UP Election results 2022 : 37 साल बाद पूर्ण कार्यकाल पूरा कर सत्ता में दोबारा लौटने का रहस्य कहीं "महाराज" की हार्डलाइनर हिंदुत्व वाली छवि तो नहीं?

UP Election results 2022 : पहली बार है जब योगी आदित्यनाथ विधानसभा के लिए चुने गए हैं। इससे पहले वह विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। बीजेपी ने 2017 का विधानसभा चुनाव जीता तो पार्टी ने उनका चेहरा मुख्यमंत्री के रूप में आगे किया था।

Update: 2022-03-12 08:22 GMT

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UP Election results 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) परिणामों के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शानदार बहुमत के साथ एक बार फिर से सत्‍ता में वापसी कर ली है। आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्‍तर प्रदेश में करीब 37 साल बाद बहुमत सरकार दोबारा सत्ता में वापसी कर रही है। इन चुनावों में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath) एक लाख से अधिक मतों से चुनाव जीत गए हैं । निर्वाचन आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में अपनी करीबी प्रतिद्वंद्वी सुभावती उपेंद्र शुक्ला को 1 लाख 03 हजार 390 मतों के भारी अंतर से हराया है। शुक्ला को कुल 62,109 वोट मिले जबकि सीएम योगी ने 1,65,499 वोट हासिल किए।

यह पहली बार है जब योगी आदित्यनाथ विधानसभा के लिए चुने गए हैं। इससे पहले वह विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद पहली बार मुख्यमंत्री (Chief Minister) बने थे। बीजेपी ने 2017 का विधानसभा चुनाव जीता तो पार्टी ने उनका चेहरा मुख्यमंत्री के रूप में आगे किया था। राज्य के सीएम बनने के बाद उन्होंने गृह, अर्थशास्त्र और सांख्यिकी, सैनिक कल्याण, होमगार्ड, कार्मिक और नियुक्ति के साथ-साथ नागरिक सुरक्षा सहित 36 मंत्रालयों को अपने सीधे नियंत्रण में रखा था

2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से पहले वह साल 1998 से 2017 तक लगातार पांच बार गोरखपुर से सांसद रहे थे। 26 साल की उम्र में आदित्यनाथ सबसे कम उम्र के लोकसभा सांसद थे। वह गोरखनाथ मठ के मुख्य पुजारी भी हैं जो गोरखपुर में एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में उनके काम की प्रशंसा करके उनका समर्थन किया है।  प्रधानमंत्री मोदी ने "यूपी प्लस योगी बहुत है उपयोगी" (UP plus Yogi bahut hai upyogi) पर एक नया नारा गढ़ा। गोरखपुर सदर सीट बीजेपी का गढ़ रही है, जिसे पार्टी जनसंघ के दिनों से 1967 के बाद से कभी नहीं हारी। इस प्रवृत्ति को आगे बढ़ाते हुए योगी आदित्यनाथ पिछले 37 वर्षों में उत्तर प्रदेश में पूर्ण कार्यकाल पूरा करने के बाद सत्ता में लौटने वाले पहले मुख्यमंत्री होंगे।

इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड बनने के बाद आदित्यनाथ सत्ता में लौटने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी उर्फ ​​एनडी तिवारी, 1985 में लगातार कार्यकाल हासिल करने वाले अविभाजित उत्तर प्रदेश के अंतिम मुख्यमंत्री थे। उसके बाद अब योगी आदित्यनाथ ने 37 वर्षों में उत्तर प्रदेश में सत्ता बनाए रखने वाले पहले मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। इन सबके बावजूद कई विशेषज्ञ उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत को एक अलग नजरिए से देखते हैं। अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा के अनुसार सरकारी आंकड़ों पर ही यदि भरोसा करें तो ये साफ पता चल जाता है कि प्रदेश का सकल घरेलु उत्पाद साल 2017 से 2021 के बीच में सिर्फ 2 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ी है जबकि उससे पूर्ववर्ती सरकार कार्यकाल के पांच वर्षों में यह सात प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ी थी।

यहां तक कि रोजगार पैदा करने वाला मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी भाजपा सरकार के कार्यकाल में संकुचित हो गया जबकि इससे पिछली सरकार में यह 15 प्रतिशत की दर से बढ़ा था। भाजपा के सत्ता में आने के बाद प्रदेश में बेरोजगारी के आंकड़ों में वृद्धि दर्ज की गयी है, बेरोजगारी का मुदृदा भी बीते विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्षी दलों के के लिए मुख्य मुदृदा बना हुआ था। ऐसे में भी प्रदेश में बीजेपी की बहुमत के साथ सत्ता में वापसी यही दर्शाती है कि वोटरों ने आर्थिक मोर्चों की तुलना में मोदी की हार्डलाइनर हिन्दुत्व वाली छवि पर मुहर लगा दी है।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के प्रचार के दौरान विपक्षी दलों खासकर समाजवादी पार्टी की ओर से जनता के सामने भाजपा सरकार की खामियों को रखने का भरपूर प्रयास किया गया। प्रदेश की अर्थव्यवस्था की कमजोरी और कोरोना महामारी के दौरान सरकार के स्तर पर हुई चूकों को जनता के सामने रखकर लोगों से वोटिंग की अपील की गयी। कोरोना महामारी के दौरान गंगा में तैरती लाशों की दुहाई देकर भी लोगों से वोट देने की विपक्षी पार्टियों की ओर से अपील की गयी। पर चुनाव परिणाम के दिन यह साफ हो गया कि जरूरी नहीं कि जनता हर बदइंतजामी के लिए अपने पॉपुपर नेता को ही दोषी माने। इस बात पर जनता के फैसले ने मुहर लगा दी है।

पूरे देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी कोरोना के डेल्टा वैरिंयेंट के फैलने के दौरान हालात विकट थे। पूरा प्रदेश बेरोजगारी की मार भी झेल रहा है। पर प्रदेश के हिन्दुत्व राष्ट्रवादी तो कम से कम यही मानते है कि उनके लिए तो कहीं कोई समस्या नहीं है और इस बार के विधानसभा चुनाव के परिणामों में यह बात साफ हो गयी है कि लोगों ने यह नहीं माना है कि सरकार पर ही सब दोष मढ़ दिया जाए। भले ही जमीनी सच्चाई कुछ और ही हो।

इस बार के चुनावों में वोटरों ने यह तो साफ कर दिया है कि जब तक प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ​आदित्यनाथ अपनी मजबूत ​हिंदूत्ववादी बना कर रखेंगे उन्हें जनता का भी समर्थन मिलता रहेगा। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2022 में अपराधियों और माफिया के खिलाफ 'बुलडोजर' चलाने का स्लोगन देकर बहुमत से सत्ता में लौटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके समर्थकों ने 'बुलडोजर बाबा' का नया नाम दिया है। राज्य की राजधानी लखनऊ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय जिला वाराणसी और योगी के अपने क्षेत्र गोरखपुर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में जीत से उत्साहित पार्टी कार्यकर्ताओं ने विजय जुलूस निकाला और 'बुलडोजर बाबा जिंदाबाद' का नारा लगाते हुए मुख्यमंत्री को नया नाम देते दिखे।

निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश की सभी 403 सीटों पर चुनाव परिणाम घोषित कर दिए, जिनमें भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाने के लिए सहयोगियों समेत 273 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश की सभी 403 सीटों के परिणाम घोषित किए जा चुके हैं और इनमें बीजेपी ने 255 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है। वहीं, बीजेपी की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने 12 सीटों पर जीत दर्ज कर प्रदेश में तीसरे सबसे बड़े दल के रूप में अपनी जगह बना ली है। जबकि बीजेपी की एक और सहयोगी निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) भी छह सीटों पर जीत गई है।

वहीं दूसरी ओर निर्वाचन आयोग (Election Commission) के अनुसार समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने 111 सीटों पर जीत दर्ज की है। सपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल ने आठ और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने छह सीटों पर जीत दर्ज की है। उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए कम से कम 202 सीटें जीतना जरूरी है। जबकि कांग्रेस महज दो सीटें जीत दर्ज करने में सफलता पाई है। चुनाव आयोग के मुताबिक, बीजेपी को 41.29 प्रतिशत मत हासिल हुए हैं जबकि समाजवादी पार्टी को 32.06 फीसदी और बहुजन समाज पार्टी को 12.88 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं।

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