गन्ना के बाद 'आलू बेल्ट' के किसान लेंगे तीसरे चरण का इम्तिहान, 20 फरवरी को होगा 59 सीटों पर घमासान

Third Phase Voting: तीसरे चरण की वोटिंग में शामिल इन 16 जिलों की 59 विधानसभाओं 36 विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से आलू उत्पादक हैं। यादव, कुर्मी बहुलता वाले इन इलाकों में किसान आलू को खरा सोना मानते हैं...

Update: 2022-02-16 05:53 GMT

(मेहनत का सही मूल्य तय ना होने से नाराज रहते हैं इन क्षेत्रों के किसान)

UP Election Third Phase Voting : आगरा एक्सप्रेसवे से कन्नौज (Kannauj) की सीमा में प्रवेश करते ही खेतों में हर तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है। कहीं खेतों में खुदाई चल रही तो कहीं पड़े आलू अपनी चमक बिखेर रहे हैं। खेतों में खड़े किसानों के चेहरों पर बोरियों में आलू भरकर जल्द मेहनत की कीमत मिलने की उम्मीद साफ झलकती है। एक किसान ने बताया कि अभी 10 फरवरी को भाव 800 रूपये क्विंटल था, लेकिन यह तय नहीं की आगे बी यही स्थिति रहेगी। 

कई किसान सवाल करते हैं कि, आकिर गन्ने की तरह आलू का भाव क्यों तय नहीं होता? क्यों आखिर आलू का औद्योगिक विकास नहीं हो पा रहा? हर दूसरे साल क्यों आलू फेंकने की नौबत आ पड़ती है। इसे लेकर पूरे के पूरे आलू बेल्ट के किसानों में सभी दलों के प्रति गुस्सा है। यहां खुदाई कर रहे एक किसान बताते हैं कि हर चुनाव में चिप्स, अल्कोहल फैक्ट्री और आलू पाउडर बनाने की बात उठती है। इस चुनाव भी वादे किए गये हैं लेकिन ये वादा हकीकत में बदल पाएगा..संशय है।

आलू को सोने से कम नहीं मानते यहां के किसान

फर्रूखाबाद के किसान हों, कायमगंज के हों या फिर कमालगंज के सवाल सबी किसानों के आपस में मिलते-जुलते हैं। यह सभी किसानों के प्रति सियासी दलों की उदासीनता से नाराज हैं। अलबत्ता घोषणापत्र के सवाल पर यह लोग कहते हैं कुछ ने ज्यादा तो कुछ ने कम, आलू से जुड़ी बातें रखी हैं। लेकिन इस तरह की घोषणाएं हर चुनाव में होती हैं। ये घोषणाएं कभी धरातल पर उतरेंगी इन्हें उम्मीद कम ही है।

विधानसभा चुनाव में तीसरे चरण की वोटिंग में शामिल इन 16 जिलों की 59 विधानसभाओं 36 विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से आलू उत्पादक हैं। यादव, कुर्मी बहुलता वाले इन इलाकों में किसान आलू को खरा सोना मानते हैं। देशभर के आलू उत्पादन का कुल 30 प्रतिशत आलू इन इलाकों में पैदा होता है। देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य यूपी ही है। जहां लगभग 6.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में आलू बोया जाता है। 

आगरा से शुरू होकर मथुरा, इटावा, फर्रूखाबाद से लगाकर कानपुर देहात तक फैले आलू बेल्ट में देश में होने वाली कुल पैदावार का 30 फीसदी हिस्सा पैदा होता है। डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी, डीएपी और यूरिया की कमी तैयार आलू आढ़ती के सहारे होने का दर्द किसानों को बेचैन किए रहता है। प्रदेश में करीब 147.77 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ है।

आलू किसानों के लिए किसके घोषणापत्र में क्या है?

भाजपा : मेगा फूड पार्क, एक जनपद एक उत्पाद, फूड प्रोसेंसिंग, किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली, स्टोरेज प्लांट इत्यादि।  

सपा : किसान आयोग का गठन, ग्रीन फील्ड परियोजना के लिए लैंड बैंक की स्थापना, किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली, ब्याज मुक्त कर्ज, हर 10 किलोमीटर के दायरे में किसान बाजार नेटवर्क के तहत बाजार की स्थापना, सभी मंडलों में फूड प्रोसेसिंग क्लस्टर, प्रदेश में पांच जगह फूड प्रोसेसिंग क्लस्टर, कन्नौज में कंटेनर डिपो के साथ आलू, निर्यात क्षेत्र की स्थापना।

कांग्रेस :  कोल्ड स्टोरेज ऐर खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा, हर ब्लॉक में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था।

तीसरे चरण में इन सीटों पर घमासान 

20 फरवरी 16 जिलों की 59 विधानसभाओं में तीसरे चरण के लिए वोटिंग होगी। जिसमें हाथरस (एससी), सादाबाद, सिकंदराराऊ, टूंडला (एससी), जसराना, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, सिरसागंज, कासगंज, अमनपुर, पटियाली, अलीगंज, एटा, मरहारा, जलेसर (एससी), मैनपुरी, भोनगांव, किशनी (एससी), करहली, कायमगंज (एससी), अमृतपुर, फर्रुखाबाद, भोजपुर, छिबरामऊ, तिर्वा, कन्नौज (एससी), जसवंतनगर, इटावा, भरथना (एससी), बिधूना, दिबियापुर, औरैया (एससी), रसूलाबाद (एससी), अकबरपुर-रानिया, सिकंदर, भोगनीपुर, बिल्हौर (एससी), बिठूर, कल्याणपुर, गोविंदनगर, शीशमऊ, आर्य नगर, किदवई नगर, कानपुर छावनी, महाराजपुर, घाटमपुर (एससी), माधौगढ़, कालपी, उरई (एससी), बबीना, झांसी नगर, मौरानीपुर (एससी), गरौठा, ललितपुर, मेहरोनी (एससी), हमीरपुर, रथ (एससी), महोबा, चरखारी पर वोट डाले जाएंगे।

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