भाजपा नेताओं की बदजुबानी के संस्कार के नए उदाहरण हैं तीरथ सिंह रावत
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी तीरथ सिंह रावत के बयान पर टिप्पणी करते हुए लिखा है- देश की संस्कृति और संस्कार पर उन आदमियों से फर्क पड़ता है, जो महिलाओं और उनके कपड़ों को जज करते हैं, सोच बदलो मुख्यमंत्री जी, तभी देश बदलेगा।
वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण
मातृसंस्था आरएसएस से भाजपा में आए ऐसे कई नेता हैं जो अक्सर बेसिर पैर के बयान देते रहते हैं। उनकी बातों में न कोई युक्ति होती है न ही सच्चाई की झलक होती है। दूसरों को नीचा दिखाने, सांप्रदायिक वैमनष्य को बढ़ावा देने और विज्ञान को ठेंगा दिखाने के लिए वे मूढ़ता की किसी भी सीमा को लांघते रहते हैं। स्त्री विद्वेष पर आधारित बयान देकर वे पोंगापंथी होने का परिचय देते रहते हैं। अचरज की बात है कि ऐसे नगीनों को भाजपा काफी अहमियत देती है और कभी भी इस तरह की बयानबाजी पर रोक लगाने की कोशिश नहीं करती। सोचने की बात यह भी है कि ऐसे धुरंधर नेताओं के अनर्गल बयानों से भाजपा को चुनाव में कोई नुकसान भी नहीं होता है। तो क्या इसका मतलब यह समझा जाए कि मतदाताओं की बुद्धि भी व्हाट्सएप विश्वविद्यालय पर बांटे जा रहे ज्ञान तक ही सीमित है?
वैसे गौर से देखा जाए तो ये नेता गण अपने प्रधान सेवक से प्रेरणा ग्रहण कर इस तरह के बयान देते रहते हैं। प्रधान सेवक भी बोलते हुए भूगोल, इतिहास, विज्ञान और मिथक की ऐसी खिचड़ी पकाते हैं कि सुनने वाले अवाक हो जाते हैं। कभी नाली से गैस निकालने की बात कहते हैं तो कभी तक्षशिला को बिहार में स्थित विश्वविद्यालय बताते हैं। कभी बादलों में रडार के सिग्नल छिपाने की बात कहते हैं तो गांधी जी का नाम मोहनलाल करमचंद गांधी बताते हैं। कभी आज़ादी के समय एक डॉलर की कीमत एक रुपए के बराबर बताते हैं तो कभी गणेश के सिर प्रत्यारोपण को संसार का प्रथम अंग प्रत्यारोपण बताते हैं। ऐसे नगीनों में अब तक त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देब ऊटपटांग बयानबाजी में अग्रणी रहे हैं। लेकिन लगता है देब को भी पीछे छोडने के लिए संघ के एक रत्न को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया है।
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने महिलाओं के पहनावे पर विवादित बयान देकर संघ की परंपरा का निर्वाह किया है। उनके द्वारा दिए बयान पर अब विवाद बढ़ गया है। कई महिला नेताओं ने उनके बयान की आलोचना की है। वहीं सोशल मीडिया पर भी सीएम के बयान पर बहस छिड़ गई है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने तीरथ सिंह रावत के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर पर लिखा कि उत्तराखंड सीएम कहते हैं, 'जब नीचे देखा तो गम बूट थे और ऊपर देखा तो, एनजीओ चलाती हो और घुटने फटे दिखते हैं?, सीएम साहब, जब आपको देखा तो ऊपर-नीचे-आगे-पीछे हमें सिर्फ बेशर्म-बेहूदा आदमी दिखता है।
वहीं उत्तराखंड में विपक्षी कांग्रेस तथा आप ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि मुख्यमंत्री जैसे कद के व्यक्ति को किसी के पहनावे पर अशिष्ट टिप्पणी बिल्कुल शोभा नहीं देती। उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एक अमर्यादित और ओछी टिप्पणी की है कि आजकल के बच्चे फटी जींस पहनकर अपने आप को बड़े बाप का बेटा समझते हैं। मुख्यमंत्री होने से आपको यह प्रमाणपत्र नहीं मिल जाता कि आप किसी के व्यक्तिगत पहनावे पर टिप्पणी करें, उन्होंने मुख्यमंत्री को ऐसे बयानों से बचने की भी सलाह दी और कहा कि ऐसे बयानों से जन भावनाएं आहत होती हैं।
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी तीरथ सिंह रावत के बयान पर टिप्पणी करते हुए लिखा है- देश की संस्कृति और संस्कार पर उन आदमियों से फर्क पड़ता है, जो महिलाओं और उनके कपड़ों को जज करते हैं, सोच बदलो मुख्यमंत्री जी, तभी देश बदलेगा।
गौरतलब है कि मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने कहा था कि संस्कारों के अभाव में युवा अजीबोगरीब फैशन करने लगे हैं और घुटनों पर फटी जींस पहनकर खुद को बड़े बाप का बेटा समझते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे फैशन में लड़कियां भी पीछे नहीं हैं । उन्होंने कहा कि आजकल के बच्चे बाजार में घुटनों पर फटी जींस खरीदने जाते हैं और अगर फटी न मिले तो उसे कैंची से काट लेते हैं।
जैसे ही टिप्पणी का एक वीडियो वायरल हुआ, सैकड़ों महिलाओं ने रिप्ड जींस पहने हुए तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट कीं।
सीएम ने राज्य में एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए विवादित टिप्पणी की। सीएम ने कहा- खुले घुटने दिखाओ। फटी जींस पहनो। अमीर बच्चों जैसे दिखो। ये तो संस्कार दिए जा रहे हैं। ये घर से नहीं, तो कहां से आ रहा है? इसमें टीचर या स्कूल की क्या गलती है? मैं अपने बेटे को किधर ले जा रहा हूं, फटी जींस में घुटने दिखाने? वहीं, लड़कियां भी पीछे नहीं हैं, वे भी फटी जींस पहनकर अपने घुटने दिखा रही हैं। क्या ये अच्छा है? आज जबकि पश्चिमी देश हमारा अनुसरण कर रहे हैं, योग कर रहे हैं, अपने शरीर को पूरी तरह से ढक रहे हैं, हम नग्नता की ओर भाग रहे हैं।
तीरथ सिंह ने एक महिला की पोशाक के बारे में विस्तार से वर्णन किया जो एक उड़ान में उनके बगल में बैठी थी। उन्होंने कहा कि महिला ने खुद को एक एनजीओ कार्यकर्ता के रूप में परिचय दिया जो अपने बच्चों के साथ यात्रा कर रही थी। उन्होंने कहा-- आप एक एनजीओ चलाती हैं, घुटनों पर रिप्ड जींस पहनती हैं, समाज में आप जाती हैं, बच्चे आपके साथ होते हैं, आप क्या मूल्य सिखाएंगी?
वैसे, हमारे देश के नेताओं की जींस, स्कर्ट वगैरह से पुरानी दुश्मनी है। गाहे बगाहे ये किसी नेता, किसी एमएलए, किसी पंचायत की आंख में खटकती ही रहती हैं। इससे पहले भी गोवा के पूर्व डिप्युटी चीफ मिनिस्टर सुदीन धवलीकर ने नाइट क्लबों में लड़कियों के शॉर्ट स्कर्ट और सी-बीच पर बिकनी पहनने पर बैन लगाने की बात की थी। उनका कहना था कि लड़कियों का नाइट क्लबों में शॉर्ट स्कर्ट पहनना गोवा की संस्कृति के लिए खतरा है।
अलवर के पूर्व बीजेपी विधायक बनवारी लाल सिंह ने भी राजस्थान के सभी सीबीएसई स्कूलों में स्कर्ट पर बैन लगाने की मांग की थी। और तो और, अभी पिछले हफ्ते ही मुजफ्फरनगर की एक पंचायत ने लड़कियों के जींस और स्कर्ट पहनने पर रोक लगाने का फरमान जारी किया है। पीपलशाह गांव की इस पंचायत ने जींस-स्कर्ट पहनने वालों का बायकॉट करने की बात कही है। उनका तर्क भी यही है कि जींस, स्कर्ट से हमारी भारतीय संस्कृति खराब हो रही है।