Uttarakhand Elelection 2022 : आखिर क्यों नहीं भाजपा-कांग्रेस नहीं चाहते उत्तराखण्ड की जनता को मिले मुफ्त बिजली - कोठियाल
Uttarakhand Elelection 2022 : कोठियाल ने ऊर्जा प्रदेश की जनता को मुफ्त बिजली उसका हक बताते हुए कहा कि आप के इस अभियान से राज्य में पहले से स्थापित दोनो दल सकपका गए हैं...
Uttarakhand Election 2022 : आम आदमी पार्टी की मुफ्त बिजली गारंटी योजना के खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट द्वारा खारिज किये जाने को न्याय की जीत बताते हुए आप नेता कर्नल अजय कोठियाल (Col Ajay Kothiyal) ने भाजपा-कांग्रेस पर आम आदमी पार्टी (AAP) के कैम्पेन को डैमेज करने का आरोप लगाया है। शुक्रवार को देहरादून में कोठियाल ने ऊर्जा प्रदेश की जनता को मुफ्त बिजली उसका हक बताते हुए कहा कि आप के इस अभियान से राज्य में पहले से स्थापित दोनो दल सकपका गए हैं।
बता दें कि उत्तराखण्ड (Uttarakhand) के आने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी पहली बार गंभीरता से दस्तक देकर प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए खासी चुनौती बनी हुई है। आप के मुखिया प्रदेश का चार बार दौरा करके प्रदेश की राजनीति में कोई न कोई शिगूफा छोड़कर प्रदेश सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। ऐसे ही एक शिगूफा आप द्वारा प्रदेशवासियों को मुफ्त बिजली दिए जाने का है। हर परिवार को प्रति माह तीन सौ यूनिट बिजली दिए जाने के अपने वायदे को विश्वसनीयता का जामा पहनाये जाने के मकसद से पार्टी द्वारा घर-घर जाकर पार्टी की ओर से गारंटी कार्ड बनाये जा रहे हैं।
मुफ्त बिजली की 'गारंटी' के नाम पर प्रदेश का एक खास निर्धन वर्ग इस योजना को लेकर खासा उत्साहित होकर आम आदमी पार्टी से जुड़ने लगा है। जबकि मध्यम वर्ग इस आस में है कि आप की इस घोषणा के चलते सत्ता के मुख्य दोनो दावेदार अन्य दल भी दबाव में आकर कुछ न कुछ राहत का वायदा जरूर करेंगे। इस तरह भविष्य में सरकार किसी की बने, जनता-जनार्दन को राहत मिलना सुनिश्चित हो जाएगा। मध्यम वर्ग की यह आस अनायास नहीं थी। अरविंद केजरीवाल की सजाई हुई इस पिच पर कांग्रेस के हरीश रावत को भी मजबूरन बल्लेबाजी करते हुए अपनी सरकार बनने पर सौ यूनिट बिजली दिए जाने की घोषणा करनी पड़ी।
हालांकि भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह ने भी जोश में मुफ्त बिजली दिए जाने का प्रस्ताव बनाने की बात की थी। लेकिन अगले दिन वह इससे पलटी मार गए। मुफ्त बिजली अभियान को मिल रहे व्यापक समर्थन से भाजपा-कांग्रेस दोनो ही ज्यादा बैचेनी अनुभव कर रही है।
प्रदेश के इन विधानसभा चुनाव में 'अबकी बार-साठ पार' का नारा दे चुकी भाजपा का पूरा प्रयास चुनावी मुकाबले को कांग्रेस वर्सेज़ भाजपा (आमने-सामने का) का है, जिससे वह प्रदेश में एक तरफा बढ़त हासिल कर सके। कांग्रेस का भी प्रयास यही है कि दो के बीच कोई तीसरी प्रभावशाली धारा न खड़ी हो पाए। लेकिन आप पार्टी जिस प्रकार से अपने मुफ्त बिजली अभियान से प्रदेश की तराई से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों तक लोगों को रिझा रही है, वह भाजपा वर्सेज़ कांग्रेस के मुकाबले को त्रिकोणीय शक़्ल देने की ओर ले जा रहा है।
प्रदेश के राजनैतिक हालात में यह त्रिकोणीय संघर्ष भाजपा-कांग्रेस को अपने लिए खतरे की घण्टी लग रहा है। जिससे दोनो ही दल बचने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के एक नजदीकी व्यक्ति द्वारा आम आदमी पार्टी का कैम्पेन रोकने के इरादे से दायर हाईकोर्ट की याचिका को शुरुआत से ही राजनैतिक नजरिये से भी देखा जा रहा था। खुद हाईकोर्ट ने इस याचिका के बिंदुओं को कानूनी तौर देखने के बाद खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने इसे खुद तो सीधे तौर पर राजनैतिक पूर्वाग्रह का मामला तो नहीं माना, लेकिन याचिका में जिन बिंदुओं को उठाया गया था उससे साफ लग रहा था कि यह एक राजनैतिक कवायद है जिसे बाजरिया अदालत सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा था।
अन्यथा किसी राजनैतिक दल की एक ऐसी चुनावी घोषणा जिससे किसी को कोई नुकसान न हो कोई और क्यों इतनी गंभीरता से लेगा कि राजनैतिक घोषणा के प्रोपेगण्डा तक से एतराज हो ? ऐसे में कोठियाल जब कह रहे हैं कि उनके इस अभियान में दोनों दल रोड़े अटकाकर परेशान कर रहें हैं तो साफ है कि भाजपा और कांग्रेस जनता को अपनी तरफ से तो कोई राहत नहीं देना चाहते। यदि कोई तीसरा राहत पहुंचाने का वायदा भी करता है तो वह इसमें भी रोड़े अटकाना शुरू कर देते हैं। मंचों से एक-दूसरे को गरियाने वाले भाजपा-कांग्रेस का यह रिश्ता क्या कहलाता है, यह सोचनीय विषय है।