Uttarakhand Election 2022 : अब दलित नेता किशोरीलाल ने भी रणजीत के पक्ष में खोला मोर्चा, टिकट न मिला तो 27 को करेंगे निर्दलीय नामांकन

Uttarakhand Election 2022 : किशोरीलाल ने कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत के अलावा किसी और के इस सीट से चुनाव लड़ने पर विरोध करते हुए कहा कि रणजीत रावत के अलावा उन्हें कोई नेता मंजूर नही है...

Update: 2022-01-21 06:16 GMT

अब दलित नेता किशोरीलाल ने भी रणजीत के पक्ष में खोला मोर्चा

Uttarakhand Election 2022 : रामनगर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत (Ranjeet Singh Rawat) को कांग्रेस का टिकट दिए जाने को लेकर स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता मुखर हो चले हैं। पालिकाध्यक्ष हाजी मौ. अकरम के बाद अब कांग्रेस प्रदेश महामंत्री व दिग्गज दलित नेता किशोरीलाल ने भी रणजीत को टिकट न दिए जाने की सूरत में निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।

बृहस्पतिवार को भाजपा प्रत्याशियों (BJP Candidates) की घोषणा होने के बाद रामनगर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत (Ranjeet Singh Rawat) को टिकट मिलने की आस में बैठे कांग्रेसियों के सब्र का बांध टूटने लगा। पार्टी द्वारा अभी तक प्रत्याशियों की सूची जारी न करने व रामनगर विधानसभा सीट पर टिकट को लेकर संशय की स्थिति पैदा होने से नाराज पालिकाध्यक्ष हाजी मौ. अकरम ने रणजीत को टिकट न मिलने की सूरत में 27 जनवरी को अपना नामांकन करने की घोषणा कर कांग्रेस (Congress) में हलचल पैदा कर दी थी।

28 हज़ार मुस्लिम मतदाताओं वाली इस विधानसभा सीट से पालिकाध्यक्ष अकरम के असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) के मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमिन (AIMIM) पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने की संभावना से मचा हड़कंप थमा भी नहीं था कि दिग्गज दलित नेता किशोरीलाल ने भी अकरम की राह पकड़ते हुए रणजीत को टिकट न मिलने की स्थिति में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 27 जनवरी को अपना नामांकन कराने की घोषणा कर दी।

प्रदेश महामंत्री किशोरी लाल ने कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत के अलावा किसी और के इस सीट से चुनाव लड़ने पर विरोध करते हुए कहा कि रणजीत रावत के अलावा उन्हें कोई नेता मंजूर नही है। उन्होंने कहा कि चाहे हरीश रावत यहां से चुनाव लड़े तब भी वह उनके विरोध में 27 जनवरी को अपना नामांकन दाखिल करेंगे।

अकरम के बाद किशोरीलाल की संभावित बगावत को लेकर स्थानीय कांग्रेस से लेकर प्रदेश कांग्रेस हतप्रभ है। क्षेत्र में अल्पसंख्यक व दलित वोटों की बहुतायत होने के कारण कांग्रेस के लिए यह सीट कुछ हद तक आसान समझी जाती है। लेकिन इन दोनों ही वर्गों के नेताओं में पनप रहे असंतोष से कांग्रेस सकते में है।

बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) रामनगर विधानसभा सीट से खुद या अपने किसी खास को प्रत्याशी बनाकर रणजीत रावत को सल्ट विधानसभा भेजने का ताना-बाना बुनने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन पिछले छः साल से रामनगर को ही अपनी कर्मभूमि बनाकर पार्टी के लिए काम कर रहे रणजीत रावत के समर्थक हरीश रावत की इन कोशिशों के खिलाफ हैं।

उनका कहना है कि विपरीत परिस्थितियों में रणजीत ने अपनी मेहनत के बूते यहां ना केवल कांग्रेस की जड़ें मजबूत की हैं, बल्कि कार्यकर्ताओं को भरोसे में लेकर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोरोना जैसे समय मे जनता की सेवा भी की है। ऐसे में उन्हें यहां से टिकट न देना निष्ठावान कार्यकर्ताओं के साथ विश्वासघात होगा।

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