UP Election 2022: अयोध्या या मथुरा से चुनाव लड़ते योगी तो गुजराती जोड़ी के लिए बन सकते थे मुसीबत...
यह तो वैसा ही सवाल हो गया जैसे पुण्य प्रसून ने मोदी जी से 2013 में पूछा था कि उन्हें दिल्ली आने से कौन रोक रहा है। उस समय आडवाणी और उनकी मंडली मोदी को दिल्ली नहीं आने देना चाहती थी...
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर भाजपा का सीएम चेहरा योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को लेकर तमाम सवाल खड़े हुए। लोगों का मानना था कि योगी को अयोध्या या मथुरा से चुनाव लड़ना चाहिए था, लेकिन केंद्रीय सत्ता ने उन्हें उनके गृहनगर गोरखपुर शहर सीट से चुनावी समर में उतारने का फैसला लिया।
अब सवाल उठा कि योगी गोरखपुर (Gorakhpur) से चुनाव क्यों लड़ रहे हैं, वो अयोध्या या मथुरा (Ayodhya Or Mathura) से चुनाव क्यो नही लड़ रहे हैं उन्हें अयोध्या और माथुरा आने से कौन रोक रहा है। इस बात के क्या गंभीर मायने है आखिर ऐसी क्या मजबूरी है? यह तमाम सवाल हैं जो वाजिब भी हैं और पूछे जाने लायक भी।
इस मसले पर पत्रकार अपूर्व भारद्वाज कहते हैं, 'यह तो वैसा ही सवाल हो गया जैसे पुण्यप्रसुन ने मोदी जी से 2013 में पूछा था कि उन्हें दिल्ली आने से कौन रोक रहा है। उस समय आडवाणी और उनकी मंडली मोदी को दिल्ली नहीं आने देना चाहती थी। इस बार यह काम शाह और नड्डा की जोड़ी करना चाह रही है। योगी खुद अयोध्या या मथुरा से चुनाव लड़ना चाहते थे ताकि वो पूरे देश मे हिंदुत्व के नए पोस्टर ब्वॉय बन जाए और मोदी की हिंदू ह्रदय सम्राट की गद्दी छिन जाए।
योगी चाहते थे कि पूर्वांचल में पहले चरण में चुनाव हो जाए और पश्चिम यूपी में सबसे बाद में हो ताकि वो मथुरा या अयोध्या से चुनाव लड़कर पूरे चुनाव को कमंडल मय कर दें लेकिन नड्डा शाह की जोड़ी का मानना है कि बीजेपी पूर्वांचल में फिर स्वीप करना चाहती है। पिछले चुनाव में बीजेपी को गोरखपुर रीजन में 41 में 37 सीट जीती थीं पर इस बार सबसे ज्यादा चुनौती पूर्वांचल से ही है।
बीजेपी के चाणक्य अमित शाह का मानना है कि गोरखपुर शहर 1967 से सेफ सीट है मठ को छोड़ने के कारण योगी के अनुयायी में निराशा होती, इसलिए उन्होंने बड़ा सेफ गेम खेला है और योगी के बड़ा ब्रान्ड बनने से रोकने में सफल रहे हैं। मुझे लगता है वो अयोध्या या मथुरा से लड़ते तो ज्यादा फायदा होता पर यह बात बीजेपी के रणनीतिकारों को क्यों समझ नहीं आई।
अमित शाह औऱ नड्डा नहीं चाहते कि योगी आएं। एक बार मोदी मान जाएं पर शाह नही मानेंगे क्योंकि वो नया हिंदू जननायक नहीं चाहते। क्योंकि योगी यह चुनाव जीते तो मोदी 2012 गुजरात जीतने के बाद जितने तेजी से उभरे योगी उससे दोगुने तरीके से उभरेंगे। ऊपर से वो यूपी के ही हैं। मतलब एक झटके से पूरे काऊ बेल्ट का कार्यकर्ता योगी योगी करने लगेगा और मोदी का 2024 में चुनाव लड़ने की संभवाना पर पानी फ़िर जायेगा।