Yogi Adityanath के नामांकन में शक्ति प्रदर्शन की क्यों पड़ी जरूरत, कहीं शीर्ष नेतृत्व ये संदेश तो देना नहीं चाहता था!
UP Election 2022: वो आखिर क्या बात रही कि योगी के पक्ष में सभी मौजूद लोगों को विक्ट्री निशान (Victory Sign) दिखाकर एकता और शक्ति प्रदर्शन करना पड़ा...
UP Election 2022: कल योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने गोरखपुर की शहर विधानसभा सीट (Gorakhpur Assembly Seat) से अपना नामांकन दाखिल किया है। उनके नामांकन के वक्त देश के गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सहित तमाम नेता मौजूद रहे। इस दौरान मीडिया को एकजुटता का संदेश भी दिया गया। लेकिन सवाल यह है कि इस एकजुटता का आखिर संदेश क्यों देना पड़ा।
मीडिया खासकर टीवी वीले एक बात उठा रहे थे कि अगर योगी आदित्यनाथ चाहते तो वह नामांकन दाखिल करने अकेले भी जा सकते थे। तो फिर यह जरूरत क्यों पड़ी की देश के दो-दो केंद्रीय मंत्रियों को उनके नामांकन में जाना पड़ा। वो आखिर क्या बात रही कि योगी के पक्ष में सभी मौजूद लोगों को विक्ट्री निशान (Victory Sign) दिखाकर एकता और शक्ति प्रदर्शन करना पड़ा।
बता दें कि बीते कुछ समय से मीडिया का ही एक धड़ा ऐसी खबरें चला रहा है जिसमें बताया जा रहा कि योगी और केंद्रीय नेतृत्व में कुछ अनबन चल रही है। योगी गोरखपुर से अलग जगह से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने उनके बढ़ते कद को घटाने के लिए गोरखपुर से ही चुनाव लड़ाना उचित समझा। कहा गया कि यह उनके लिए सेफ व परंपरागत सीट है।
शीर्ष नेतृत्व कहीं न कहीं इस बीात पर धूल भी जमाने के प्रयास में दिखा जिसमें कहा जाता रहा कि अंदरखाने कुछ अनबन है। योगी आदित्यनाथ के नामांकन में पहुँचकर अमित शाह (Amit Shah) ने योगी को भी कहीं न कहीं यह मैसेज देने की कोशिश की है कि भविष्य में सब ठीक है। कल को हो भी सकता है कि सीएम की कुर्सी किसी और को दे दी जाए, लेकिन हाल वक्त योगी को नाराज करना शार्ष नेतृत्व के लिए नुकसान का सबब भी बन सकता था।
इसका कारण भी बड़ा है जिस मुताबिक यदि यूपी के विधानसभा चुनाव में पार्टी के अंदरखाने बगावत के सुर तेज होते हैं तो बड़ा नकसान उठाना पड़ सकता है। और इस नुकसान की आंच 2024 के लोकसभा चुनाव में पड़ सकता है। उससे पहले राष्ट्रपति का चुनाव भी होना है। उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य होने के चलते केंद्रीय सत्ता के गलियारों में अपनी खासी धमक भी रखता है।
चुनाव बाद समीकरण बदल सकते हैं। तब वो समय दूसरा होगा। जिसके चलते जो अमित शाह अब से पहले योगी आदित्यनाथ को भाव नहीं देते थे वह अब हाथ में हाथ लेकर उनके साथ नामांकन में खड़े हुए। इसका साफ संदेश यही था कि खुद प्रधानमंत्री की मॉनिटरिंग में गृहमंत्री योगी का नामांकन भरने के समय मौजूद रहे। आने वाले समय में इसके कारण और भी अधिक साफ हो सकते हैं।