Ground Report : UP में पूर्व प्रधान ने लेखपाल से साठ गांठ कर 50 साल से रह रहे ग्रामीणों का वोट देने का भी छीना हक़
पीड़ित ग्रामीण दुखित होकर कहते हैं, लेखपाल धमकाते हैं यहां किसी और का भूमि है, तुम लोगों का कुछ नहीं है। यहां से चले जाओ। पूर्व प्रधान के साथ मिलकर लेखपाल ने यह जमीन व्यापारियों को बेच दी है, इसीलिये हमें धमकाया जा रहा है..
पवन जायसवाल की रिपोर्ट
जनज्वार। मिर्जापुर के अहरौरा थाना क्षेत्र के हिनौता ग्रामसभा में स्थित सारादह में पूर्व प्रधान ने भूमाफिया से सांठ—गांठ कर 50 साल से गांव में रहने वाले आदिवासियों का वोट देने का हक छीनने का मामला सामने आया हे।
गौरतलब है कि यहां मुसहर, कोल, दरकार, चौहान, वनवासी जाति के लोग दशको से जंगलों में बसेरा बनाकर लकड़ी और पत्ते बीनकर अपना व अपने परिवार का जीविकोपार्जन करते आये हैं, मगर कुछ लोगो ने इन गरीबों का सुख-चैन भी छीन रखा है।
इन वनवासियों को इनके भूमि से वंचित करने के लिए शासन-प्रशासन से जुड़े भ्रष्टाचारियों ने इन्हें भगाने के लिए अब वोट देने से तक महरूम कर दिया है।
यहां रह रहे करीब तीन दर्जन परिवारों का वोटर लिस्ट से नाम काट दिया गया है। पीड़ित ग्रामीण दुखित होकर कहते हैं, लेखपाल धमकाते हैं यहां किसी और का भूमि है, तुम लोगों का कुछ नहीं है। यहां से चले जाओ। पूर्व प्रधान के साथ मिलकर लेखपाल ने यह जमीन व्यापारियों को बेच दी है, इसीलिये हमें धमकाया जा रहा है।'
गौरतलब है कि जिस भूमि से इन ग्रामीणों को भगाने का खेल खेला गया, वह वन विभाग की है। अब इस भूमि के लिए नारस के व्यापारी ने फर्जी ढंग से केस दर्ज कर दिया है और पूरे भूमि पर स्टे है।
ऐसे में सवाल उठता है की जब भूमि पर स्टे है तो उसमें लेखपाल का बार बार हस्तक्षेप कैसे हो रहा है। यह किसी बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। पीड़ित ग्रामीणों का आरोप है लेखपाल जमीन को बेचकर अवैध तरीके से पैसे कमाता है। जिस जमीन से वनवासियों को बेदखल करने की कोशिश हो रही है, वह करोड़ों रुपये की है।