायी।
गौरतलब है कि ज्योति कुमारी तब चर्चा में आई थीं, जब वह साइकिल से अपने पिता को बैठाकर गुरुग्राम से दरभंगा पहुंची थी। इसके बाद देश-विदेश में ज्योति की चर्चा शुरू हुई थी और वह सोशल मीडिया पर साइकिल गर्ल के नाम से मशहूर। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप तक ने ट्वीट करके उनकी तारीफ की थी। वहीं, साइकिल फेडरेशन ऑफ इंडिया ने उन्हें फेडरेशन से जुड़ने का ऑफर दिया था, लेकिन ज्योति ने मना कर दिया था.
गौरतलब है कि बाल पुरस्कार के लिए इस वर्ष 32 बच्चों को चुना गया है, जिनमें ज्योति भी शामिल थी। इन बच्चों को कला, संस्कृति, तीरंदाजी और तैराकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में वीरता, असाधारण क्षमताओं और उत्कृष्ट उपलब्धियों के प्रदर्शन को लेकर चुना गया। पिछले साल कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के बीच 16 वर्षीय ज्योति कुमारी अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर हरियाणा के गुरुग्राम से बिहार के अपने पैतृक जिले दरभंगा ले गई थी, जिस साहस के लिए उनको बाल पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था।
पिछले साल कोरोना लॉकडाउन में 16 साल ज्योति कुमारी अपने चोटिल पिता मोहन पासवान को साइकिल के पीछे कैरियर पर बिठाकर 8 मई 2020 को गुड़गांव से रवाना हुई थीं और पूरा सफर उन्होंने साइकिल से तय किया था। वह 10 दिन तक साइकिल चलाकर 17 मई की रात करीब 9 बजे दरभंगा में अपने गांव सिरहुल्ली पहुंची थी।
गौरतलब है कि ज्योति के पिता मोहन पासवान 26 जनवरी को गुड़गांव में एक हादसे में जख्मी हुए थे। वह उनकी देखभाल के लिए 31 जनवरी को मां फूलो देवी के साथ गुड़गांव गई थी। फूलो देवी आंगनबाड़ी में काम करती हैं, जिस कारण वह 10 दिन बाद लौट गईं और ज्योति को पिता के पास छोड़ दिया था और इसके बाद लगे लॉकडाउन के कारण मजदूर अपने घरों की तरफ पैदल ही लौटने लगे थे।
साईकिल गर्ल ज्योति को एक प्रोडक्शन कंपनी की ओर से उसके जीवन पर शॉर्ट फिल्म एवं वेब सीरीज बनाने का प्रस्ताव मिला था। कंपनी की डायरेक्टर फलक खान और मैनेजिंग डायरेक्टर फराह खान ने सिरहुल्ली पहुंचकर ज्योति को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया था।
कंपनी की डायरेक्टर एवं मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा था कि इस तरह की फिल्म करने से लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा और छोटी सी बच्ची के जज्बे एवं आत्मविश्वास की सराहना भी होगी। हालांकि फिल्म के प्रस्ताव पर ज्योति के पिता मोहन पासवान ने बताया था कि उन्होंने पहले ही विनोद कापड़ी की शॉर्ट फिल्म को स्वीकार कर लिया। अत: वे उनके प्रस्ताव पर विचार करेंगे। इसके बाद टीम वहां से लौट गयी।