UP Election 2022: पांच साल ससुराल का ही विकास कराते रहे डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्या, इसलिए हुआ था सिराथू में विरोध

UP Election 2022: गांव के लोगों का कहना है कि ससुराल प्रेम में केशव ने घर के लिए जा रहे रास्ते पर सड़क बनवाई, बिजली की व्यवस्था भी की है, लेकिन यहां छोड़कर बाकी पूरा गांव विकास को तरस रहा है...

Update: 2022-02-10 03:45 GMT

(5 साल ससुराल का ही विकास कराते रहे केशव मौर्या)

UP Election 2022: सासू तीरथ, ससुरा तीरथ, तीरथ साला-साली हैं। दुनिया के सब तीरथ झूठे, चारों धाम घरवाली है। गाने के मायने आप समझ रहे हैं कि ससुराल ही सब कुछ है। इस गाने में भी और केशव मौर्य के लिए भी। फिल्म सौतन में किशोर कुमार की आवाज में गाया गया ये गाना केशव प्रसाद मौर्य के लिए एकदम फिट बैठ रहा है।  

दरअसल, सिराथू सीट से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उनका ससुराल भी इसी क्षेत्र में पड़ता है। गांव के लोगों का कहना है कि ससुराल प्रेम में केशव ने घर के लिए जा रहे रास्ते पर सड़क बनवाई, बिजली की व्यवस्था भी की है, लेकिन यहां छोड़कर बाकी पूरा गांव विकास को तरस रहा है। सिर्फ यही नहीं, क्षेत्र के दूसरे गांवों के लोग भी विकास को लेकर केशव प्रसाद मौर्य का विरोध कर रहे हैं।

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भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, केशव प्रसाद मौर्य ससुराल सिराथू के खूझा गांव में है। केशव के लिए जब यहां भाजपा एमएलसी सुरेंद्र चौधरी वोट मांगने पहुंचे तो ग्रामीणों ने विकास नहीं कराए जाने पर खरी- खोटी सुनाई, जमकर हंगामा किया। कहने लगे कि ससुराल वाले घर तक की सड़क चकाचक कर दी गई। गली- गली में सड़क पक्की कर दी गई। बिजली पहुंचा दी गई। गांव की दूसरी सड़क चलने लायक तक नहीं। पुलिया कई माह से ध्वस्त है। गांव के दूसरे हिस्से में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। कहने वाले कहते हैं कि ससुराल प्रेम ही उनके विरोध का कारण है। विरोध करने वाले अधिकतर भाजपा समर्थक ही हैं।

सिराथू से टिकट कंफर्म होने के बाद पहली बार राजधानी से जब वह अपने गृह क्षेत्र पहुंचे तो यहां उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। वह जमीन का सौदा करने वाले बिचौलिया राजीव मौर्य की पत्नी (जिला पंचायत सदस्य) से मिलने गए थे। राजीव मौर्या 19 जनवरी से लापता थे। पूनम देवी के सामने कई महिलाओं ने राजीव की बरामदगी को लेकर उप-मुख्यमंत्री के समक्ष भारी हंगामा किया था। तब केशव चुपचाप वहां से निकल गए थे।

हालांकि, अगले दिन ही विरोध करने वाली महिलाओं की ओर से पूनम माफी मांगने लगीं। कहने लगीं कि यह तो विरोधियों की चाल थी। उधर, दो दिन बाद ही 25 जनवरी की रात यूपी एसओजी ने हरियाणा से राजीव को बरामद कर लिया था। अब, राजीव भी इसे विरोधियों की साजिश बता रहे हैं। केशव को अपना राजनीतिक गुरु बता रहे हैं।

जमीन बिक्री को लेकर विरोध

दिल्ली-कोलकाता हाईवे किनारे राजीव मौर्या के गुलामीपुर स्थित घर पर राजीव अपने 1-2 समर्थक के साथ बैठे थे। कहने लगे कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। फिर भी हमने उनके लापता होने की वजह जानने की कोशिश की। पता चला कि राजीव मौर्य जमीन की खरीद- बिक्री में बिचौलिया की भूमिका निभाते हैं। यह इनका मूल पेशा है। इनके एक पार्टनर पूर्व मंत्री तथा वर्तमान में सपा प्रत्याशी स्वामी प्रसाद मौर्या के करीबी हैं। वहीं, राजीव भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष के साथ-साथ भाजपा के कट्टर समर्थक हैं। उनके घर में टंगी मोदी, योगी के साथ-साथ केशव मौर्या की तस्वीर बताती है कि वह केशव प्रसाद मौर्य के भी काफी करीबी हैं।

कुछ माह पहले केसरवानी की 4 बीघा जमीन का सौदा दीपक रस्तोगी से की थी। बाद में, यह जमीन वन विभाग की निकल गई। राजीव की मानें तो दीपक रस्तोगी ने 35 लाख रुपए RTGS के माध्यम से केसरवानी को दिए थे। चर्चा है कि जमीन का सौदा 1 करोड़ रुपए में हुआ था। इसी रुपए की वापसी का दबाव राजीव पर था। इससे राजीव तनाव में था। इसी बीच राजीव 19 जनवरी को घर से बाहर चला गया। उसके लापता होने की सूचना पुलिस को दी गई। कहा जाता है कि दीपक रस्तोगी ने राजीव से रुपया वसूली कराने के लिए केशव प्रसाद मौर्य से भी पहल करने की गुहार लगाई थी। संभव है कि केशव प्रसाद मौर्य ने इसमें पहल भी की होगी। हालांकि, राजीव ने इससे साफ इनकार किया है।

हाईवे के मुआवजे का विरोध

लोगों का कहना है कि विधानसभा क्षेत्र से गुजर रही दिल्ली- कोलकाता हाईवे के सिक्स लेन में अधिग्रहण की जा रही जमीन व मकान का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है। करीब 25 किलोमीटर की दूरी में हजारों किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन तथा मकान का अधिग्रहण हुआ है। मकान ध्वस्त कर दिए गए हैं। पर, अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है। इसे लेकर भी सिराथू में विरोध के स्वर गूंज रहे हैं। हालांकि, लोग भाजपा का ही समर्थन करते हैं लेकिन केशव से विकास को लेकर उनकी नाराजगी है।

सिराथू से मौर्य का राजनीतिक सफर

केशव प्रसाद मौर्या ने राजनीतिक सफर की शुरुआत सिराथू से ही की थी। 2012 में विधायक बने, 2014 में सांसद बनने के लिए छोड़ दी थी सिराथू सीट। इससे पहले प्रयागराज के शहर पश्चिमी सीट से दो बार विधानसभा चुनाव लड़े। पर, वह विधानसभा नहीं पहुंच सके। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह फूलपुर से सांसद चुन लिए गए। इसके बाद भाजपा ने इन्हें यूपी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी। 2017 में सरकार बनने पर इन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया। अब दूसरी बार वह सिराथू से नामांकन कर चुके हैं। अपना दल (कमेरा) पार्टी से गठबंधन के बाद सपा ने पल्लवी पटेल को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की है। तो बसपा ने संतोष त्रिपाठी तो कांग्रेस ने सीमा अग्निहोत्री को प्रत्याशी बनाया है।

सिराथू विधानसभा सीट का आंकड़ा

सिराथू विधानसभा में 3 लाख 80 हज़ार 839 कुल मतदाता हैं। इसमें पुरुष 2 लाख 01 हज़ार 791 और महिला 1 लाख 79 हज़ार 35 और थर्ड जेंडर 12 हैं। इसके अलावा, जातिगत आंकड़े: पासी 60 हज़ार, मुस्लिम 50 हज़ार, पटेल 30 हज़ार, अनुसूचित जाति 28 हज़ार, मौर्या 28 हज़ार, यादव 22 हज़ार, ब्राह्मण 25 हज़ार, पाल 18 हज़ार, वैश्य 30 हज़ार, धोबी 10 हज़ार, कोरी 08 हज़ार, प्रजापति 08 हज़ार, अन्य जाति 60 हज़ार के करीब बताई जा रही है।

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