Uttarakhand Election 2022 : अपने पिताओं की पराजय का बदला लेने के लिए चुनावी महाभारत में उतरी उत्तराखण्ड की दो बेटियां

Uttarakhand Election 2022 : दोनो ही पूर्व मुख्यमंत्री अपनी-अपनी विधानसभा से तब चुनाव हार चुके हैं, जब वह खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान थे, इस विधानसभा चुनाव में इन दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियां अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं....

Update: 2022-01-28 10:14 GMT

(उत्तराखंड के चुनावी मैदान में दो मुख्यमंत्रियों की बेटियां)

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Uttarakhand Election 2022 : उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election 2022) अपने कई विभिन्न आयामों को लेकर दिलचस्पी का वायस बनता जा रहा है। कहीं आंसुओं के सैलाब में वर्षों की निष्ठा धुलकर बह रही है तो कहीं कुछ चेहरों की लॉटरी लग रही है। लेकिन इसी संग्राम में दो विधानसभाओं में दो अलग-अलग दलों से चुनाव मैदान में उतरी दो बेटियों के सामने प्रतिद्वंद्वी से लेकर लक्ष्य की दिलचस्प समानता है। दोनो के यदि नामों को छोड़ दिया जाए, एक ही जैसी परिस्थिति में चुनावी संघर्ष कर रही हैं।

बात की जा रही है उत्तराखण्ड प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियों की। यह पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के हरीश रावत (Harish Rawat) तो भाजपा के भुवनचन्द्र खण्डूरी (Bhuvan Chandra Khanduri) हैं। यह दोनो ही पूर्व मुख्यमंत्री अपनी-अपनी विधानसभा से तब चुनाव हार चुके हैं, जब वह खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान थे। इस विधानसभा चुनाव में इन दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियां अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं।

दिलचस्प तथ्य यह है कि इन बेटियों के सामने इस बार भी वही खिलाड़ी मौजूद हैं जो इनके पिताश्री को चुनावी अखाड़े में पटखनी दे चुके हैं। हरिद्वार ग्रामीण और कोटद्वार विधानसभा की इन सीटों पर पुरानी सियासी अदावत का बदला लेने दोनो ही पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियां इस बार प्रत्याशी हैं। भाजपा के टिकट से ऋतु भूषण खंडूड़ी (Ritu Khanduri) कोटद्वार से तो कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा रावत (Anupama Rawat) हरिद्वार ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ रही हैं।

पहले बात करें खण्डूरी की तो वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री रहते हुए मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवन चंद्र खंडूड़ी कोटद्वार सीट (Kotdwar Seat) पर कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी से हार गए थे। खंडूड़ी को 27,174 और नेगी को 31,797 वोट मिले थे। खंडूड़ी 4,623 वोटों से हार गए थे। जबकि उस समय भाजपा ने पूरा चुनाव ही "खंडूड़ी है जरूरी" के नारे पर लड़ा था। इस चुनाव में अब इसी कोटद्वार से खण्डूरी की बेटी ऋतु भूषण खंडूड़ी भाजपा प्रत्याशी हैं। जो उसी कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी, जिन्होंने उनके पिता को पराजित किया था, के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं।

कोटद्वार से चुनाव मैदान में उतरी ऋतु यमकेश्वर विधानसभा से विधायक थी। बदली परिस्थिति में भाजपा ने उन्हें कोटद्वार से प्रत्याशी बनाया है। कोटद्वार सीट पर 2017 में हरक सिंह रावत भाजपा के टिकट से जीते थे और वह अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। वर्तमान चुनाव में कोटद्वार सीट पर 1,12,608 वोटर हैं, जिनमें 55,018 महिलाएं हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की दूसरी बेटीअनुपमा हैं, जो हरिद्वार ग्रामीण से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। पिछले 2017 के चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण सीट पर हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते हुए भाजपा के यतीश्वरानंद से 12,278 वोटों से हारे थे। यतीश्वरानंद को 44,964 तथा हरीश रावत को 32,686 वोट मिले थे। इस बार यहां से हरीश रावत की जगह उनकी बेटी अनुपमा रावत कांग्रेस प्रत्याशी हैं। उनका भी मुकाबला उनके पिता के पुराने प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी यतीश्वरानंद से है।

ऐसे में दो अलग-अलग विधानसभाओं व पार्टियों से चुनाव मैदान में उतरी उत्तराखण्ड की इन दोनों बेटियों के सामने एक ही जैसे प्रतिद्वंद्वी, एक ही जैसे लक्ष्य, एक ही जैसी भावनाएं हैं। दोनो ही विधानसभाओं में सवाल भी एक ही है। क्या बेटियां ले पाएंगी अपने-अपने पिताओं की पराजय का बदला ? यह चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा।

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