UP MLC Election : जिसकी सत्ता, विधान परिषद चुनाव में दिखता है उसी का दम? अखिलेश के सामने अब 'साख' बचाने की चुनौती
UP MLC Election : विधान परिषद में किसका दम दिखेगा यह विधानसभा में पार्टियों के दमखम पर निर्भर करता है,आमतौर पर यह चुनाव सत्ता का ही माना जाता है, अभी तक के रिकॉर्ड तो यही कहानी बयां करते हैं....
UP MLC Election : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) संपन्न होने के बाद अब राज्य के उच्च सदन यानि विधान परिषद (UP MLC Election) में बहुत की लड़ाई तेज हो गई है। यूपी में स्थानीय निकाय की 36 सीटों पर एमएलसी चुनाव के लिए सियासी दलों ने लामबंदी शुरू कर दी है। इन चुनावों में समाजवादी पार्टी के सामने जहां साख बचाने की चुनौती है, वहीं योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की अगुवाई में भाजपा इस चुनाव में भी अपना पूरा जोर लगाने की तैयारी में जुटी है।
उत्तर प्रदेश विधान परिषद में अभी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का बहुमत है। विधान परिषद में सपा की 48 सीटें हैं जबकि भाजपा के पास 36 सीटें हैं। हालांकि सपा के आठ एमएलसी अब भाजपा (BJP) का दामन थाम चुके हैं। वहीं बसपा के एक एमएलसी भी भाजपा में आए हैं।
विधान परिषद में किसका दम दिखेगा यह विधानसभा में पार्टियों के दमखम पर निर्भर करता है। आमतौर पर यह चुनाव सत्ता का ही माना जाता है। अभी तक के रिकॉर्ड तो यही कहानी बयां करते हैं।
साल 2004 में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का कार्यकाल था, उस समय सपा के पास 36 में 24 सीटें थीं। जबकि बसपा के पास एक भी सीट नहीं थी। वहीं 2010 में जब इन सीटों पर चुनाव हुए तो बसपा (BSP) सत्ता में थी। उसने 36 में से 34 सीटें जीतकर लगभग क्लीन स्वीपर कर लिया था। इसके बाद फरवरी-मार्च 2016 में अखिलेश यादव के सीएम रहते चुनाव हुए। तब सपा 31 सीटें जीतीं। इसमें से 8 सीटों पर निर्विरोध जीत भी शामिल थी जबकि पहले सपा केवल एक सीट जीती थी।
विधान परिषद में प्रदेश में स्थानीय कोटे की 35 सीटें हैं, जिनमें मथुरा-एटा-मैनपुरी सीट से दो प्रतिनिधि चुने जाते हैं, इसलिए 35 सीटों पर 36 सदस्यों का चयन होता है। विधानपरिषद का चुनाव विधानसभा से पहले या बाद में होते रहे हैं। इस बार 7 मार्च को कार्यकाल खत्म होने के चलते चुनाव आयोग ने विधानसभा के बीच ही इसकी घोषणा कर दी थी।