गुजरात में मीट की दुकानों पर बैन मामले में कोर्ट हुआ सख्त, जज ने पूछा 'कल को गन्ने के जूस और कॉफी पर भी लगा दोगे प्रतिबंध?'

मांसाहारी चीजों की बिक्री पर रोक को लेकर न्यायमूर्ति ने सरकार से कहा कि, "अगर आपको मांसाहारी खाना पसंद नहीं है, तो यह आपका निजी मामला है। आप दूसरों के लिए कैसे तय कर सकते हैं कि उन्हें बाहर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?"

Update: 2021-12-09 10:39 GMT

सरकार द्वारा मीट की दुकानों पर पांबदी पर हाई कोर्ट ने लगाई फटकार (Pic Courtsey: Internet)

Meat Ban In Gujrat: गुजरात में मीट की दुकानों पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने मीट की बिक्री पर पाबंदी लगाने पर सरकार को कहा कि अगर आपको नॉनवेज खाना पंसद नहीं है तो यह आपकी निजी समस्या है। आप नहीं तय कर सकते की लोगों को क्या खाना है, क्या नहीं।

हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

बता दें गुजरात में मांसाहारी दुकानों पर बैन लगाए जाने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस बीरेन वैष्णव ने सरकार की ओर से पेश वकील से कहा कि, "आप लोगों को उनकी पसंद का खाने से कैसे रोक सकते हैं? ऐसा इसलिए क्योंकि जिसे शक्तियां दी गईं है, उनकी यह राय है, इसलिए यह फैसला लिया गया? कल आप यह भी तय करेंगे कि मुझे अपने घर के बाहर क्या खाना चाहिए?" न्यायमूर्ति ने कहा कि, "अगर आपको मांसाहारी खाना पसंद नहीं है, तो यह आपका निजी मामला है। आप दूसरों के लिए कैसे तय कर सकते हैं कि उन्हें बाहर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?"

हाईकोर्ट के जस्टिस ने सरकारी वकील को फटकारते हुए कहा कि, "कल वो मुझसे यह भी कहेंगे कि गन्ने के जूस का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शुगर की बीमारी हो सकती है या कॉफी मेरे स्वास्थ्य के लिए खराब है।" नगर निगम आयुक्त को बुलाइए और उनसे पूछिए कि वो यह क्या कर रहे हैं।

सरकार न करें खाने पर रोक टोक

बता दें कि गुजरात के वडोदरा में खुले में मीट की दुकान और मांसाहारी भोजन बेचने वालों को लेकर अधिकारियों को प्रशासन की ओर से निर्देश दिए गए थे कि खुले में मांसाहारी भोजन स्टॉल पर ना बिके। निर्देश में कहा गया था कि जो लोग ऐसा कर रहे है वो मांसाहारी भोजन को पूरी तरह से ढककर रखें। अंडे और उससे बनी चीजों को भी खुले में बेचने वालों पर ये नियम लागू होगा। यह मामला गुजरात के सिर्फ वडोदरा में ही नहीं बल्कि सूरत, भावनगर, जूनागढ़, राजकोट और अहमदाबाद ने भी देखने को मिला। जहां बड़ी संख्या में इस तरह की दुकानों को हटा दिया गया। ऐसे में अब गुजरात हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा है कि आखिर सरकार कैसे तय कर सकती हैं कि किसे क्या खाना है?

मांसाहारी दुकानों पर रोक लगाये जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता निचले आर्थिक पायदान वाले वर्ग से हैं। मांसाहारी चीजों की बिक्री से वो अपना और परिवार का भरण-पोषण करते हैं। वहीं, मांसाहारी की बिक्री पर आपत्ति जताते हुए राजकोट के मेयर प्रदीप दव ने कहा कि मांसाहारी भोजन वाले कार्ट के चलते आसपास रहने वाले और वहां से गुजरने वालों की धार्मिक भावनाएं आहत होती है। इसपर कोर्ट ने कहा कि कल आप मुझसे भी कहेंगे की गन्ने की जूस और कॉफी हानिकारक है, और इसलिए मुझे इनका सेवन छोड़ देना चाहिए।

योगी के राज में भी मीट पर रोक

बता दें कि CM भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में भाजपा की गुजरात सरकार एकलौती सरकार नहीं है जिसके राज में मांस की बिक्री और खाने पर पांबदी लगाई गई हो। भाजपा की सरकार में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी इी साल 11 सितंबर को मथुरा में नॉनवेज खाने वाले लोगों के खिलाफ अहम निर्देश दिया था। योगी सरकार के निर्देशानुसार, मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थल के 10 वर्ग किमी क्षेत्र को तीर्थ स्थल घोषित कर दिया गया और तीर्थ स्थल क्षेत्र में मांस की बिक्री पर बैन लगा दी गई। बता दें कि मथुरा में मांस की बिक्री पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है।

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