Uttarakhand Election 2022 : कर्णप्रयाग से ताल ठोकेंगे माले के युवा फायर ब्रांड नेता इन्द्रेश मैखुरी

Uttarakhand Election 2022 : कर्णप्रयाग विधानसभा सीट पर सबसे पहले भाकपा (माले) ने अपने प्रत्याशी के तौर पर इंद्रेश मैखुरी को मैदान में उतारने की घोषणा कर इस सीट को हॉट सीट के दायरे में ला दिया है....

Update: 2022-01-11 10:33 GMT

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Uttarakhand Election 2022 : उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में वामपंथी पार्टियां आपसी गठबंधन के आधार पर चुनिंदा दर्जन भर विधानसभा क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी उतारेंगी। भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने आपसी गठबंधन के तहत राज्य में चुनाव लड़ने का फैसला बीते साल ही ले लिया था जिसमें भाकपा (माले) ने गढ़वाल मण्डल की कर्णप्रयाग व कुमाउं मण्डल की लालकुआं विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयारी की है। पार्टी ने कर्णप्रयाग सीट से अपने फायर ब्रांड नेता व गढ़वाल विश्वविद्यालय (HNB Garhwal University) के पूर्व अध्यक्ष इन्द्रेश मैखुरी (Indresh Maikhuri) को चुनाव मैदान में उतारा है।

कर्णप्रयाग विधानसभा सीट (Karanprayag Assembly Seat) पर सबसे पहले भाकपा (माले) ने अपने प्रत्याशी के तौर पर इंद्रेश मैखुरी को मैदान में उतारने की घोषणा कर इस सीट को हॉट सीट के दायरे में ला दिया है। भाजपा, कांग्रेस, आप, यूकेडी समेत अन्य दल इस सीट पर अभी अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर पाए हैं। भाजपा-कांग्रेस जैसे दोनो मुख्यधारा के दलों में टिकट के दावेदारों की लम्बी सूची की वजह से टिकट वितरण के बाद कि संभावित बगावत को टालने के मकसद से यह पार्टियां रणनीति के तहत ही टिकट आवंटन पर देरी कर रही हैं।

कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से भाकपा (माले) के घोषित उम्मीदवार इंद्रेश मैखुरी कर्णप्रयाग ब्लॉक के ही मैखुरा गांव के निवासी हैं। चमोली के साथ पूरे प्रदेश में जन आंदोलनों के नायक कहे जाने वाले इंद्रेश मैखुरी साल 1994 में कक्षा 12वीं से ही छात्र जीवन से उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सक्रिय हो गए थे। इस आंदोलन में जेल जाने वाले इन्द्रेश का मुस्तकबिल राजनीति के लिए ही तय हो गया। वर्ष 2000 में गढ़वाल विश्विद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष रहे इन्द्रेश वर्ष 2006 से 2008 तक भाकपा माले की छात्र शाखा आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। इन्द्रेश की राजनैतिक सक्रियता उत्तराखण्ड तक ही सीमित नहीं रही। अपने क्रांतिकारी तेवर के साथ इन्द्रेश ने राज्य से बाहर दिल्ली, बिहार तक के आंदोलनों में शामिल होकर अपनी एक अलग पहचान स्थापित की। इन्द्रेश के राजनैतिक जीवन के दौरान उत्तराखण्ड का शायद ही कोई ऐसा जनान्दोलन हो जिसमें इन्द्रेश ने अपनी सक्रिय भूमिका न निभाई हो। हाल ही में नंदप्रयाग-घाट सड़क आंदोलन में भी इंद्रेश मैखुरी की अहम भूमिका रही। वर्तमान में इंद्रेश मैखुरी भाकपा (माले) राज्य कमेटी के सदस्य और गढ़वाल सचिव भी हैं।

वैसे इन्द्रेश के लिए कर्णप्रयाग सीट से चुनाव का नाता पुराना है। मैखुरी कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से साल 2000, 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन धनबल में कमजोर रहे इन्द्रेश सफलता प्राप्त नहीं कर पाए। कम संसाधनों के बल पर भी इन्द्रेश 2017 के चुनाव में मैखुरी भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे।

जुनून की हद तक जाकर जनपक्षीय राजनीति करने वाले इन्द्रेश एक बार फिर आगामी विधानसभा चुनाव में भाकपा (माले) के टिकट पर इस चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। बकौल इंद्रेश मैखुरी "बीते 21 सालों में सत्ता बदली, लेकिन स्थायी राजधानी गैरसैंण, शिक्षा और स्वास्थ्य, जल-जंगल-जमीन आदि की आवाज विधानसभा तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में वो जमीन से जुड़े मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ने जा रहे हैं।"

बहरहाल, चुनाव का नतीजा क्या होगा, यह बाद में पता चलेगा। लेकिन इन्द्रेश के चुनावी समर में उतरने से इस सीट पर चुनाव लड़ने वाले अन्य प्रत्याशियों को इन्द्रेश को टक्कर देने में बेतहाशा पसीना बहाना पड़ेगा। मुख्यधारा के दोनों दलों भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों की इस चुनाव में जनता की अदालत में जो राजनैतिक क्लास कम्युनिष्ट खेमे के तेज-तर्रार इन्द्रेश से लगेगी, वह देखने लायक होगी। कुल मिलाकर राज्य के गिने-चुने दिलचस्प व हॉट सीट होने का दर्जा जो कुछ विधानसभा क्षेत्रों को हासिल होने वाला है, उसमें कर्णप्रयाग का नाम शुरू में ही जुड़ गया है।

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