Uttarakhand Election 2022 : हरक न डाल दे फर्क, इसलिए विधायक ने खोल दिया मोर्चा
Uttarakhand Election 2022 : विधायक दिलीप ने अपने विधानसभा क्षेत्र लैंसडौन के लिए स्वीकृत कार्यों में अड़चन डालने का आरोप लगाते हुए हरक सिंह रावत को निशाने पर लिया है....
सलीम मलिक की रिपोर्ट
Uttarakhand Election 2022 : हर बार नई विधानसभा से चुनाव जीतकर ऐतिहासिक राजनीति कर रहे प्रदेश के मौजूदा कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की नई उड़ान के बारे में तमाम कयास लगे हुए हैं। वर्तमान में वह भाजपा में बेशक हैं लेकिन नहीं पता भाजपा में कौन सा दिन उनका अन्तिम हो। कई बार से विधानसभा चुनाव न लड़ने की कसम खाकर फिर चुनावी अखाड़े में नजर आने वाले डॉ. हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) का जैसे यह पता नहीं कि किस दल से वह चुनाव लड़ेंगे, वैसे ही यह भी नहीं पता कि किस सीट से लड़ेंगे। लेकिन छन-छनकर आ रही जानकारी के मुताबिक उनकी नज़र जिन सीटों पर हैं, वहां के मौजूदा विधायक ने उनकी मंशा भांपते हुए बिना कोई राजनैतिक लिहाज किये उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
वर्तमान में प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री के रूप में कैबिनेट की शोभा बढ़ा रहे यूं तो कोटद्वार से निर्वाचित विधायक हैं। लेकिन एक सीट से रिपीट चुनाव न लड़ने की आदत की वजह से उन्होंने कोटद्वार से सटी लैंसडाउन विधानसभा सीट की ओर तांक-झांक शुरू कर दी है। हरक की यह हरकत लैंसडाउन (Lansdone) के मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के विधायक दिलीप सिंह रावत (Dilip Singh Rawat) को नागवार गुजर रही है। हरक के मुकाबले राजनैतिक प्रोफाइल कमतर होने के चलते दिलीप को अंदेशा है कि पार्टी में टिकट की लड़ाई में वह हरक के सामने शायद ही टिक पाएं। इसीलिए उन्होंने आचार संहिता लगने से कुछ दिन पहले ही अपने कैबिनेट मंत्री पर तमाम आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है।
विधायक दिलीप ने अपने विधानसभा क्षेत्र लैंसडौन के लिए स्वीकृत कार्यों में अड़चन डालने का आरोप लगाते हुए हरक सिंह रावत को निशाने पर लिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को चिट्ठी भेजकर सरकार को चेताया कि अगर उनके क्षेत्र को नजरअंदाज किया गया तो वे विधानसभा के सामने आमरण अनशन करेंगे।
मुख्यमंत्री को भेजी चिट्ठी में विधायक दिलीप ने लिखा है कि लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र में विद्युत वितरण खंड कार्यालय का लोकार्पण 12 दिसंबर 2021 को किया गया था, लेकिन बीस दिन बीतने के बाद भी ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के दबाव में अधिशासी अभियंता की नियुक्ति नहीं की गई। दिलीप का यह भी कहना है कि कालागढ़ वन प्रभाग का कार्यालय पूर्व में लैंसडौन से संचालित होता रहा, लेकिन वन मंत्री हरक सिंह रावत के दबाव में अब कैंप कार्यालय कोटद्वार से संचालित कर लैंसडाउन ऑफिस को निष्क्रिय कर दिया गया है।
त्रिवेंद्र रावत ने मुख्यमंत्री रहते एक साल पहले मैदावन-दुर्गादेवी मार्ग को खोलने की घोषणा की थी, लेकिन अब वन मंत्री इसका श्रेय ले रहे हैं, इस दर्द का भी चिट्ठी में जिक्र करते हुए विधायक रावत ने कहा कि उनके क्षेत्र की लगातार अनदेखी की जा रही है, जिसे वे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने चेताया कि अगर तीन दिन के अंदर उनकी विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं का निस्तारण नहीं किया गया तो वे आमरण अनशन करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
हालांकि विधायक ने जो चिट्ठी लिखकर चुनावी आचार संहिता की करीब-करीब पूर्व संध्या पर विकास कार्य में अड़ंगे का जो आरोप लगाया है, उसका इस समय कोई अर्थ रह नहीं जाता। लेकिन जैसे उन्होंने आरोप काबीना मंत्री पर लगाएं हैं, उससे साफ है कि यदि हरक भाजपा में ही रुके रहे तो वह पार्टी में अपने टिकट के लिए सुरक्षित गलियारे का आश्वासन चाहते हैं। अन्यथा की सूरत में उनके सामने रायता फैलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा, चिट्ठी से शुरुआत वह कर ही चुके हैं।