Love Story : एक दलित लड़के की प्रेमकथा, नागा चैतन्य और साईं पल्लवी की नई फिल्म समाज को देगी बड़ा संदेश

लव स्टोरी की कहानी अन्य रोमांटिक ड्रामा फिल्मों की कहानियों से अलग इसलिए है क्योंकि यह एक दलित और उच्च वर्ग के जोड़े के बीच की प्रेम कहानी है, जो आज भी हमारे रूढ़िवादी समाज को गंवारा नहीं...

Update: 2021-09-27 11:22 GMT

नागा चैतन्य और साईं पल्लवी की Love Story 

Love Story। टीवी से पहले की दुनिया में साहित्य को समाज का दर्पण माना जाता रहा है, लेकिन जैसे जैसे सिनेमा का दौर शुरू हुआ वैसे ही फिल्मों ने किताबों की जगह ले लीं। फिल्मों के जरिए समाज के संस्कृति और परंपराओं को दर्शाया जाने लगा। सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्में बनने लगीं, जिसमें समाज के लिए एक संदेश छिपा होता था। लेकिन अन्य माध्यमों की तरह सिनेमा का भी व्यापारीकरण हुआ और फिल्म निर्माता अपने मूल उद्देश्य से भटकने लगे। रोमांस, थ्रील और हॉरर के दलदल में फिल्म इंडस्ट्री फंसती चली गई।

एक ओर जहां हमारे देश की फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) विश्व में हर साल सबसे ज्यादा फिल्मों का योगदान देती है, वहीं समाज पर प्रभाव डालने वाली इक्का-दुक्का फिल्में भीड़ में कहीं गुम हो जाते हैं। फिल्म निर्माताओं को भी सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाकर विरोध और कॉन्ट्रोवर्सी में फंसने से बेहतर ज्यादा दर्शकों को लुभाने वाली हल्की फुल्की मिजाज की फिल्में बनाना ज्यादा रास आता है, लेकिन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और खासकर स्थानीय फिल्म इंडस्ट्री में ब्लॉकबस्टर कलेक्शन की रेस छोड़कर कुछ फिल्में ऐसी बनती हैं जिनका उद्देश्य असल सामाजिक मुद्दों के जरिए समाज को सही दिशा देना होता है। इसी कड़ी में 24 सितंबर को तेलुगू भाषा में एक नई फिल्म रिलीज हुई है, नाम है 'लव स्टोरी'।

अब आप कहेंगे की फिल्म के टाइटल से तो यही लगता है कि ये कहानी भी अन्य फिल्मों की कहानी से मिलता जुलता ही होगा। एक हीरो, एक हीरोइन और फिर दोनों के बीच प्यार। बिल्कुल सही सोचा आपने...पर इस फिल्म की कहानी में इसके अलावा भी एक चीज है जो अन्य रोमांटिक ड्रामा फिल्मों की कहानियों से अलग है और वो है एक दलित और उच्च वर्ग के जोड़े के बीच की प्रेम कहानी, जो आज भी हमारे रूढ़िवादी समाज को गंवारा नहीं।

लव स्टोरी के एक दृश्य में नागा चैतन्य और साईं पल्लवी 

फिल्म 'लव स्टोरी' (love story) तेलुगू भाषा की रोमांटिक ड्रामा फिल्म है। फिल्म की कहानी का लेखन और निर्देशन शेखर कम्मुला द्वारा किया गया है। एमीगो क्रिएशन्स और श्री वेंकटेश्वरा सिनेमाज ने मिलकर इस फिल्म को प्रोड्यूस किया है। फिल्म के मुख्य किरदार में नागा चैतन्य और साईं पल्लवी हैं। लव स्टोरी पिछले साल से बनकर तैयार थी लेकिन कोरोना के कारण इसके रिलीज डेट को बढ़ा दिया गया था। अन्य फिल्म निर्माता एक ओर जहां कोविड काल में अपनी फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही रिलीज कर रहे थे, वहीं लव स्टोरी के निर्माता इसे थिएटर में रिलीज करने को लेकर आश्वस्त थे। एक लंबे इंतजार के बाद'लव स्टोरी'को सिनेमाघरों में रिलीज किया गया। 24 सितंबर को रिलीज हुई यह फिल्म अपने मजबूत पटकथा से दर्शकों के मन को खूब भा रही है।

फिल्म में रेवंत (नागा चैतन्य) जो कि एक निचली जाति का लड़का और गांव में अपनी मां को छोड़कर हैदराबाद शहर आता है। रेवंत को डांस बहुत पसंद है और वह हैदराबाद में एक ज़ुम्बा केंद्र चलाता है। इसी बीच एक उच्च वर्ग की लड़की मौनिका (साईं पल्लवी) भी नौकरी की तलाश में हैदराबाद आती है, पर उसे नौकरी नहीं मिलती है। फिर रेवंत और मोनिका की मुलाकात होती है। रेवंत मोनिका को अपने डांस क्लास में ही भागीदार बना लेता है। दोनों साथ में जुम्बा केन्द्र खोलने का सपना देखते हैं। मोनिका उसे अपने जेवर लाकर दे देती है, जिसे बेचकर दोनों जुम्बा डांस केंद्र खोलते हैं।

इसके बाद मौनिका (साईं) रेवंत (नागा) को प्रपोज करती है और दोनों के बीच प्यार की शुरुआत होती है, लेकिन उसके बाद कहानी में एक के बाद एक ट्विस्ट आता है, जो कहानी को दिलचस्प बनाता है। मोनिका एक उच्च वर्ग के घर की लड़की है और वह अपने चाचा से बहुत डरती है। दोनों प्यार करने वाले को पता होता है कि मोनिका के घरवाले इस रिश्ते को नहीं मानेंगे। फिर दोनों घरवालों से दूर दुबई भाग जाने का मन बनाते हैं। लेकिन बाद में वे इस फैसले को बदलते हैं और अपने प्यार को पाने के लिए लड़ने की ठानते हैं।

सिनेमाघरों में आने के बाद इस फिल्म को दर्शकों का भरपूर प्यार मिल रहा है। लेकिन फिल्म की लोकप्रियता से हटकर बात करें तो अंतरजातीय प्रेम कहानी के इर्द गिर्द बनी इस फिल्म के जरिए समाज को एक गहरा संदेश देने की कोशिश की गई है। भारत को एक ओर जहां विविधताओं का देश कहा गया है, वहीं इस देश में दो भिन्न जाति-समुदाय के लोगों के बीच अगर प्रेम हो जाए तो पूरा समाज उस जोड़े के पीछे तलवार-भाला लेकर दौड़ पड़ता है। उच्च वर्ग के लोगों के बीच आज भी ये धारणा बनी हुई है कि अगर उनके घर का कोई व्यक्ति छोटे समुदाय से संबंध रखता हो तो वह'पाप'की श्रेणी में आ जाता है।

21वीं सदी के माता-पिता अपने बच्चों को पंसद की पढ़ाई और काम करने की इजाजत तो देते हैं पर अपने पसंद का जीवनसाथी चुनने का अधिकार उनसे छीन लेते हैं। अभिभावक अपने बच्चों पर सामाजिक अवधारणा का बोझ उनकी राय जाने बिना ही उनके कंधों पर डाल देते है।

आज के दौर में युवाओं के बीच आत्महत्या और अवसाद की प्रवृत्ति में बढ़ोतरी हो रही है। विशेषज्ञों द्वारा इसका मुख्य कारण बच्चों के ऊपर बढ़ता पारिवारिक दबाव है। मोबाइल और इंटरनेट से बढ़ती नजदीकियां भी इसका एक मुख्य कारण बताया जाता है। बच्चे परिवार से इस कदर दूर हो रहें हैं कि उन्हें अपने ही मां बाप को एक रिश्ते के लिए मनाने से ज्यादा आसान मौत को गले लगाना लगता है।

अंतरजातीय रिश्तों को समाज में हीन दृष्टि से देखा जाता है। युवक-युवतियों के परिवार के लोग अगर रिश्ते पर मुहर लगा भी देते हैं तो रुढ़िवादी सोच के सामाजिक लोग उस परिवार का ही बहिष्कार कर देते हैं। ऐसे मामलों में अक्सर देखा जाता है कि प्यार में दिल हार बैठे जोड़े या तो भागने का मन बना लेते हैं या साथ में मौत को गले लगाना पसंद करते हैं। कई युवक-युवतियों को अंतरजातीय विवाह करने पर इनके अपने ही परिवार वालों द्वारा आनर किलिंग का मामला सामने आता है।

नागा चैतन्य और साईं पल्लवी की फिल्म 'लव स्टोरी' समाज के इसी पिछड़ी सोच पर प्रहार करती है। फिल्म में दोनों के किरदार रेवंत और मोनिका समाज से छुपने के बजाय फैसला करते हैं कि वे भागेंगे नहीं, बल्कि साथ रहकर अपने प्यार के लिए लड़ेंगे और मोनिका के चाचा जैसे रुढ़िवादी मानसिकता के लोगों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे। हमारे समाज की नई पीढ़ी के साथ साथ पुराने लोगों को भी यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए और इस फिल्म के जरिए दिए जा रहे संदेश को अपने जीवन में अमल करना चाहिए।

बदलते वक्त के साथ लोगों को समझना होगा और अपनी पारंपरिक सोच भी बदलनी होगी। भारत का संविधान भी ऐसे जोड़े को कई अधिकार देता है और उन्हें संरक्षित करता है। ये समझने का वक्त आ गया है कि प्यार धर्म और जाति से ऊपर है और आने वाली पीढ़ी को अंतरजातीय प्रेम और विवाह को खुले दिल के साथ स्वीकार करना चाहिए।

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