Firing On Owaisi: कलावा बंधी पिस्टल और हिंदू हमलावर, तो क्या ये हमला ओवैसी पर नहीं यूपी चुनाव पर हुआ है?

Firing On Owaisi: सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक ओवैसी की गाड़ी लेन-14 से निकली। तब पास की लेन पर मौजूद लाल शर्ट पहने सचिन ने 2 गोली चलाईं...

Update: 2022-02-04 06:32 GMT

असदुद्दीन ओवैसी (File Photo)

Firing On Owaisi: आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक 7 दिन पहले हमला हुआ है। 5 राउण्ड गोलियां चलीं। हमले में मास्टरमाइंड के तौर पर गौतमबुद्धनगर के सचिन और सहारनपुर के शुभम को पकड़ लिया जाता है, लेकिन क्या ये घटना यहीं तक सीमित है...नहीं।

यह घटना सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। बेहद संवेदनशील माने जाने वाले पश्चिम उत्तर प्रदेश के पिलखुआ स्थित NH-9 छिजारसी टोल प्लाजा पर हुए इस हमले में चुनाव को मजहबी रंग देने की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है। हमलावर के निशाने पर सिर्फ ओवैसी नहीं थे, बल्कि पूरा यूपी विधानसभा चुनाव था।

लेन-9 पर चली दो गोलीं

काफिले की एक कार में निचले हिस्से धंसी दो गोलियां

उच्च न्यायालय के आदेश के बाद हर टोल नाका पर VIP के लिए अलग से लेन बनाई गई है। आम तौर पर टोल नाका की सबसे लेफ्ट लेन वीआईपी होती है, लेकिन यहां रोड थोड़ी घुमावदार है। इसलिए लेन-9 वीआईपी थी। घटना के वक्त ओवैसी की गाड़ी इस लेन-9 पर नहीं थी। सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक ओवैसी की गाड़ी लेन-14 से निकली। तब पास की लेन पर मौजूद लाल शर्ट पहने सचिन ने 2 गोली चलाईं।

लेन-15 पर फिर चली गोली

ड्राइवर सूझबूझ दिखाता है और सचिन को गाड़ी से टक्कर मार देता है। सचिन के गिरते ही सफेद शर्ट पहने दूसरा शख्स लेन-15 से काफिले की दूसरी गाड़ी पर गोली चलाता है। इसके मायने हैं कि सिर्फ ओवैसी पर हमला करना मकसद नहीं था। काफिले पर हमला करके एक मैसेज देना था। गुरुवार को असदुद्दीन ओवैसी मेरठ के किठौर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी प्रचार करने के बाद दिल्ली के लिए लौट रहे थे। जब ये वारदात हुई।

फार्च्यूनर पर चली गोली का खुलासा नहीं

 दिल्ली पहुंचने के बाद ओवैसी ने बयान दिया। उसके अनुसार ड्राइवर यामीन गाड़ी चला रहा था। वह खुद पिछली सीट पर किसी के साथ बैठे हुए थे। हमलावर की चलाई गोलियां कार के गेट पर निचले हिस्से पर लगती हैं। ये गोलियां विंडो ग्लास पर नहीं लगतीं। अगर दूसरे हमलावर की बात करें तो 2 गोली उसने भी चलाईं, लेकिन वो फॉर्च्यूनर पर लगी या नहीं, इसका खुलासा पुलिस नहीं कर रही है।

कलावा बंधी पिस्टल का मिलना

पहचान छुपाने की भी नहीं कोशिश

इस वारदात में हमलावर ने सबूत भी छोड़ा। अवैध पिस्टल पर कलावा (हिंदुओं का रक्षा सूत्र) बंधा हुआ था। शस्त्र पर कलावा बांधकर दशहरे पर पूजा करने की परंपरा है। लेकिन वह शस्त्र लाइसेंसी हथियार होता है। यूपी के गैरकानूनी कारखानों में बनने वाले अवैध हथियारों की न कोई पूजा करता है और न ही उस पर कोई कलावा बांधता है। इस पिस्टल के हत्थे पर कलावा बंधा मिला है।

भागने की बजाए हमलावर का पकड़ा जाना

हमले के जो वीडियो सामने आए हैं, वे हैरत में डालने वाले हैं। सचिन गोली चलाने की शुरुआत करता है। तब सफेद रंग की गाड़ी दूसरी लाइन को क्रॉस करते हुए उसके सामने आ जाती है। यह जानते हुए कि सचिन के हाथ में पिस्टल है और वह सामने से सीधे सीने पर फायर कर सकता है। सचिन इस मौके का फायदा नहीं उठाता है। वह न फायर करने की कोशिश करता है, न ही भागने का प्रयास करता है। फिर उसको कार की टक्कर लगती है। इसके बाद वो भागता है, लेकिन पुलिस उसको कुछ दूरी पर ही पकड़ लेती है। उसकी शिनाख्त भी आसानी से हो जाती है, वो एक हिंदू संगठन से जुड़ा हुआ युवक है। शुरुआती तफ्तीश में उसके कई भाजपा नेताओं के साथ फोटो सामने आए हैं।

पश्चिमी यूपी के हैं दोनों

आरोपी सचिन का FB स्टेटस

ओवैसी पर कथित हमला करने वाला सचिन गौतम बुद्ध नगर और शुभम सहारनपुर का रहने वाला है। दोनों ही जिले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। पहले दो चरणों के चुनाव यहीं होने हैं। हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की साजिश की तरफ ये इशारा करती है। यूपी पुलिस की पहचान एनकाउंटर से, लेकिन इस मामले में जवाबी फायरिंग नहीं हुई।

सुरक्षाबलों ने नहीं उठाया कदम

इन दिनों टोल नाकों पर पैरा मिलिट्री तैनात है, जो गाड़ियों की चेकिंग कर रही है। हमला होने के बाद पैरा मिलिट्री के जवानों की तरफ से बदमाशों की घेराबंदी नहीं की गई। टक्कर मारने के बाद एक हमलावर नीचे गिरा, फिर उठकर भाग गया और किसी ने उसे पकड़ा तक नहीं? जबकि उसका हथियार तो वहीं गिर गया था।

पहचान छुपाने का नहीं किया प्रयास

कलावा बंधी पिस्टल

सीसीटीवी फुटेज से साफ है कि हमलावर अपनी पहचान छुपाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। सफेद शर्ट में शुभम हमला करता हुआ साफ नजर आ रहा है। सीधे शब्दों में हमलावर चाहते थे कि उनकी पहचान की जाए।

मैं हिंदू संगठन के निशाने पर- ओवैसी

ओवैसी ने कह दिया है कि उन्हें प्रयागराज धर्म संसद से गालियां दी गई हैं। वो हिंदू संगठन के निशाने पर रहे हैं। इस हमले को वे संसद में उठाएंगे। इधर तीन दिनों से जिस तरीके से अखिलेश-जयंत के विजय रथ के साथ चल रहे हरे रंग की टोपियों का हुजूम कहता है कि यह रंग मुस्लिम भी है और हरित क्रांतिकारी किसानों का भी। यानी दोनों एकजुट है, बंटे हुए नहीं है। इस बार मुस्लिम ओवैसी की पार्टी में बंटता दिखाई नहीं दे रहा है। भले ही उन्होंने अपने प्रत्याशी मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर उतार रखे हैं। परंतु इस हमले के बाद बहुत कम ही सही, लेकिन कुछ लोगों के ध्रुवीकृत होने की आशंका बन गई है।

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