Uttarakhand Election 2022 : '.....तो क्या दिल्ली दरबार ने हरक का मुस्तकबिल ही नई दिल्ली तय कर दिया ?'

Uttarakhand Election 2022 : अभी तक कई टिकट मांग रहे हरक को अब केवल एक ही टिकट मिलने की सूरत बन रही है, उन्हें सिर्फ यह तय करना है कि पुत्रवधु और खुद में से वह किसे प्राथमिकता देते हैं....

Update: 2022-01-19 09:23 GMT

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Uttarakhand Election 2022 : उत्तराखण्ड के गुलाटीबाज नेता डॉ. हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) का अगला ठिकाना दिल्ली बनता दिखाई दे रहा है। बीते तीन दिन से कांग्रेस का दरवाजा खुलने की आस में दिल्ली बैठे हरक की किस्मत में अब शायद दिल्ली ही आखिरी ठौर बचा है। उनके कांग्रेस (Congress) में शामिल होने को लेकर चल रहे पार्टी में असंतोष व हिचकिचाहट को कांग्रेस उनके साथ सौदेबाजी में जुट गई है।

अभी तक कई टिकट मांग रहे हरक को अब केवल एक ही टिकट मिलने की सूरत बन रही है। उन्हें सिर्फ यह तय करना है कि पुत्रवधु और खुद में से वह किसे प्राथमिकता देते हैं। हाँ, उनका सम्मान बना रहे इसके लिए पार्टी उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव के टिकट की हामी भर सकती है।

हरक सिंह एपिसोड में चल रही सियासत में इन दिनों दिख रहे कई रंगों में एक नया चटख रंग हरक की बेबसी का है। इससे पहले हरक कभी इतने बेबस नहीं दिखे जितने इस बार भाजपा के दांव से चित्त हुए इस बार दिख रहे हैं। खुद हरक भी समझ रहे हैं कि इस समय वह फंस चुके हैं। इसीलिए जिस तेवर के लिए वह जाने जाते हैं, वह दिखा नहीं पा रहे हैं।

स्थिति यह है कि खुद व बहू का टिकट मांगने वाले हरक सिंह अब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। अभी तक कांग्रेस (Congress) में उनकी एंट्री न होने के पीछे यही वजह है। मुंहमांगी मुराद की जगह उन्हें अब कांग्रेस की शर्तों पर ही पार्टी में आना पड़ेगा। हरक सिंह या उनकी पुत्रवधु दोनों में से किसी एक को ही कांग्रेस का टिकट मिलेगा। किसको मिलेगा, इसका चुनाव हरक करेंगे। परिवार के लिए टिकट मांग रहे कांग्रेस नेताओं की महत्त्वकांक्षाओं पर रोक के साथ ही हरक को बांधने की रणनीति की एवज में हरक को आगामी लोकसभा चुनाव में टिकट दिया जाने का आश्वासन पार्टी ने दे दिया है।

पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह (Harak Singh Rawat) कह ही चुके हैं कि "उत्तराखंड  (Uttarakhand Election 2022) में कांग्रेस की सरकार पूर्ण बहुमत से आने वाली है। मैं अब कांग्रेस से बातचीत करूंगा और मैं कांग्रेस में ही जाऊंगा और किसी पार्टी में नहीं जाऊंगा और बिना शामिल हुए भी मैं कांग्रेस के लिए काम करूंगा।" इसलिए हरक सिंह को कांग्रेस में एंट्री देकर उन्हें संगठन के लिए पूरी क्षमता से काम करने को कहा गया है।

दो की जगह एक ही टिकट मिलने से साफ है कि हरक डोईवाला से चुनाव नहीं लड़ेंगे। जिससे यहां पार्टी फजीहत से बची रहेगी। और खुद हरक फ्री होकर अपनी पुत्रवधु अनुकृति गुसाईं को लैंसडाउन विधानसभा से आराम से चुनाव भी जितवा देंगे।

"हरीश रावत (Harish Rawat) बड़े भाई हैं और मैं उनसे सौ-सौ बार माफी मांग सकता हूँ", वाले बयान के बाद साफ है कि अब हरीश की तरफ से हरक के लिए कोई रुकावट नहीं है। हरक कांग्रेस में शामिल होकर अपनी पुत्रवधु को विधायक बनाकर खुद सांसद बनने की तैयारी करें। जिससे सभी फीलगुड महसूस करें, इसी पर रस्साकस्सी हो रही है।

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