UP Election 2022 : ओमिक्रॉन का मंडराने लगा खतरा, इलाहाबाद HC की हिदायत- राजनीतिक पार्टियों की रैलियों पर लगाई जाए रोक

UP Election 2022 : हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि जीवन है, तो भविष्य में भी चुनावी रैलियां और बैठकें हो सकती हैं और संविधान का अनुच्छेद 21 हमें जीवन का अधिकार प्रदान करता है....

Update: 2021-12-24 11:41 GMT

दिनकर कुमार की रिपोर्ट

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर कोरोना (Covid 19) के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) का खतरा मंडराने लगा है। इसके फैलने की रफ्तार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि कोरोना की तीसरी लहर से लोगों को बचाने के लिए राजनीतिक पार्टियों की रैलियों पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने कहा है कि प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग (ECI) चुनाव टालने पर भी विचार करें, क्योंकि जीवन रहा तो चुनावी सभाएं और रैलियां होती रहेंगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव (Justice Shekhar Kumar Yadav) ने इस बाबत आग्रह करते हुए कहा है कि नेताओं और राजनीतिक पार्टियों को चुनाव प्रचार के लिए समाचार पत्रों और दूरदर्शन आदि के माध्यम का इस्तेमाल करना चाहिए और चुनाव टालने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि जान है तो जहान है।

जस्टिस यादव ने अपने आदेश में कहा, "यदि जीवन है, तो भविष्य में भी चुनावी रैलियां और बैठकें हो सकती हैं और संविधान का अनुच्छेद 21 हमें जीवन का अधिकार प्रदान करता है।"

एचसी जज ने पीएम के टीकाकरण अभियान की प्रशंसा करते हुए, उनसे "भयावह स्थिति" को ध्यान में रखते हुए, सख्त कदम उठाने और रैलियों, बैठकों और चुनाव को स्थगित करने या रोकने पर विचार करने का अनुरोध किया। अदालत ने राजनीतिक दलों द्वारा आयोजित जनसभाओं और रैलियों में लाखों लोगों के इकट्ठा होने पर चिंता व्यक्त की है और कहा कि इन आयोजनों में किसी भी कोविड -19 प्रोटोकॉल का पालन करना संभव नहीं है।

सवाल पैदा होता है कि अगर सचमुच चुनाव टाल दिए जाते हैं तो आगे का परिदृश्य क्या होगा? संविधान के जानकार मानते हैं कि योगी सरकार का कार्यकाल खत्म होते ही राष्ट्रपति शासन लागू करना होगा और हालात अनुकूल होने पर चुनाव करवाना होगा। सोशल मीडिया पर अटकलों का बाजार गरम है कि अपनी हार को सुनिश्चित जानकर मोदी सरकार चुनाव स्थगित कर सकती है और एक तीर से दो शिकार करते हुए योगी नामक कांटे को मोदी-शाह की जोड़ी अपने रास्ते से हटाकर अपने तरीके से चुनाव प्रबंधन करते हुए जीत का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।

दूसरी तरफ एक तबका का मानना है कि महामारी का बहाना बनाकर चुनाव टालते हुए संसद में अपने बहुमत का दुरुपयोग कर मोदी सरकार कोई ऐसा कानून ला सकती है जिसके सहारे कार्यकाल समाप्त होने पर भी योगी सरकार को भंग नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो आने वाले समय में इस देश में निरंकुश तानाशाही कायम हो सकती है।

दूसरी तरफ मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि अगर ओमिक्रोन के केस इसी तरह से बढ़ते रहे तो कई तरह की पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। हो सकता है कि नए साल में शादियों के साथ ही अन्य आयोजनों पर रोक लग जाए। स्कूल एक बार फिर बंद कर दिए जाएं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से राज्यों के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। राज्यों से कहा गया है कि जहां जरूरी हो, वहां नाइट कर्फ्यू लगाया जाए। साथ ही कंटेनमेंट जोन बनाए जाने की बात भी कही गई है। इसके साथ ही राज्य सरकारें भी एक्शन में आ गई हैं। कर्नाटक में न्यू ईयर के जश्न पर पाबंदी लगा दी गई है। वहीं दिल्ली और मुंबई में बड़ी पार्टियां आयोजित नहीं की जा सकेंगी। मुंबई में 200 लोगों से अधिक मेहमानों वाली पार्टी आयोजित करने के लिए बीएमसी की अनुमति लेना होगी। हरियाणा में भी नए साल से सख्ती बढ़ जाएगी। बिना मास्क के लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। जिन सरकारी कर्मचारियों ने वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगाई है, उनका वेतन रोक लिया जाएगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर राज्यों को भेजी गई चिट्ठी में लिखा गया है कि संक्रमण को स्थानीय स्तर पर खत्म करने के उपाय किए जाएं। इमरजेंसी रूम और सेवाओं को पूरी तरह तैयार रखा जाए। जहां जरूरी हो वहां शादी, पार्टी और अंतिम संस्कार में संख्या सीमित की जाए। टेस्टिंग बढ़ाई जाए। इसके बाद आशंका जताई जा रही है कि जहां-जहां ओमिक्रोन बेकाबू होगा, वहां-वहां एक बार फिर लॉकडाउन लगाया जा सकता है। राज्य सरकारें अभी मंथन कर रही हैं।

भारत में ओमिक्रोन की ताजा स्थिति यह है कि यह वैरिएंट 14 राज्यों में फैल गया है जहां 220 मरीज हैं। देश में ओमिक्रोन कितनी तेजी से बढ़ रहा है, इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा रहा है कि 17 दिसंबर को 100 केस थे और 21 दिसंबर को यह आंकड़ा 200 पार हो गया। यानी महज चार दिन में केस दोगुना हो गए हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अभी देश से डेल्टा वैरिएंट पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में डेल्टा और ओमिक्रोन मिलकर घातक रूप धारण कर सकते हैं। ओमिक्रोन को लेकर कहा जा रहा है कि यह तेजी से फैलता जरूर है, लेकिन कोरोना के अन्य वैरिएंट की तरह घातक नहीं है।

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