UP Election 2022: बीएसपी का गढ़ रहे हाथरस में क्या दुबारा जीत पाएगी बीजेपी या लौटेंगी बहनजी?

UP Election 2022: सदियों से इसे बसपा का गढ़ माना गया है लेकिन पिछले यानी की 2017 के चुनाव में, इसमें थोड़ा परिवर्तन आया। क्या इस बार हाथरस कांड के आधार पर यह समीकरण बदलेगा...

Update: 2022-02-21 05:25 GMT

(हाथरस कांड भाजपा पर कितना डालेगा असर या मायावती को होगा फायदा)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के तीसरे चरण का मतदान रविवार 20 फरवरी को पूरा हुआ। इस चरण में हाथरस (Hathras) में भी वोट डाले गये। हाथरस सुरक्षित सीट पर पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हरीशंकर माहौर को जीत मिली थी। इससे पहले, इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी का दबदबा रहा है।

राजनीतिक तौर पर हाथरस में विधानसभा (Hathras Assembly) की तीन सीटें है जिनमें से दो पर बीजेपी का क़ब्ज़ा है और एक पर बसपा का। सदियों से इसे बसपा का गढ़ माना गया है लेकिन पिछले यानी की 2017 के चुनाव में, इसमें थोड़ा परिवर्तन आया। क्या इस बार हाथरस कांड के आधार पर यह समीकरण बदलेगा।

योगीराज के इस कांड ने खूब बटोरी सुर्खियां

दरअसल साल 2020 में हाथरस कांड ने पूरे देश को दहला दिया था। उसके बाद सीबीआई जांच हुई और अभी फ़िलहाल जाँच की चार्जशीट हो चुकी है इस कांड का असर इस चुनाव में जरूर देखने को मिल सकता है। हाथरस की घटना को पूरे डेढ़ साल हो गए लेकिन अभी तक इन्साफ नहीं मिला। परिवार कहता है हमें अबतक इन्साफ नहीं मिला। 

तीन मई 1997 को हुआ हाथरस का गठन

हाथरस जिले का गठन मायावती सरकार में तीन मई 1997 को हुआ। इस जिले में तीन विधानसभा सीटें हैं। हाथरस, सादाबाद और सिकंदराराऊ। इसमें से हाथरस सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट पर बसपा का दबदबा रहा है। साल 1996 से लेकर 2012 तक इस सीट पर बसपा का कब्जा रहा। बसपा के दिग्गज नेता रामवीर उपाध्याय तीन बार लगातार विधायक निर्वाचित हुए हैं।

2012 में गेंदालाल चौधरी जीते

2012 में परिसीमन के बाद सासनी विधानसभा के विधायक गेंदालाल चौधरी को इस सीट से प्रत्याशी बनाया गया। गेंदालाल ने भी मायावती को निराश नहीं किया। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी राजेश दिवाकर को 9 हजार 128 मतों से हराया।

2017 में हरीशंकर माहौर को मिली जीत

बीजेपी ने हार से सबक लेते हुए 2017 में सासनी से तीन बार विधायक रहे हरीशंकर माहौर को हाथरस सुरक्षित सीट से प्रत्याशी बनाया। हरीशंकर माहौल ने पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए बसपा प्रत्याशी बृजमोहन राही को 70 हजार 661 मतों के बड़े अंतर से हराया था।

बीजेपी दो तो बसपा को एक सीट पर मिली थी जीत

मौजूदा समय में हाथरस सुरक्षित सीट से हरी शंकर माहौर (BJP), सिकंदराराऊ से वीरेंद्र सिंह राणा (BJP), सादाबाद से रामवीर उपाध्याय (BSP) विधायक हैं। लेकिन इस बार के मतदान का इंतजार 10 मार्च को समाप्त होगा। जिसका फैसला इवीएम मशीनों में बंद हो चुका है।

हाथरस में 11 लाख से अधिक मतदाता

हाथरस जिले में कुल 11.65 लाख मतदाता हैं। जिले में वर्तमान में हाथरस विधानसभा क्षेत्र में 415312 वोटर्स, सादाबाद विधानसभा क्षेत्र में 373235 वोटर्स और सिकंदराराऊ विधानसभा क्षेत्र में 376798 मतदाता हैं।

2022 की संभावना

2017 के विधानसभा चुनाव में जनपद हाथरस की दो विधानसभाओं से भाजपा प्रत्याशियों ने भारी जीत दर्ज की थी। जबकि एक सीट बसपा को मिली थी। जानकारों का मानना है कि, 2022 के चुनाव में हाथरस की स्थिति यही रहने की संभावना है। भाजपा को तीनों सीट मिलने की संभावना नहीं है। एक सीट इस बार बसपा या सपा के खाते में जा सकती है।

न्याय की उम्मीद में पीड़ित परिवार 

हाथरस की जब बात होती है तो सबसे पहले हींग और रंग की चर्चा होती थी, लेकिन अब इस कांड की बात होती है। पीड़ित परिवार कहता है, हमलोग अभी बहुत खराब स्थिति में हैं। अभी तक न्याय नहीं मिला है हम कही जा नहीं सकते हैं सरकार न्याय नहीं दे रही। यह एक बहुत बड़ा धब्बा है। यह एक ऐसी चीज़ हैं जिसको कितनी भी कोशिश कर ले मिटा नहीं पाएंगे। जिस तरह से यह अपराध हुआ वो सबके सामने है। 

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