Assembly Election Result : 5 राज्यों में चुनावी हार कांग्रेस के सामने अस्तित्व का सवाल, क्यों?

अंदर से जी-23 ने तो कांग्रेस आलाकमान से नेतृत्व में परिवर्तन की मांग की है तो ममता बनर्जी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल, नीतीश कुमार, केसीआर कांग्रेस को विपक्ष का अगुवा बनने की हैसियत देने के लिए राजी नहीं हैं। यानि अब कांग्रेस के पास अस्तित्व को बचाए रखने का मुद्दा सबसे ज्यादा अहम है।

Update: 2022-03-11 11:32 GMT

ममता बनर्जी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल, नीतीश कुमार, केसीआर कांग्रेस को विपक्ष का अगुवा बनने की हैसियत देने के लिए राजी नहीं हैं।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में कांग्रेस ( Congress ) की अब तक की सबसे बड़ी हार ने पार्टी को अंदर और बाहर दोनों स्तर पर हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है। इससे पहले 2021 में कांग्रेस को चार राज्यों में हार का सामना करना पड़ा था। अब कांग्रेस की सरकार केवल दो राज्यों यानि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हैं। तीन राज्यों में कांग्रेस गठबंधन में है। जबकि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी और सबसे ज्यादा राज करने वाली पार्टी है।

यही वजह है कि आज कांग्रेस ( Congress ) के सामने सवाल ही सवाल हैं। सहयोगी रहे क्षेत्रीय दलों के नेताओं और पार्टी के जी-23 घड़े की ओर से जमकर सवाल उठाए जा रहे हैं। अंदर से जी-23 ने तो कांग्रेस आलाकमान से नेतृत्व में परिवर्तन की मांग की है तो ममता बनर्जी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल, नीतीश कुमार, केसीआर कांग्रेस को विपक्ष का अगुवा बनने की हैसियत देने के लिए राजी नहीं हैं।

यही वजह है कि यूपी, उत्तराखंड समेत 5 राज्यों के चुनावी नतीजों ने एक बार फिर कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है। दरअसल, कांग्रेस ने एक और राज्य पंजाब से सत्ता गंवा दी है। अब कांग्रेस की सरकार सिर्फ 5 राज्यों में बची है। यह कांग्रेस के लिए अब तक का निचला स्तर है। इतना ही नहीं कांग्रेस के लगातार खराब प्रदर्शन के चलते अब आप, टीएमसी जैसी पार्टियां उसके लिए चुनौती बनती जा रही हैं।

यूपी में इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन

कांग्रेस के आजादी के बाद जब 1951 में पहले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 388 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2022 आते आते 2 सीटों पर सीमित गई। यह सोचकर ही कांग्रेसियों को डर लगने लगा है। ऐसा इसलिए कि यूपी के इतिहास में यह कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन है। कांग्रेस यूपी में 1985 में आखिरी बार सत्ता में आई थी। तब पार्टी को 269 सीटें मिली थीं। लेकिन इसके बाद 1991 में हुए चुनाव में पार्टी सिर्फ 50 सीटों पर सिमट गई थी। 2017 में कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटें मिल पाई थीं।

उत्तराखंड और गोवा में एकदम से लगा झटका

सत्ता के करीब पहुंची चूकी यूपी के अलावा अन्य राज्यों की बात करें तो उत्तराखंड में कांग्रेस को 70 में 19 सीटें मिलीं। गोवा में पार्टी 11 सीटों और मणिपुर में 5 सीटों पर सिमट गई।

पंजाब कहल पार्टी को ले डूबी

पंजाब में कांग्रेस 2017 से सत्ता में थी लेकिन पार्टी में अंदरूनी कलह के चलते सिर्फ 18 सीटों पर सीमित रह गई। पांच साल पहले 77 सीट जीतकर कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। अब हालात ये हैं कि कांग्रेस को कोई भी नेता कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है।

सिर्फ दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार

लोकसभा चुनाव 2014 में मिली हार के बाद कांग्रेस लगातार एक के बाद एक राज्य गंवा रही है। अब कांग्रेस की सिर्फ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और झारखंड में कांग्रेस गठबंधन सरकार में शामिल है। पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच विवाद खुलकर सामने आया था। इसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटा दिया था। दलित चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी को नया सीएम बनाया जिसे नवजोत सिंह सिद्धू ने कभी स्वीकार नहीं किया। चन्नी को सीएम का फेस बनाया जिसके बाद सिद्धू इन एक्टिव हो गए। केवल दिखावे के लिए काम करते रहे। यानि अमरिंदर को हटाने की रणनीति कामयाब नहीं हुई।

जी-23 खुश, नेतृत्व में बदलाव की मांग

कांग्रेस में हर चुनाव के बाद बदलाव की मांग उठती रही है। लेकिन पार्टी नेतृत्व इस पर चुप्पी साधे हुए है। कांग्रेस में 2019 लोकसभा चुनाव के बाद से सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष पद पर हैं।जानकारों का मानना है कि कांग्रेस का लगातार खराब प्रदर्शन राहुल गांधी के नेतृत्व के लिए चुनौती बनता जा रहा है। कांग्रेस के कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं का जी 23 गुट भी पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर नेतृत्व में बदलाव की मांग कर चुका है।

कांग्रेस को फिर से जिंदा करने की जरूरत

ये बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा है। उन्होंने लिखा है - कांग्रेस में भरोसा करने वाले सभी नेताओं के लिए 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे दुखद हैं। यह भारत के उस विचार की फिर से पुष्टि करने का समय है कि कांग्रेस देश के प्रति अपने सकारात्मक एजेंडा के लिए खड़ी रही है। यह हमारे संगठन के नेतृत्व में सुधार का समय है कि कांग्रेस के विचारों को फिर से जिंदा करें। अगर हमें सफलता चाहिए, तो बदलाव अपरिहार्य है।

कांग्रेस का विकल्प कौन?

कांग्रेस की आंतरिक चुनौतियों के अलावा पांच राज्यों में अपमानजनक हार के बाद से आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के विकल्प के तौर पर पेश करना भी शुरू कर दिया है। दिल्ली के बाद पंजाब ऐसा दूसरा राज्य है जो आप ने कांग्रेस से छीना है। आप ऐसा करने वाली देश की एकमात्र क्षेत्रीय पार्टी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गैर कांग्रेस विपक्ष की बात कर खुद को विपक्ष को अगुआ बताने में जुटी हैं। वहीं शरद पवार लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद से ही विपक्ष का चेहरा बनने की मंशा पाले हुए हैं।

2021 में चार राज्यों में मिली थी करारी हार

इससे पहले 2021 में असम, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में चुनाव हुए थे। कांग्रेस को चार राज्यों में हार का सामना करना पड़ा था। वह सिर्फ 18 सीटों के साथ तमिलनाडु में ही कांग्रेस डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार में गठबंधन में है। पश्चिम बंगाल में तो कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई जबकि 2016 में 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

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