Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने पर होगी सुनवाई, SC ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली 2 याचिकाओं पर केंद्र और अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.

Update: 2022-11-26 05:10 GMT

Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली 2 याचिकाओं पर केंद्र और अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है. मुख्य याचिकाकर्ता सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि यह विशेष विवाह अधिनियम के तहत समान लिंग विवाह के लिए एक याचिका है. पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं, ने कहा कि उच्च न्यायालय पहले से ही मामले की सुनवाई कर रहा है.

वकील ने प्रस्तुत किया कि केंद्र ने केरल उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि शीर्ष अदालत के समक्ष स्थानांतरण याचिका दायर की जाएगी. दूसरी याचिका में अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह नवतेज जौहर और पुट्टुस्वामी मामले की अगली कड़ी है और यह एक जीवित मुद्दा है न कि संपत्ति का मुद्दा. नीरज किशन कौल ने प्रस्तुत किया कि मुद्दा ग्रेच्युटी, गोद लेने, समान-लिंग वाले जोड़ों की सरोगेसी और संयुक्त खाते खोलने जैसे बुनियादी अधिकारों को प्रभावित करता है. चक्रवर्ती और डांग लगभग 10 वर्षों से एक-दूसरे के साथ हैं और उन्होंने दिसंबर 2021 में एक सेरेमनी की थी, जहां उनके रिश्ते को उनके माता-पिता, परिवार और दोस्तों ने आशीर्वाद दिया था.

शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद केंद्र और अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को भी नोटिस जारी किया. याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने माना है कि अनुच्छेद 21 गारंटी देता है कि एक वयस्क व्यक्ति को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार है. याचिका में कहा गया, विवाह के रिश्ते में प्रवेश करने के लिए व्यक्तियों की स्वतंत्रता और निजता के अधिकार के महत्वपूर्ण पहलू हैं. इस माननीय न्यायालय ने हमेशा अंतर-धर्म और अंतर-जाति जोड़ों की रक्षा की. साथ ही समय-समय पर ऐसे जोड़ों की रक्षा के लिए कदम उठाया है, जहां उनके रिश्तों को अन्यथा सामाजिक और पारिवारिक दबाव से खतरा था.

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