Uttarakhand CM Face : सीएम फेस के लिए उत्तराखण्ड भाजपा में शुरू हुआ खेला, बदली परिस्थिति में 'बंगाल मॉडल' भी हो सकता लागू
Uttarakhand CM Face : चर्चा है कि भाजपा पुष्कर सिंह धामी को किसी सुरक्षित सीट से दोबारा चुनाव लड़ाकर, उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहती है, जिसकी वजह यह है कि उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने के कारण ही पार्टी को भारी सफलता मिली है....
Uttarakhand CM Face : राज्य की नई विधानसभा के लिए हुए चुनाव परिणाम में भाजपा की 47 सीटों पर भारी जीत के बाद अब सीएम को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है। हालांकि पार्टी ने पहले से ही यह चुनाव अपने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी (CM Pushkar Singh Dhami) को युवा जोश के प्रतीक के तौर पर प्रचारित करके लड़ा था। लेकिन बहुमत से ज्यादा विधायक आने के बाद भी खुद धामी के चुनाव हारने पर पार्टी में असमंजस बन गया है। सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा (BJP) अब सीएम बदल सकती है या फिर धामी को ही दोबारा मौका देगी।
बदली परिस्थिति में भाजपा के वरिष्ठ नेता इस मौके को अपने पक्ष में भुनाने में जुट गए हैं तो धामी भी अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। दो नवनिर्वाचित विधायकों में से एक ने धामी और दूसरे ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) के पक्ष में सीट छोड़ने का ऐलान कर भी किया है। जो मुख्यमंत्री पद के लिए होने वाले संग्राम के मुहूर्त के तौर पर देखा जा रहा है। धामी के चुनाव हारने के बाद से ही उन्हें काम करने के लिए मिले कम समय का हवाला देते हुए उन्हें मुख्यमंत्री (Uttarakhand Chief Minister) पद का स्वभाविक दावेदार समझा जा रहा है।
चर्चा है कि भाजपा पुष्कर सिंह धामी को किसी सुरक्षित सीट से दोबारा चुनाव लड़ाकर, उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। जिसकी वजह यह है कि उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने के कारण ही पार्टी को भारी सफलता मिली है। चुनाव परिणामों के बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) भी जीत का श्रेय पुष्कर सिंह धामी को दे चुके हैं।
उन्होंने कहा कि कई बार युद्ध में सेनापति या तो घायल हो जाता है, या फिर शहीद हो जाता है। ऐसे ही चुनावी युद्ध में भले ही वह अपनी सीट नहीं बचा पाए, लेकिन उनकी मेहनत और कार्यकर्ताओं के जोश से भाजपा दोबारा सत्ता में काबिज हो रही है।
धामी को पुनः मुख्यमंत्री बनने में आने वाली अड़चन को दूर करने के लिए ही चम्पावत से चुनाव जीते विधायक कैलाश गहतौड़ी व जागेश्वर से जीते विधायक महेंद्र मेहरा की ओर से धामी के लिए सीट खाली करने की पेशकश कर चुके हैं। यह भी तर्क दिया जा रहा कि जिस तरह से बंगाल में टीएमसी ने चुनाव हारने के बाद भी ममता बनर्जी को ही अपना नेता चुना, उसी तरह का प्रयोग भाजपा यहां भी कर सकती है।
इसके इतर नई सरकार के मुखिया के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट, सतपाल महाराज के साथ ही राज्यसभा सांसद और भाजपा के तेज तर्रार नेता अनिल बलूनी के अवाला पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम भी अचानक चर्चाओं में चलने लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के लिए तो डोईवाला से नवनिर्वाचित भाजपा प्रत्याशी बृजभूषण गैरोला ने अपनी सीट खाली करने का ऐलान किया है।
एक खबर यह भी है कि पार्टी ने इस मामले को ठीक से हैंडल करने के लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान को पर्यवेक्षक बना दिया है। दोनों नेता राज्य में मुख्यमंत्री कौन बने इस बाबत विधायकों का पैरामीटर चेक करेंगे।
बदली परिस्थितियों में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर नेतृत्व मंथन में जुट गया है। पहली संभावना अभी तक इसी बात की है कि प्रदेश में बंगाल मॉडल को लागू करके पार्टी धामी को ही मुख्यमंत्री के लिए आगे करे। लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ विधायकों में से ही मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा। तब यदि कांग्रेस डीएनए आड़े न आया तो सतपाल महाराज की लॉटरी लग सकती है। सीएम फेस को लेकर घपला ज्यादा बढ़ा तो अनुभवी होने के नाते पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक या त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी बाजी मार सकते हैं।