UP Election 2022: ब्राह्मणों को साधने निकले सतीश मिश्रा की समधन ने बसपा से बनाई दूरी, सियासी अटकलें बढ़ा रही पार्टी की मुश्किल

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के सहारे बहुजन समाज पार्टी पूरे प्रदेश में ब्राह्मण समाज को साधने की कोशिश करती नजर आई लेकिन सतीश मिश्रा खुद अपनी समधन अनुराधा शर्मा को पार्टी से जोड़े रख पाने में सफल नहीं रहे।

Update: 2022-01-19 15:45 GMT

लक्ष्मी नारायण शर्मा की रिपोर्ट

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के सहारे बहुजन समाज पार्टी पूरे प्रदेश में ब्राह्मण समाज को साधने की कोशिश करती नजर आई लेकिन सतीश मिश्रा खुद अपनी समधन अनुराधा शर्मा को पार्टी से जोड़े रख पाने में सफल नहीं रहे। झांसी में ब्राह्मण समाज के बीच खासा प्रभाव रखने वाले सतीश मिश्रा के समधी पंडित रमेश शर्मा के दिवंगत होने के बाद परिवार की सियासी कमान को अनुराधा शर्मा ने संभाला था। बसपा के टिकट पर अनुराधा शर्मा ने साल 2014 में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन उसमें उनकी हार हुई थी।

रमेश शर्मा के जीवित रहते बसपा के झांसी जिले से जुड़े सभी महत्वपूर्ण निर्णय उनकी सहमति पर ही होते थे। एक ओर रमेश शर्मा की बसपा सुप्रीमो मायावती से करीबी तो दूसरी ओर सतीश मिश्रा से रिश्तेदारी ने इस परिवार का बसपा में सियासी कद काफी बढ़ा दिया था। रमेश शर्मा के दिवंगत होने के बाद परिस्थितियों में काफी बदलाव आया। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में झांसी लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे भतीजे अनुराग शर्मा के मंच पर जाकर अनुराधा शर्मा ने पीएम मोदी की खुलकर तारीफ की थी। चुनाव में उन्होंने भतीजे अनुराग शर्मा का समर्थन किया था। हालांकि बसपा उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई कर पाने की हिम्मत नहीं जुटा सकी थी लेकिन यह बात पार्टी के उच्च स्तर तक पहुंचाई जरूर गई थी। अनुराधा शर्मा ने भी बसपा छोड़ने की बात नहीं कही थी। 


अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मंदिर निर्माण के लिए चंदा संग्रह का एक कार्यक्रम उनके आवास पर आयोजित किया गया था। उस कार्यक्रम में संघ, भाजपा व विहिप के नेताओं की मौजूदगी थी। हालांकि इस दौरान भी उन्होंने बसपा छोड़ने की बात को स्वीकार नहीं किया था और मीडिया के सवाल पर कहा था कि राम तो सबके हैं। बसपा के भी और भाजपा के भी। अनुराधा शर्मा पिछले काफी समय से सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय हैं लेकिन किसी भी पार्टी के राजनीतिक कार्यक्रम से पूरी तरह दूर हैं। उनके भतीजे अनुराग शर्मा भाजपा के सांसद हैं और इस आधार पर कई बार उनके बारे में सियासी तौर पर कई तरह के कयास लगाए जाते रहे हैं। 

अभी कुछ महीने पहले जब सतीश चन्द्र मिश्रा ने पूरे प्रदेश में ब्राह्मण सम्मेलन किया तो वे झांसी भी पहुंचे थे। यहां आयोजित कार्यक्रम में मंच पर अनुराधा शर्मा नहीं थीं। अनुराधा शर्मा के मंच पर न होने से सवाल भी उठे लेकिन सतीश मिश्रा इसका गोलमोल जवाब देकर मसले को टालते दिखे थे। सतीश चंद्र मिश्रा ने यह जरूर कहा था कि वे उनके घर पर ही रुके हैं और वे पार्टी के साथ हैं। इन सब दावों और बातों के बाद भी अनुराधा शर्मा बसपा के किसी कार्यक्रम में किसी मंच पर नहीं दिखीं। इस बात के कई बार कयास लगाए गए कि वे भाजपा की ओर रुख कर सकती हैं लेकिन ऐसे कयासों पर उनकी ओर से कभी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। 

इस पूरे मसले और सियासी कयासों पर जब अनुराधा शर्मा का पक्ष जानने की कोशिश की गई तो कोई जवाब नहीं मिल सका। पारिवारिक सूत्रों की मदद से यह जानने की कोशिश की गई कि वे वर्तमान में बसपा में हैं अथवा नहीं तो किसी तरह का जवाब नहीं मिला। हालांकि इतने लंबे समय से पार्टी से उनकी दूरी ने बसपा नेताओं के इंतजार की हद को खत्म कर दिया है। बसपा मान चुकी है कि अनुराधा शर्मा अब पार्टी में नहीं हैं। बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष राजू राजगढ़ से जब यह सवाल किया गया कि अनुराधा शर्मा बसपा में हैं या नहीं तो उन्होंने साफ कर दिया कि अब अनुराधा शर्मा बसपा में नहीं हैं। अब जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का समर चरम पर है तो सियासी गलियारों में एक सवाल बहुत चर्चा में है कि आखिरकार सतीश मिश्रा की समधन इस चुनाव में किस पाले में हैं ? 

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