फेसबुक की पूर्व कर्मचारी ने कंपनी की खोली पोल, लाखों फेक खातों का किया खुलासा

कर्मचारी का कहना है कि 3 साल तक कई मौकों पर विदेशी सरकारों द्वारा फेसबुक के प्लैटफॉर्म का अपने फायदे के लिए दुरुपयोग होता पाया...

Update: 2020-09-15 06:56 GMT

(file photo) 

जनज्वार ब्यूरो,नई दिल्ली। फेसबुक की एक पूर्व कर्मचारी के मेमो ने दुनिया के सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म की एक बार फिर पोल खोलकर रख दी है। फेसबुक की पूर्व डेटा साइंटिस्ट सोफी झांग ने 6600 पृष्ठों के मेमो में ऐसे कई प्रमाण दिए हैं, जिनसे साफ होता है कि भारत और ब्राजील सहित दुनिया के कई देशों में सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर दुष्प्रचार, फेक न्यूज पोस्ट को अनदेखा कर एक खास राजनीतिक दल को समर्थन दिया गया।

फेसबुक ने सोफी को नौकरी से निकाल दिया है। लेकिन सोफी के मेमो का खुलासा सोमवार को बजफीड ने किया, जिसमें अजरबैजान और होंडुरास में फेसबुक पर जाली खातों के सहारे चुनाव को प्रभावित करने और जनमत को बदलने के प्रयासों के बारे में काफी सबूत मिलते हैं। सोफी ने दावा किया है कि यही काम भारत, उक्रेन, स्पेन, ब्राजील, इक्वाडोर और बोलिविया में भी किया गया।

सोफी का कहना है कि 3 साल तक फेसबुक के साथ काम करते हुए उन्होंने कई मौकों पर विदेशी सरकारों द्वारा फेसबुक के प्लैटफॉर्म का अपने फायदे के लिए दुरुपयोग होता पाया। सोफी लिखती हैं कि उनके हाथ खून से सने हैं और वे यह बात जानती हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि फेसबुक पर ढेरों फर्जी एकाउंट हैं, जिनसे कोविड-19 को लेकर भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। सोफी के मुताबिक, अमेरिका और ब्राजील में 2018 के चुनाव में भी जनमत बदलने के लिए फर्जी अकाउंट्स का सहारा लिया गया। बाद में फेसबुक ने दोनों देशों में ऐसे एक करोड़ से ज्यादा फर्जी खातों को हटाया।

भारत में उन्नत राजनीतिक नेटवर्क का भंडाफोड

सोफी ने भारत में 1000 से ज्यादा फर्जी खातों के एक बडे उन्नत राजनीतिक नेटवर्क का खुलासा करते हुए इसी साल फरवरी में इन खातों को हटाया। हालांकि, फेसबुक ने कभी भी सार्वजनिक रूप से इन खातों को हटाए जाने की बात नहीं मानी है। सोफी और उनकी टीम ने ऐसे करीब 100 से अधिक नेटवर्क को प्लैटफॉर्म से हटाया है।

6 लाख से ज्यादा खाते हटाए

भारत में फर्जी खातों के सफाए का काम दुनिया भर में ऐसे 6.70 लाख खातों को हटाए जाने के काम का हिस्सा था, जो इस साल अप्रैल में सामने आई एक रिपोर्ट के बाद अमल में लाया गया। सोफी ने यह भी बताया कि फेसबुक ने उन्हें राज न खोलने के लिए 64 हजार डॉलर देने की पेशकश भी की थी, जो उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए ठुकरा दिया।

भारत में मचा है बवाल

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल (डब्ल्यूएसजे) में एक आलेख छपा, जिसमें फेसबुक पर भाजपा के विरोध वाले पोस्ट को सेंसर करने की बात कही गई। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस लेख के हवाले से भाजपा पर हमला बोल चुके हैं। कांग्रेस नेता ने भाजपा और आरएसएस पर आरोप लगाते हुए कहा, इन्होंने फेसबुक और वॉट्सएप पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। इनका मकसद सोशल मीडिया की मदद से समाज में नफरत घोलना है।

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