Uttarakhand Election 2022 : उत्तराखण्ड में बढ़ा रहेगा कल राजनीतिक पारा, राजधानी में राहुल तो कुमाऊं में चंद्रशेखर आज़ाद बढ़ाएंगे भाजपा की टेंशन
Uttarakhand Election 2022 : राहुल की देहरादून रैली को कांग्रेस में इतनी संजीदगी से लिया जा रहा है कि उत्तराखंड में कांग्रेस के मौजूदा और पूर्व विधायकों समेत केंद्र के नेताओं को समर्थक जुटाने की जिम्मेदारी दी गई है ....
सलीम मलिक की रिपोर्ट
Uttarakhand Election 2022 : उत्तराखण्ड में अगले कुछ दिन मौसम का तापमान जहां गिरा रहेगा तो वहीं इन दिनों में राजनैतिक तापमान बढ़ा रहेगा। बीते रोज अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के उत्तराखण्ड दौरे से बढ़ी राजनैतिक हलचल की अगली कड़ी में कल गुरुवार को राजधानी देहरादून में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की जनसभा व रैली होगी। जिस समय राहुल गांधी जनसभा को सम्बोधित कर रहे होंगे तकरीबन उसी समय आज़ाद समाज पार्टी व भीम आर्मी के सुप्रीमो चन्द्रशेखर आज़ाद (Chandrashekhar Azad) भी चम्पावत जिले में एक बारात में संदिग्ध हालात में जान से हाथ धोने वाले दलित रमेशराम के परिजनों से मुलाकात कर रहे होंगे।
बंग्लादेश निर्माण व 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की शानदार विजय की गोल्डन जुबली के मौके पर इस कार्यक्रम के बहाने सैन्य बहुल्य प्रदेश उत्तराखण्ड के आगामी विधानसभा चुनाव में शहीद सैनिकों की शहादत को अपने एजेंडे में खास जगह देकर सैन्य परिवारों को भावनात्मक रूप से अपने से जोड़ने की जुगत में लगी भारतीय जनता पार्टी को झटका देते हुए कांग्रेस ने भी अपनी इस रैली व जनसभा को सेना के पराक्रम से जोड़ा है। 'विजय दिवस' के मौके पर इस आयोजन से कांग्रेस पार्टी ने सशस्त्र बलों से जुड़े परिवारों में पैठ बनाने के लिए बड़े स्तर पर इस कार्यक्रम की योजना बनाई है। इसी के तहत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी देहरादून में 'सैनिक विजय सम्मान दिवस' के रूप में रैली और फिर परेड ग्राउंड में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। रैली के लिए कांग्रेस ने भीड़ जुटाने के मामले में भी बड़ा लक्ष्य रखा है।
साल 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में जीत की याद को देश में हर साल 16 दिसम्बर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस जीत को कूटनीतिक तौर पर प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के पराक्रम से भी जोड़ा जाता है। इसी विजय और इसके साथ ही हुए बंग्लादेश के निर्माण के बाद संसद में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता अटलविहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को दुर्गा की उपाधि दी थी। इसी विजय दिवस के पचास साल पूरा होने के मौके पर कांग्रेस की ओर से यह आयोजन किया गया है।
राहुल की देहरादून रैली को कांग्रेस में इतनी संजीदगी से लिया जा रहा है कि उत्तराखंड में कांग्रेस के मौजूदा और पूर्व विधायकों समेत केंद्र के नेताओं को भी यह ज़िम्मेदारी दी गई है कि रैली में उससे ज़्यादा समर्थकों की भीड़ जुटाई जाए, जितनी बीते 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में जुटी थी। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं सहित बूथ स्तर के कार्यकर्ता तक को ज़िम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
क्या रहेगा कार्यक्रम का फोकस ?
मुख्य तौर पर इस पूरे आयोजन में कांग्रेस का मुख्य फोकस सैन्य परिवारों पर ही रहेगा. बताया जा रहा है कि 1971 के य़ुद्ध में शरीक रहे पूर्व सैनिकों के साथ ही उनके परिजनों को इस कार्यक्रम के लिए विशेष तौर से शामिल किया जाने वाला है। बीते 8 दिसंबर को हवाई हादसे में काल कवलित हुए सीडीएस जनरल बिपिन रावत को भी राहुल गांधी श्रद्धांजलि देंगे। उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले से ताल्लुक रखने वाले रावत के साथ ही अन्य शहीदों के प्रति भी संवेदनाएं व्यक्त करेंगे।
दूसरी ओर इसी दिन भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आज़ाद रावण की प्रदेश के कुमाउं मण्डल में पहली दस्तक होगी। बीते दिनों चम्पावत जिले में एक सवर्ण परिवार के शादी समारोह में गए दलित रमेशराम की हुई संदिग्ध मौत के जिम्मेदार लोगों के अभी तक न पकड़े जाने के मामले में लोहाघाट पहुंच रहे चन्द्रशेखर मृतक के परिजनों से भी मुलाकात करेंगे।
चन्द्रशेखर के प्रस्तावित दौरे को लेकर भीम आर्मी व भारत एकता मिशन की एक बैठक जिलाध्यक्ष नफ़ीस अहमद खान के नेतृत्व में आयोजित की गई। बैठक में 16 दिसम्बर को रमेशराम की हत्या के विरोध में पीड़ित परिवार से मिलने के लिए आने वाले भीम आर्मी चीफ व आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद के चंपावत पहुंचने पर उनके स्वागत और जिले से चम्पावत जाने पर चर्चा की गई।
(जनता की पत्रकारिता करते हुए जनज्वार लगातार निष्पक्ष और निर्भीक रह सका है तो इसका सारा श्रेय जनज्वार के पाठकों और दर्शकों को ही जाता है। हम उन मुद्दों की पड़ताल करते हैं जिनसे मुख्यधारा का मीडिया अक्सर मुँह चुराता दिखाई देता है। हम उन कहानियों को पाठक के सामने ले कर आते हैं जिन्हें खोजने और प्रस्तुत करने में समय लगाना पड़ता है, संसाधन जुटाने पड़ते हैं और साहस दिखाना पड़ता है क्योंकि तथ्यों से अपने पाठकों और व्यापक समाज को रु-ब-रु कराने के लिए हम कटिबद्ध हैं।
हमारे द्वारा उद्घाटित रिपोर्ट्स और कहानियाँ अक्सर बदलाव का सबब बनती रही है। साथ ही सरकार और सरकारी अधिकारियों को मजबूर करती रही हैं कि वे नागरिकों को उन सभी चीजों और सेवाओं को मुहैया करवाएं जिनकी उन्हें दरकार है। लाजिमी है कि इस तरह की जन-पत्रकारिता को जारी रखने के लिए हमें लगातार आपके मूल्यवान समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है। सहयोग राशि के रूप में आपके द्वारा बढ़ाया गया हर हाथ
जनज्वार को अधिक साहस और वित्तीय सामर्थ्य देगा जिसका सीधा परिणाम यह होगा कि आपकी और आपके आस-पास रहने वाले लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित करने वाली हर ख़बर और रिपोर्ट को सामने लाने में जनज्वार कभी पीछे नहीं रहेगा। इसलिए आगे आएं और अपना सहयोग दें। सहयोग राशि : 100 रुपये । 500 रुपये। 1000 रुपये।)