Chandrashekhar Azad : 'गोरखपुर में मुझे किराये के घर से निकाला जा रहा, इसके पीछे योगी का हाथ', आजाद समाज पार्टी प्रमुख ने लगाया बड़ा आरोप
Chandrashekhar Azad : चंद्रेशखर आजाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं लेकिन चुनाव से पहले उन्होंने आरोप लगाया है कि गोरखपुर में उनको किराये के घर से निकाला जा रहा है....
Chandrashekhar Azad : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के चार चरणों के मतदान संपन्न हो चुके हैं। वहीं पांचवें चरण के लिए आज प्रचार का अंतिम दिन है। शाम छह बजे प्रचार का शोर थम जाएगा। इस बीच गोरखपुर (Gorakhpur) में चुनावी हलचल काफी तेज हो गई है। हर उम्मीदवार अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) के उतरने से गोरखपुर सदर हॉट सीट बनी हुई है। चंद्रेशखर आजाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। लेकिन चुनाव से पहले उन्होंने आरोप लगाया है कि गोरखपुर में उनको किराये के घर से निकाला जा रहा है। उन्होंने इसके पीछे योगी आदित्यनाथ का हाथ बताया है।
आजाद समाज पार्टी (Azad Samaj Party) विधानसभा चुनावों में 50 सीटों पर लड़ रही है। यहां तक कि पार्टी ने ऐसे 35 छोटे राजनीतिक दलों को भी अपने साथ मिलाया है जिनके नेता समाजवादी पार्टी नेतृत्व वाले गठजोड़ में शामिल होने के लिए अखिलेश यादव से दो से ज्यादा सीटें देने की बात मनवाने में नाकाम रहे। खुद चंद्रशेखर आजाद गोरखपुर से योगी के खिलाफ हाईप्रोफाइल चुनावी लड़ाई लड़ रहे हैं।
चंद्रशेखर आजाद जिस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं वहां सीएम योगी उम्मीदवार हैं। यह सीट पिछले 33 सालों भाजपा के पास है। 2017 के चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ और दोनों दलों ने राहुल राणा का प्रत्याशी बनाया था। उस दौरान भी भाजपा के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। भाजपा के डॉ. राधा मोहन अग्रवाल ने उस दौरान 60 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
चार चरणों के मतदान के बाद अब पांचवें चरण का मतदान 27 फरवरी को होगा जबकि छठा चरण का मतदान 3 मार्च और सातवें व अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को होगा। मतगणना 10 मार्च को होगी।
चंद्रशेखर आजाद छुटमलपुर के पास स्थित गांव घड़कौली निवासी हैं। उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई देहरादून से की है। साल 2015 में भीम आर्मी भारत एकता मिशन नाम का संगठन बना। वह इसके संस्थापक भी रहे हैं। मई 2017 में जब शब्बीरपुर गांव में जातीय हिंसा हुई तो भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था। इस विरोध के बाद ही भीम आर्मी ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं।