'भारत बेटियों को पूजने वाला देश-सरकार कड़े कदम उठाए' नाबालिगों से दुष्कर्म की घटनाओं पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता

भारत में बेटियों की पूजा होती है, दूसरी तरफ उनके खिलाफ जघन्य दुराचार की घटनाएं बढ़ रही हैं। अधिकांश परिवार इज्जत बचाने के लिए चुप रह जाते हैं, रिपोर्ट नहीं लिखाते...

Update: 2021-08-19 04:39 GMT

नाबालिग बच्चियों से बढ़ते दुष्कर्म की घटनाओं पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता.

जनज्वार, लखनऊ। हाइकोर्ट (High Court) इलाहाबाद ने नाबालिग बच्चियों से बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं पर चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसी जघन्य वारदातों पर सख्ती से रोक लगाई जानी चाहिए। अपने फैसले में अदालत ने एक 13 वर्षीय बच्ची से बलात्कार के आरेपी को जमानत देने से इंकार कर दिया।

अदालत ने कहा कि, ऐसे जघन्य कृत्यों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए गये तो न्याय तंत्र से लोगों का भरोसा उठ जाएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने जसमान सिंह उर्फ पप्पू यादव की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट के मुताबिक याची ने जमानत अर्जी में तथ्य छिपाए हैं। 

न्यायमूर्ति ने कहा कि, अदालत को बताया गया कि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, जबकि सत्र अदालत के आदेश में ही 6 आपराधिक केसों का जिक्र किया गया है। इसी तरह से जमीन विवाद में फंसाने की बात कहकर कोई ब्योरा प्रस्तुत नहीं किया गया। 

अदालत ने आगे कहा कि, भारत में बेटियों की पूजा होती है, दूसरी तरफ उनके खिलाफ जघन्य दुराचार की घटनाएं बढ़ रही हैं। अधिकांश परिवार इज्जत बचाने के लिए चुप रह जाते हैं, रिपोर्ट नहीं लिखाते। आरोपी याची के खिलाफ ललितपुर के जखौटा थाने में पीड़िता की चाची ने मुकदमा दर्ज कराया था। 

एफआईआर के मुताबिक परिवार खेत पर था, बच्ची घर में अकेली थी। जब परिवार घर आया तो आरोपी दीवार फांदकर भाग गया था। तीन लोग मौके पर पकड़े गये थे। होश में आने पर लड़की ने घटना की जानकारी दी थी। शाम को हुई घटना की दूसरे दिन एफआईआर दर्ज कराई गई थी। 

बाद की मेडिकल जांच में नाबालिग पीड़िता से दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी। पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने भी अपने बयान दोहराए थे। जिसके बाद याची 16 फरवरी 2019 से जेल में बंद है। यह सभी सुनवाई करते हुए अदालत ने याची को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया। 

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