Kushinagar Election 2022: कुशीनगर में सपा व भाजपा में सीधा घमासान, स्वामी व आरपीएन की प्रतिष्ठा दांव पर, जाने क्या है समीकरण

UP Election 2022: यूपी विधान सभा चुनाव में भगवान बुद्ध की धरती कुशीनगर पिछले एक माह से सुर्खियों में है। पूर्वांचल की राजनीति के दो सुरमाओं स्वामी प्रसाद मौर्य व आरपीएन सिंह के पाला बदल के खेल से शुरू हुई चर्चा के बीच अब इनकी प्रतिष्ठा दांव पर है।

Update: 2022-02-17 05:32 GMT

Kushinagar Election 2022: कुशीनगर में सपा व भाजपा में सीधा घमासान, स्वामी व आरपीएन की प्रतिष्ठा दांव पर, जाने क्या है समीकरण

UP Election 2022: यूपी विधान सभा चुनाव में भगवान बुद्ध की धरती कुशीनगर पिछले एक माह से सुर्खियों में है। पूर्वांचल की राजनीति के दो सुरमाओं स्वामी प्रसाद मौर्य व आरपीएन सिंह के पाला बदल के खेल से शुरू हुई चर्चा के बीच अब इनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। जिले के सात विधान सभा क्षेत्रों की बात करें तो एक सीट से जहां सीधे कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लु का नाता है,वहीं अन्य छह सीटों को लेकर आकलन यह किया जा रहा है कि यहां स्वामी प्रसाद मौर्य व आरपीएन सिंह में से किसका कितना प्रभाव जमीन पर साबित हो सकेगा। इसमें एक सीट से स्वामी प्रसाद ने खुद जहां ताल ठोक रखा है, वहीं पड़रौना सीट के नतीजे सीधे आरपीएन सिंह को प्रभावित करंेगे।

यूपी में विधान सभा चुनाव की घोषणा के चंद दिन बाद ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को भाजपा से तोड़कर अपने पाले में कर लिया। यह खबर भाजपा के लिए जहां बड़े राजनीति आघात से कम नहीं था,वहीं सपा इसके बहाने पिछड़ों के सोशल इंजीनियरिंग को साधने की एक बड़ी कोशिश के रूप में देख रही थी। इस राजनीतिक घटना पर अभी विराम ही लगा था कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह को तोड़कर भाजपा ने अपने दल में शामिल करा लिया। इसके चलते कांग्रेस को भले ही कोई नुकसान हुआ हो पर आरपीएन के बहाने पिछड़े विशेषकर सैंथवार वोट का गणित अपने पक्ष में कर लेने का भाजपा ने संदेश देते हुए अप्रत्यक्ष रूप से सपा को भी चुनौती देने का काम की।

अब,जब दोनों घटनाक्रम के बीते एक माह हो गए हैं,तो मतदाता जिले की सातों सीटों के हार-जीत का समीकरण समझने में लगे हैं। इसका आकलन करने के पहले देखें तो खास बात यह है कि विधानसभा चुनाव में अपने सातों सीटों पर से भाजपा ने अपने पुराने चेहरों को बदल दिया है। इसकी स्वतः शुरूआत पडरौना सीट के विधायक पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में जा कर किए हैं। बाकी चार विधायकों के भी पार्टी ने टिकट काटकर नये चेहरे उतारे हैं। बसपा और सपा ने भी एक-एक को छोड़कर पिछली बार चुनाव लड़े सभी पुराने प्रत्याशियों को बदल दिया है। कांग्रेस पिछली बार मात्र दो ही सीटों पर लड़ी थी। इनमें से एकमात्र प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू इस बार भी तमकुहीराज सीट से चुनाव मैदान में हैं।

बीते 2017 के चुनाव में भाजपा का सुभासपा से गठबंधन था। रामकोला की सीट सुभासपा के खाते में गई थी। रामानंद बौद्ध यहां से विधायक बने थे। कुशीनगर, खड्डा, हाटा, पडरौना, फाजिलनगर व तमकुहीराज से भाजपा के प्रत्याशी थे। कुशीनगर से रजनीकांत मणि, खड्डा से जटाशंकर त्रिपाठी, हाटा से पवन केडिया, फाजिलनगर से गंगा सिंह कुशवाहा व पडरौना से स्वामी प्रसाद मौर्य विधायक चुने गए थे।

स्वामी प्रसाद ने इस चुनाव से ठीक पहले पाला बदल लिया और सपाई हो गए। शेष चार विधायकों का भाजपा ने टिकट काट दिया है। उनकी जगह सभी नये चेहरे उतारे गए हैं। कुशीनगर से पीएन पाठक, हाटा से मोहन वर्मा, फाजिलनगर से सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा, पडरौना से मनीष जायसवाल मंटू व रामकोला से विनय प्रकाश गोंड भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। खड्डा व तमकुही राज की सीट भाजपा गठबंधन ने निषाद पार्टी को दी है। दोनों जगह से नये प्रत्याशी विवेकानंद पांडेय व डॉ. असीम कुमार मैदान में हैं।


इसी तरह सपा ने रामकोला को छोड़कर शेष सभी सीटों पर किसी पुराने चेहरे पर दांव नहीं लगाया है। कुशीनगर से ब्रह्माशंकर की जगह राजेश प्रताप राव, फाजिलनगर से विश्वनाथ सिंह की जगह स्वामी प्रसाद मौर्य, हाटा से राधेश्याम सिंह की जगह रणविजय सिंह को टिकट दिया है। रामकोला से पूर्णमासी देहाती 2017 में सपा प्रत्याशी थे। इस साल वह सपा गठबंधन से सुभासपा प्रत्याशी के रूप में सामने हैं। खड्डा से सपा से बिजेन्द्र पाल यादव बबलू चुनाव लड़े थे। इस बार यह सीट सुभासपा के खाते में चली गई है। पिछली बार सपा का कांग्रेस से गठबंधन था। तमकुहीराज व पडरौना की सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी थे।

बसपा ने भी एक को छोड़ कर पिछली बार के अपने सभी प्रत्याशी बदल दिए हैं। पिछली बार पडरौना से बसपा से जावेद इकबाल चुनाव लड़े थे। इस बार पवन उपाध्याय पर दांव लगाया है। कुशीनगर से राजेश प्रताप राव बंटी पिछला चुनाव बसपा से लड़े थे। इस बार वह सपा प्रत्याशी हैं। बसपा से मुकेश्वर मद्धेशिया हैं। हाटा से पिछली बार बसपा से वीरेन्द्र सिंह सैंथवार चुनरव लड़े थे, इस बार शिवांग सिंह सैंथवार पार्टी से मैदान में हैं। फाजिलनगर से पिछली बार बसपा से जगदीश सिंह चुनाव मैदान में थे। इस बार मो. इलियास अंसारी चुनाव लड़ रहे हैं। रामकोला से विजय कुमार बसपा प्रत्याशी थे। उन्हें नहीं बदला गया है। खड्डा से बसपा ने विजय प्रताप कुशवाहा को लड़ाया था। इस बार वहां से डॉ. निसार अहमद सिद्दीकी मैदान में हैं। तमकुहीराज से पिछली बार विजय राय बसपा उम्मीदवार थे। अबकी संजय गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं।

जिले की सीटों को लेकर दिलचस्प बात यह है कि पड़रौना सीट से कांग्रेस पार्टी ने मनीष जायसवाल को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन आरपीएन सिंह के अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में चले जाने पर मनीष ने अपना सिंबल वापस कर दिया। जिसके बाद आरपीएन के कहने पर मनीष को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। दूसरी तरफ स्वामी प्रसाद मौर्य पिछला चुनाव पड़रौना से जीत थे। ऐसे में एक बार फिर इसी सीट से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे, पर कहा जा रहा है कि आरपीएन फैक्टर को प्रभावी देख वे यहां से चुनाव लड़ने के निर्णय को बदलते हुए कुशवाहा बहुल फाजीलनगर सीट से उम्मीदवार हैं। ऐसे में अब देखना है कि स्वामी अपनी सीट पर जीत दर्ज कराने के साथ ही अन्य छह सीटों को जीतने में कितना मदद कर पाते हैं,वहीं सवाल आरपीएन सिंह के साथ भी जुड़ा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि स्वामी व आरपीएन की प्रतिष्ठा यहां दांव लगी है। कांग्रेस के अजय कुमार लल्लु की तमकुहीराज सीट पर बढ़त के अलावा छह सीटों पर सपा व भाजपा गठबंधन के सीधा मुकाबला का नतीजा क्या होगा,इस पर सबकी निगाहें टिकी है।

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