Exclusive : जनसंघर्षों पर नोटा को तरजीह दी उत्तराखण्ड की जनता ने
Exclusive : जनता ने संघर्ष की ताकतों को पूरे प्रदेश में न केवल बुरी तरह से नकार दिया बल्कि इनसे ज्यादा उसने नोटा को तरजीह भी दे डाली..
सलीम मलिक की रिपोर्ट
Exclusive : राज्य के विधानसभा चुनाव में जहा सभी पूर्वानुमानों को ध्वस्त करते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्ता में शानदार वापसी की है तो राज्य की राजनीति में हाशिये पर भी पड़े रहकर जनसंघर्षों को आगे बढ़ाने वाली शक्तियों के लिए यह चुनाव परिणाम खासे निराशाजनक साबित हुए।
जनता ने संघर्ष की ताकतों को पूरे प्रदेश में न केवल बुरी तरह से नकार दिया बल्कि इनसे ज्यादा उसने नोटा को तरजीह भी दे डाली। राज्य निर्माण की लड़ाई को लड़ते हुए निर्णायक मोड़ पर पहुंचाकर उत्तराखण्ड (Uttarakhand) राज्य का गठन करवाने वाले राज्य के एकमात्र दल उत्तराखण्ड क्रांति दल (UKD) पर भी जनता ने कोई रहम नहीं दिखाया।
44 सीटों पर चुनाव लड़ी उत्तराखण्ड क्रांति दल केवल पांच सीटों (देवप्रयाग में दिवाकर भट्ट 14,453, द्वाराहाट में पुष्पेश त्रिपाठी 9638, रुद्रप्रयाग में मोहित डिमरी 4570, श्रीनगर में 4228, नरेंद्रनगर में 2170 वोट) पर ही दो हजार वोटों से अधिक का आंकड़ा पार कर पाई। बाकी सीटों पर जनता ने इसको नोटा लायक भी नहीं समझा। शेष 39 सीटों पर इसके प्रत्याशियों को कुल 21,199 वोट मिले। जबकि इन 39 सीटों पर नोटा के हिस्से में इससे कहीं ज्यादा 26,134 आये।
इसके साथ ही प्रदेश में वामपंथियों (Left Parties) की स्थिति तो उक्रांद से भी गयी गुजरी साबित हुई। कुल 6 सीटों पर इसके प्रत्याशियों को 2,941 वोट मिले तो इनके मुकाबले नोटा को 4,028 वोट मिले।
गंगोत्री से सीपीआई (CPI) के महावीर प्रसाद (361 वोट) ही नोटा (238 वोट) से ज्यादा वोट ला पाए। जबकि केदारनाथ से सीपीआईएम के राजाराम को 679 वोट तो उनके सामने नोटा को 735, कर्णप्रयाग से सीपीआई एमएल के इन्द्रेश मैखुरी को 575 वोट तो नोटा को 921 वोट, लालकुआं से सीपीआई एमएल के बहादुर सिंह जंगी को 322 वोट तो नोटा को 686 वोट, रानीपुर भेल से सीपीआई के रमेश चन्द्र को 213 वोट तो नोटा को 612 वोट तथा बद्रीनाथ से सीपीआई के विनोद जोशी को 791 वोट तो नोटा को 836 वोट मिले।