Gorakhpur News: हॉट सीट गोरखपुर सदर विधानसभा सीट पर 8 चुनावों से भगवा का कब्जा, योगी ने ही दिलाई थी एक बार BJP को हार

Gorakhpur Sadar Vidhan Sabha Hot Seat: यूपी की सियासत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर की सीट गोरखपुर सदर विधान सभा क्षेत्र भगवा राजनीति का पिछले 33 सालों से केंद्र बना हुआ है।

Update: 2022-01-10 05:49 GMT

Gorakhpur News: हॉट सीट गोरखपुर सदर विधानसभा सीट पर 8 चुनावों से भगवा का कब्जा, योगी ने ही दिलाई थी एक बार BJP को हार

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

Gorakhpur Sadar Vidhan Sabha Hot Seat: यूपी की सियासत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर की सीट गोरखपुर सदर विधान सभा क्षेत्र भगवा राजनीति का पिछले 33 सालों से केंद्र बना हुआ है। इस बीच हुए आठ चुनावों में सात बार भाजपा को विजय मिली तो एक बार योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार का कमान संभाल लेने का नतीजा रहा कि भाजपा को शिकस्त भी मिली। भाजपा को यह हार का सामना हिंदु महासभा के उम्मीदवार से करना पड़ा। ऐसे में प्रत्याशी का सिंबल तो बदला,पर भगवा रंग में कमी नहीं आई।

गोरखपुर सदर विधान सभा क्षेत्र का नाम आते ही इस इलाके के लोगों के जुबान पर गोरखनाथ मंदिर का नाम आ जाता है। यह कहा जाता है कि यहां जीत की अंकगणित लखनऊ दरबार से नहीं गोरखनाथ मंदिर से ही तय होती है। पिछले आठ चुनावों के आंकड़े इस दलिल को साबित करने के लिए काफी है। गैर कांग्रेसी राजनीति का वक्त 1989 से आया। इसके बाद से आज तक यूपी में कांग्रेस को सत्ता का स्वाद चखने का मौका नहीं मिला। लगातार के चुनाव परिणामों पर नजर दौड़ाएं तो देखेंगे की भगवा राजनीति ही गोरखपुर सदर विधान सभा क्षेत्र पर हावी रहा है।

साल 1989 में बीजेपी ने गोरखपुर शहर से शिव प्रताप शुक्ला को विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया। इसके बाद जीत का सिलसिला लगातार चलता रहा। गोरखपुर से चार बार लगातार शिव प्रताप शुक्ला विधायक बने। इस दौरान प्रतिद्वदियों की एक भी चाल को यहां के मतदाताओं ने कामयाब होने नहीं दिया। अब बारी आई वर्ष 2002 के विधान सभा चुनाव की। गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान पीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साल अखिल भारतीय हिन्दू महासभा से डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल को प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया। यहां के लोगों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने खुद मंच लगाकर सभाएं की थी। नतीजा यह रहा कि यह सीट बीजेपी बुरी तरह हार गई। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के डॉ. अग्रवाल 38830 वोट पाकर जीत गए। समाजवादी पार्टी के प्रमोद टेकरीवाल 20382 वोट पाकर दूसरे स्थान पर व चार बार लगातार जीतने वाले शिव प्रताप शुक्ला 14509 वोट पाकर ही संतोष किये।

विधान सभा चुनाव 2007 करीब आने के पहले ही डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल ने भाजपा का दामन थाम लिया। जिसका नतीजा रहा कि बीजेपी ने शिवप्रताप शुक्ला के बजाय हिन्दू डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल को अपने सिंबल पर उतारा। डॉ.अग्रवाल ने 49714 वोट पाकर बीजेपी का परचम लहराया। फिर 2012 और 2017 में भी बीजेपी ने डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल को लड़ाया और उन्होंने जीत हासिल की। गोरखपुर में अभी तक चाहे मेयर के चुनाव हो या फिर लोकसभा और विधानसभा हर इलेक्शन में योगी का सपोर्ट प्रत्याशी की जीत की राह पक्का करता है। जिस प्रत्याशी को योगी आदित्यनाथ का आशीर्वाद प्राप्त हो जाए उसके साथ जनता भी चल पडती है। गोरखपुर में योगी हर दल से ऊपर उठकर हैं, समय-समय पर इसका उन्होंने आभास भी कराया है।

अपनों से भी जुझते रहे हैं डॉक्टर राधा मोहन दास

पेशे से चिकित्सक डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने बीएचयू से एमबीबीएस एमडी की पढ़ाई की। उसके बाद 5 साल बीएचयू में प्रोफेसर भी रहे। उसके बाद नौकरी छोड़कर गोरखपुर आ गए और पहली बार के प्रयास में ही सन 2002 में विधायक बन गए। वर्ष 2017 के चुनाव में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद उनको पूरी उम्मीद थी कि उत्तर प्रदेश सरकार में उन्हें मंत्री पद जरूर मिलेगा लेकिन। मंत्रियों की लिस्ट में अपना नाम ना देख कर उन्हें झटका लगा। अपनी टूटी हुई उम्मीद को सोशल मीडिया के माध्यम से जाहिर भी किया। अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाने में भी डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल पीछे नहीं रहे। बीजेपी विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने पिछले दिनों ट्वीट कर यूपी में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए खुद को विधायक होने पर शर्म आने की बात कही थी।


भारतीय जनता पार्टी की रीत-नीति और सिद्धांतों के विरुद्ध आचरण करने के आरोप में गोरखपुर शहर की सदर सीट से विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। यूपी बीजेपी के के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर ने राधा मोहन दास अग्रवाल को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा कि पार्टी के आचरण के विरुद्ध आपके द्वारा सरकार और संगठन की छवि को धूमिल करने वाली पोस्ट सोशल मीडिया पर की जा रही है। आपका यह कृत्य अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। इसे पार्टी ने अनुशासनहीनता मानते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा। अग्रवाल ने कहा कि मैंने कोई अनुशासनहीनता नहीं की है, केवल अपने स्वाभिमान की रक्षा और क्षेत्र की जनता के हित की बात ही कर रहा हूं। पूरी तरह ईमानदार राजनीति पर भ्रष्ट अधिकारियों का नियंत्रण बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं। दो महीने से पुलिसिया शरण में फलभूल रहे हत्यारे को गिरफ्तार कराने के लिए इस हद तक जाना पड़ने से शर्म आती है।

लखीमपुर खीरी में हर्ष फायरिंग में देवरिया के एक व्यक्ति की मौत के मामले में पुलिस द्वारा आरोपी को बचाने का मामला सुर्खियों में आया तो इस घटना पर गोरखपुर के सदर विधायक डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने ट्वीट कर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। विधायक के मुताबिक लखीमपुर-खीरी में एक भाजपा कार्यकर्ता के साले की हत्या के मामले में आला अफसरों ने उनकी अनसुनी कर दी। तब उन्होंने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर दिया। इसके बाद अफसरों ने विधायक से फोन पर बात की। कुछ ही घंटे में लखीमपुर पुलिस ने हत्यारोपित को गिरफ्तार कर लिया और कोतवाल को लाइन हाजिर भी कर दिया गया।

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